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Rajasthan: दरगाह में मंदिर का दावा: कोर्ट ने स्थानांतरण याचिका की अस्वीकार, कहा-संबंधित कोर्ट में वाद वेश करने के लिए परिवादी स्वतंत्र - PETITION ON AJMER DARGARH

अजमेर दरगाह में ​मंदिर का दावा करने वाली याचिका को कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि इसे संबंधित कोर्ट में पेश करें.

Claim of temple in dargah
दरगाह में मंदिर का दावा (ETV Bharat Ajmer)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 22, 2024, 7:25 PM IST

अजमेर:ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में संकट मोचन शिव मंदिर होने का दावा कर सीजेएम कोर्ट में दाखिल हुई याचिका की सुनवाई के लिए क्षेत्राधिकार कोर्ट तय करने के लिए परिवादी की ओर से लगाई गई स्थानांतरण याचिका को सुनवाई के बाद सेशन कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया. सेशन कोर्ट ने सीजेएम कोर्ट के पूर्व के आदेशों को ही यथावत रखा है. बता दें कि सीजेएम कोर्ट ने परिवादी को संबंधित कोर्ट में सुनवाई के लिए वाद पेश करने के लिए कहा था.

याचिकाकर्ता ने बताया क्या है आगामी रणनीति (ETV Bharat Ajmer)

परिवादी हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने बताया कि मंगलवार को सेशन कोर्ट में स्थानांतरण याचिका पर सुनवाई हुई. सेशन कोर्ट ने स्थानांतरण याचिका को अस्वीकार करते हुए सीजेएम कोर्ट की ओर से पूर्व में दिए आदेशों को ही यथावत रखा है. सेशन कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि परिवादी अपना वाद संबंधित कोर्ट में पेश करने के लिए स्वतंत्र है. गुप्ता ने बताया कि जल्द ही वाद में रही कमी पेशियों को दूर कर संबंधित कोर्ट में वाद पेश किया जाएगा.

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यह है मामला: हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने अजमेर की सीजेएम कोर्ट में दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा याचिका के माध्यम से पेश किया था. इस याचिका पर 25 सितंबर को सुनवाई होनी थी. याचिका की फाइल क्षेत्राधिकार में उलझ गई. सीजेएम कोर्ट ने याचिका को अस्वीकार करते हुए कहा कि यह दावा उनके क्षेत्राधिकार में नहीं है. ऐसे में याचिका कर्त्ता ने सेशन कोर्ट में वाद की सुनवाई के लिए उपयुक्त कोर्ट तय करने के लिए स्थानांतरण याचिका लगाई थी. हिन्दू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने दावा किया कि दरगाह में जहां मजार है, वहां कभी शिव मंदिर था. मंदिर को तोड़कर दरगाह बनाई गई है.

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अजमेर के हर बिलास शारदा की लिखी पुस्तक है बड़ा साक्ष्य: याचिका कर्त्ता का दावा है कि दरगाह में शिव मंदिर होने का सबसे बड़ा प्रमाण सन 1912 की लिखी हुई हरबिलास शारदा की पुस्तक है. पुस्तक में यह भी उल्लेख है कि यहां मंदिर में ब्राह्मण परिवार की ओर से पूजा-अर्चना और सेवा की जाती थी. हरबिलास शारदा उस समय में नगर पालिका में कमिश्नर रहे और उसके बाद जिला जज भी रहे.

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गुप्ता ने दावा किया है कि दरगाह में जो भी स्ट्रक्चर बने हैं, वे हिंदू और जैन मंदिरों को तोड़कर उनके अवशेषों से बने हैं. दरगाह में बुलंद दरवाजे पर भी ऐसे कई प्रतीक हैं. उन्होंने यह भी कहा कि मुगल अपना इतिहास लिखवाया करते थे. मसलन अकबर ने अकबरनामा, शाहजहां ने शाहजहांनामा लिखवाया. इन दस्तावेजों में उनके अजमेर आने का कोई प्रमाण नहीं है. उनका दावा है कि एएसआई सर्वे में हिन्दू मंदिर होने का खुलासा हो जाएगा.

याचिका में की गई थी यह तीन मांग:

  1. दरगाह को संकट मोचन मंदिर घोषित किया जाए.
  2. हिंदुओं को पूजा-पाठ का अधिकार दिया जाए.
  3. एएसआई सर्वे किया जाए, जिससे स्थिति स्पष्ट हो जाए.

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