खूंटी:सीएम हेमंत सोरेन करीब दोपहर 3 बजे तोरपा में एनएचपीसी मैदान पहुंचे. जहां उन्होंने दीप प्रज्वलन कर अबुआ आवास योजना कार्यक्रम की शुरुआत की और लाभुकों को स्वीकृति पत्र दिया. खूंटी के तोरपा में आयोजित अबुआ आवास योजना कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए हेमंत सोरेन ने उपस्थित जनसमूह को हाथ जोड़कर राउरेमन के जोहर से अभिवादन किया.
यहां लोगों को संबोधित करते हुए सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य सरकार अपने दम पर झारखंड के आम लोगों को मान सम्मान के साथ जीवन जीने के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाओं पर कार्य कर रही है. सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि यहां अबुआ आवास योजना के लाभुकों को स्वीकृति पत्र देने का शुभारंभ किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि पंचायत और टोले में सरकार आपके द्वार के तहत शिविर लगाकर लोगों के आवेदन लिए गए थे.
सीएम ने अपने संबोधन में कहा कि इस राज्य को लोग सोने की चिड़िया कहते हैं. यहां लोहा, कोयला, बॉक्साइट, सोना जैसे 40 प्रतिशत खनिज हैं, लेकिन बड़ा दुर्भाग्य है कि दुनिया के लोगों को जमीन के नीचे की चीजें तो दिखती हैं, लेकिन जमीन के ऊपर रहने वालों का दुख दर्द नहीं दिखता है. उन्होंने कहा राज्य बने हुए 24 साल हो गए, लेकिन आज भी झारखंड की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है. बगैर किसी राजनीतिक दल का नाम लिए ही कहा कि पूर्व की सरकार जल जंगल जमीन लूट कर खत्म कर देगी. कोरोना आदमी को तो खा ही रहा था, कई देशों की अर्थव्यवस्था को भी खा गया. वैसी विकटपूर्ण परिस्थिति में वर्तमान सरकार ने राज्य की स्थिति को संभाला.
सीएम ने कहा झारखंड का खनिज संपदा दिल्ली में बैठे लोगों को उपग्रह के माध्यम से दिखाई देता है, लेकिन झारखंड के गरीब दिखाई नहीं देते हैं. गरीबों की सूची झारखंड सरकार ने बनाई, लेकिन केंद्र सरकार नाम बदलने में बहुत माहिर है. केंद्र सरकार कहती थी जब झारखंड सरकार 8 लाख लोगों की सूची लेकर दिल्ली गए तो वो कहते हैं कि आपके यहां 4 लाख गरीब हैं, पहले तो एक भी गरीब मानने के लिए तैयार नहीं थे.
सीएम हेमंत सोरेन ने तोरपा में अपने संबोधन में आगे कहा कि केंद्र सरकार हर चीज से टैक्स वसूलती है जैसे नमक, चावल, बच्चों की किताब-कॉपी, जूता-चप्पल पर टैक्स लगता था. टैक्स का पूरा पैसा केंद्र के पास जाता है. झारखंड के पैसा से पूरा देश जगमगाता है, लेकिन झारखंड में बिजली खस्ताहाल है. उन्होंने कहा कि पहले बुजुर्ग पेंशन के लिए दर दर भटकता था, अब सभी 60 वर्ष के बुजुर्ग को पेंशन देने का कार्य किया जा रहा है. अब पेंशन के लिए 60 साल से घटाकर 50 साल की उम्र करने जा रहे हैं. गांव की गरीबी ऐसी है कि 60 साल से पहले ही लोग बूढ़े हो जाते हैं.