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नई ट्रांसफर नीति पर BPSC और नियोजित शिक्षकों में बड़ा मतभेद, एक पक्ष खुश तो दूसरा नाखुश

बिहार के शिक्षकों में नई ट्रांसफर पॉलिसी में मतभेद दिखाई पड़ रहा है. कौन इससे खुश है और कौन नाराज, आगे पढ़ें पूरी खबर

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दीपांकर गौरव और अमित विक्रम (Etv Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 18, 2024, 6:38 PM IST

पटना :बिहार सरकार के शिक्षा विभाग की नई शिक्षक नियमावलीने शिक्षकों के बीच भेद पैदा कर दिया है. शिक्षा विभाग द्वारा नवनियुक्त बीपीएससी शिक्षक जहां इस नई नियमावली से काफी खुश हैं. वहीं दूसरी ओर नियोजित शिक्षक नई स्थानांतरण नीति से काफी नाराज हैं. नियोजित शिक्षकों का कहना है कि नई ट्रांसफर नीति उनके घर से उन्हें दूर कर रहा है, जबकि बीपीएससी शिक्षकों का कहना है कि यह काफी सराहनीय ट्रांसफर नीति है जो शिक्षकों को उनके घर के करीब ला रही है.

नियोजित और बीपीएससी शिक्षकों में कोल्ड वार:नई ट्रांसफर नीति को लेकर सोशल मीडिया पर बीपीएससी शिक्षक और नियोजित शिक्षक आपस में आरोप लगा रहे हैं. बीपीएससी शिक्षक कह रहे हैं कि नई शिक्षक स्थानांतरण नीति बेहद शानदार है और इस शानदार नीति को रोकने के लिए नियोजित शिक्षक के संगठन राजनीति कर रहे हैं.

शिक्षा व्यवस्था चौपट करने का आरोप :बीपीएससी शिक्षक व्हाट्सएप पर अपने ग्रुप में मैसेज भेज कर नियोजित शिक्षकों पर विद्यालय की शिक्षा व्यवस्था को चौपट करने का आरोप लगा रहे हैं. नियोजित शिक्षकों को कह रहे हैं कि यह लोग अपने घर के नजदीक रहकर हाजिरी बनाकर पूरे दिन अपने घर में पड़े रहते हैं. बीपीएससी शिक्षक नई स्थानांतरण नीति का हर मीडिया प्लेटफॉर्म पर पुरजोर समर्थन कर रहे हैं.

'सराहनीय है स्थानांतरण नीति' :बीपीएससी शिक्षकों के संगठन बिहार युवा शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष दीपांकर गौरव ने बताया कि नई शिक्षक स्थानांतरण नीति बहुत शानदार है. देशभर में यह अनोखा नियमावली है, जिसमें प्रोबेशन पीरियड में कार्य करने वाले शिक्षकों को स्थानांतरण में शामिल होने का मौका मिल रहा है.

''शुरुआत में हम लोगों को कहा गया था कि मेरिट के आधार पर पोस्टिंग होगी, लेकिन रेंडमाइजेशन तरीके से पोस्टिंग हो गई. ऐसे में बीपीएससी के तहत उन लोगों की पोस्टिंग घर से 200 से 400 किलोमीटर की दूरी पर हो गई. ऐसे में नई नियमावली से बीपीएससी शिक्षकों को घर के 20 से 40 किलोमीटर के दायरे के विद्यालय में काम करने का मौका मिलेगा.''-दीपांकर गौरव, प्रदेश अध्यक्ष, बिहार युवा शिक्षक संघ

8 जिलों में शैक्षणिक अनुमंडल की आवश्यकता :दीपांकर गौरव ने कहा कि इस नियमावली में बस थोड़ी सुधार की आवश्यकता है. प्रदेश के 38 में से 8 जिले ऐसे हैं जहां सिर्फ एक अनुमंडल है. ऐसे में इन जिलों में शैक्षणिक अनुमंडल बनाकर शिक्षकों के स्थानांतरण का प्रबंध करना चाहिए.

''शिक्षा विभाग को छोड़कर सरकार में दूसरा कोई विभाग नहीं है जहां घर से इतने नजदीक लोगों को काम करने का मौका मिलता है. महिला शिक्षकों के लिए पंचायत से बाहर और पुरुष शिक्षकों के लिए अनुमंडल से बाहर की पोस्टिंग का वह पुरजोर समर्थन करते हैं.''-दीपांकर गौरव, प्रदेश अध्यक्ष, बिहार युवा शिक्षक संघ

नियोजित शिक्षकों में पुरुष वर्ग कर रहा बहिष्कार :नियोजित शिक्षकों के संगठन बिहार राज्य विद्यालय अध्यापक संघ के अध्यक्ष अमित विक्रम ने बताया कि निश्चित तौर पर बीपीएससी शिक्षक इस नीति का समर्थन करेंगे, क्योंकि इससे वह अपने घर के करीब आएंगे. बीपीएससी शिक्षकों को पोस्टिंग के लिए आवेदन करके घर के करीब भी आना चाहिए.

''नियोजित शिक्षक इस नीति से अपने घर से दूर हो रहे हैं, इसलिए नियोजित शिक्षकों में पुरुष वर्ग खासकर नई स्थानांतरण नीति का बहिष्कार कर रहे हैं. अब तक नियोजित शिक्षक वर्षों से घर के पास में विद्यालय में शैक्षिक कार्य करते रहे हैं. अब उनके घर से पोस्टिंग कोसों दूर हो जाएगी, तो शिक्षकों के परिवार में पारिवारिक समस्या उत्पन्न हो जाएगी.''- अमित विक्रम, अध्यक्ष, बिहार राज्य विद्यालय अध्यापक संघ

'जो जहां है वहीं बनाए राज्य कर्मी' :अमित विक्रम ने कहा कि नियोजित शिक्षकों में पुरुष वर्ग पॉलिसी का बहिष्कार कर रहा है और इस कारण यह वर्ग पोस्टिंग के लिए आवेदन नहीं करेगा. उनकी मांग यही है कि महिला शिक्षकों के तर्ज पर पंचायत से बाहर की पुष्टि पूर्ण शिक्षकों को दिया जाए जो वर्षों से अपने घर के पास कार्यरत है. उनकी मांग यह है कि नियोजित शिक्षकों को उनके ही विद्यालय में राज्य कर्मी का दर्जा दे दिया जाए अथवा आसपास के विद्यालय में पोस्टिंग दी जाए ताकि शिक्षक अपने घर से दूर ना हो. कई शिक्षकों की उम्र 50 वर्ष से अधिक हो गई है और अभी तक घर के नजदीक ही काम करते रहे हैं. इस स्थिति में घर से अधिक दूर जाकर काम करना व्यावहारिक नहीं है.

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