हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

ETV Bharat / state

हिमाचल दुग्ध उत्पादक प्रसंघ ने कमाया 5.96 करोड़ का मुनाफा, दूध की खरीद बढ़ाने के लिए अपनाया गुजरात का ये मॉडल

हिमाचल प्रदेश दुग्ध प्रसंघ प्रदेश के 11 जिलों में काम कर रहा है. हिमाचल प्रदेश दुग्ध प्रसंघ के अंतर्गत 11 दुग्ध विधायन संयंत्र कार्यरत हैं.

दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र दत्तनगर
दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र दत्तनगर (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 5 hours ago

रामपुर बुशहर:हाल ही में प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शिमला के दत्तनगर में 50 हजार लीटर प्रतिदिन क्षमता वाले दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र का उद्घाटन किया है. ये दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र नई दुग्ध क्रांति में अहम भूमिका निभाएगा. दत्तनगर में पहले से 20 हजार लीटर क्षमता का दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र और 5 मीट्रिक टन प्रतिदिन की क्षमता का एक पाउडर प्लांट 2012 से काम कर रहा है. इस नए दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र के बनने से दत्तनगर में कुल 70 हजार लीटर प्रतिदिन की क्षमता हो गई है. यह संयंत्र दूध, घी, मक्खन, पनीर, लस्सी और फ्लेवर्ड मिल्क का उत्पादन करेगा.

हिमाचल प्रदेश दुग्ध उत्पादक प्रसंघ चार जिलों यानि शिमला, कुल्लू, मण्डी और किन्नौर से दूध एकत्र कर रहा है. जिला शिमला, कुल्लू, मण्डी और किन्नौर में 2012 के दौरान दुग्ध संग्रह मात्र 25 हजार से 26 हजार प्रतिदिन था. ये आज बढ़कर 1 लाख लीटर प्रतिदिन हो गया है. 95 प्रतिशत दूध कुल्लू क्षेत्र से एकत्रित किया जा रहा है. प्रसंघ किन्नौर के चांगो तक दूर-दराज के इलाकों से यहां दूध एकत्र कर रहा है.

11 जिलों में चल रही गतिविधियां

दुग्ध प्रसंघ ने राज्य को तीन इकाइयों कांगड़ा, मंडी और शिमला में विभाजित किया है. कांगड़ा इकाई के संचालन का क्षेत्र चंबा, कांगड़ा, हमीरपुर और ऊना जिला में है, जबकि मंडी इकाई के संचालन का क्षेत्र बिलासपुर, कुल्लू और मंडी जिला में है. इसी प्रकार, शिमला इकाई के संचालन का क्षेत्र शिमला, सिरमौर, सोलन और कुल्लू जिला में है. हिमाचल प्रदेश दुग्ध प्रसंघ डेयरी विकास कार्यक्रम के लिए प्रदेश के 11 जिलों (लाहौल स्पीति जिला को छोड़कर) में अपनी गतिविधियां चला रहा है. वर्तमान में हिमाचल प्रदेश दुग्ध प्रसंघ के अंतर्गत 11 दुग्ध विधायन संयंत्र कार्यरत हैं, जिनकी कुल क्षमता 1,30,000 लीटर प्रति दिन है.

5.96 करोड़ का शुद्ध लाभ किया अर्जित

प्रबंध निदेशक हिमाचल प्रदेश दुग्ध उत्पादक प्रसंघ डॉ. विकास सूद ने बताया कि, 'दूध की खरीद को बढ़ाने के लिए प्रसंघ ने गुजरात आनन्द मॉडल को अपनाया है. ये अधिक से अधिक ग्राम डेयरी सहकारी समितियों के गठन को प्रोत्साहित करता है.प्रसंघ ने रामपुर क्षेत्र में 271 दुग्ध सहकारी समितियों का गठन किया है, जिसमें 241 वीडीसी कार्यात्मक हैं और 161 पंजीकृत है. हिमाचल प्रदेश दुग्ध प्रसंघ दूध खरीद पर 45 रुपये प्रति लीटर का भुगतान कर रहा है. दूध की खरीद अब तक के उच्चतम स्तर यानि 1.40 लाख लीटर से 2 लाख लीटर प्रतिदिन पर पहुंच गई है. वर्ष 2023-24 में प्रसंघ का कुल टर्नओवर 191.69 करोड़ रुपये हो गया है और वित्तीय वर्ष 2023-24 दुग्ध प्रसंघ ने 5.96 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया है. दुग्ध प्रसंघ महिला और बाल विकास कल्याण विभाग को आंगनवाड़ी केंद्रों को फोर्टीफाइड पंजीरी, फोर्टीफाइड बेकरी बिस्किट, फोर्टीफाइड गेहूं सेवियां और मिल्क पाउडर दे रहा है. दूध की खरीद में वृद्धि के लिए पशु पालकों को 5 लीटर क्षमता के स्टील की बाल्टी और कैन्स प्रदान किए गए हैं. डगशाई, पालमपुर, धर्मशाला, चंडी मंदिर, डलहौजी, कंदौरी, शिमला और सोलन में सेना की इकाइयों को प्रसंघ दूध की आपूर्ति कर रहा है.'

दुग्ध उत्पादकों ने की सराहना

ननखड़ी तहसील के धर्मपाल कायथ ने बताया कि दत्तनगर में नए दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र से पशुपालकों को लाभ होगा. रामपुर के मनमोहन सिंह ने बताया कि वो अपने क्षेत्र के दुग्ध उत्पादकों से रोज दत्तनगर दुग्ध संयंत्र में 800 लीटर दूध लेकर आते हैं, जिसकी संयंत्र में पूरी जांच की जाती है और दूध में फैट के हिसाब से अदायगी की जाती, जिससे पशुपालक संतुष्ट हैं.

बकरी के दूध का घी बाजार में उतारा

प्रसंघ ने पहले चरण में मण्डी और दत्तनगर क्षेत्र की 50 पंजीकृत सोसायटियों में दूध की टेस्टिंग 01 जनवरी 2024 से शुरू कर दी है. अगले वित्तीय वर्ष से प्रदेश की ज्यादातर सोसायटियों में यह प्रक्रिया लागू कर दी जाएगी, जिससे पशु पालकों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य मिल सकेगा. प्रसंघ ने प्रदेश के बकरी पालकों से बकरी का दूध 70 रुपये प्रति लीटर खरीदने का निर्णय लिया है. प्रसंघ ने पहले चरण में जिला ऊना में पायलट आधार पर बकरी का दूध एकत्रित करना शुरू किया है. बकरी के दूध से घी तैयार किया गया जो बाजार में बिक्री के लिए उतारा गया है. एनडीडीबी, आरडीटीसी जालंधर की मदद से दुग्ध उत्पादकों, किसानों, महिलाओं और समितियों के सचिवों को स्वच्छ दुग्ध उत्पादन, मवेशी प्रबंधन एवं सचिवों के कर्तव्यों और जिम्मेदारियों पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहें है.

हिम गंगा योजना

वर्तमान में प्रदेश सरकार ने दुग्ध आधारित अर्थव्यवस्था को विकसित और सुदृढ़ करने के लिए दूध खरीद मूल्य को लागत मूल्य के आधार पर देने के लिए 'हिम गंगा योजना' की शुरुआत इस वित्त वर्ष से कर दी है, जिसके लिए प्रदेश सरकार ने 500 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया है. राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड हिमाचल प्रदेश दुग्ध प्रसंघ ढंगवार जिला कांगड़ा में पूरी तरह से स्वचालित दुग्ध संयंत्र लगाने का निर्णय लिया है. इस प्रसंस्करण संयंत्र में तरल दूध, 5 मीट्रिक टन प्रतिदिन दही, 5 टन लीटर प्रतिदिन लस्सी, 1 मीट्रिक टन प्रतिदिन टेबल बटर, 2 मीट्रिक टन प्रतिदिन ताजा पनीर, 25 टन लीटर प्रतिदिन यूएचटी उपचारित दूध, बटर मिल्क, लस्सी, 200 किलोग्राम प्रतिदिन खोआ और मोज्रेला पनीर प्रसंस्कृत किया जाएगा.

युवाओं को मिलेगा रोजगार

उपायुक्त शिमला अनुपम कश्यप ने कहा कि दत्तनगर दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र न केवल रामपुर क्षेत्र बल्कि साथ लगते जिला कुल्लू, मंडी और किन्नौर के दुग्ध उत्पादकों को लाभान्वित करेगा. जहां एक ओर प्रदेश सरकार दूध के दाम बढ़ाए जाने से दुग्ध उत्पादक को अच्छा लाभ प्राप्त हो रहा है, वहीं दूसरी ओर युवाओं को दुग्ध क्षेत्र में स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध हो रहे हैं. इस संयंत्र के बनने से दूसरे राज्यों से आने वाले दूध और दूध उत्पादों पर प्रदेश की निर्भरता कम होगी और इसका सीधा लाभ प्रदेश के दुग्ध उत्पादकों को होगा. दूध के बेहतर दाम मिलने से लोग अपनी गायों को बेसहारा सड़कों पर नहीं छोड़ेंगे, जिससे सड़क पर होने वाले हादसों में कमी देखने को मिलेगी.

ये भी पढ़ें: देवभूमि ही नहीं, दूध भूमि भी है हिमाचल, देश में 423 मिली के मुकाबले यहां हर व्यक्ति के हिस्से में 650 मिली मिल्क, प्रोडक्शन में भी उछाल

ABOUT THE AUTHOR

...view details