लखनऊ: डायरिया की चपेट में आने से हर साल लाखों बच्चे बीमार हो रहे हैं. काफी बच्चे दम भी तोड़ रहे हैं. इन बच्चों की जान आसानी से बचाई जा सकती है. रोटावायरस का टीका लगवाकर बच्चों को जानलेवा डायरिया से बचा सकते हैं. वहीं डायरिया होने पर ओआरएस का घोल पिलाएं. इससे आसानी से डायरिया पर काबू पाया जा सकता है.
सोमवार को शहीद पथ स्थित मातृ शिशु एवं रेफरल हॉस्पिटल में ओआरएस जागरुकता सप्ताह मनाया गया. लोहिया संस्थान के निदेशक डॉ. सीएम सिंह ने कहा, कि पांच साल तक के बच्चों को टीकाकरण कराएं. सरकारी अस्पतालों में सभी टीके मुफ्त लगाए जा रहे हैं. टीकाकरण न होने से बच्चों में रोगों से लड़ने की ताकत कम हो जाती है. नतीजतन बीमारी आसानी से घेर लेती है. दूषित भोजन-पानी से बच्चे डायरिया की चपेट में आ जाते हैं. समय पर इलाज न होने से बच्चे की जान तक जा सकती है. वहीं बार-बार डायरिया होने से बच्चे कुपोषण की चपेट में आ सकते हैं. ओआरएस और जिंक देने से बीमारी आसानी से काबू में आ सकती है.
डॉ. पीयूष उपाध्याय ने कहा, कि साफ सफाई, ओआरएस और जिंक से हम डायरिया से होने वाली मृत्यु दर को शून्य पर ला सकते हैं. यदि दस्त में ओआरएस और जिंक का असर नहीं हो रहा है, पेशाब कम हो रहा है, बच्चा सुस्त हो रहा है. मल में खून आ रहा हैद. बच्चा ओआरएस नहीं पी रहा है, तो बच्चे को तुरंत नजदीक अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए. बाल रोग विभाग की अध्यक्ष डॉ. दीप्ति अग्रवाल, डॉ. एसडी कांडपाल ने डायरिया में ओआरएस के सही उपयोग और लाभों के बारे में विस्तार से बताया. इस अवसर पर मातृ शिशु रेफरल हॉस्पिटल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. श्रीकेश सिंह समेत अन्य डॉक्टर मौजूद रहे.
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