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खुशखबरी ; गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बच्चों के टेढ़े मेढ़े हाथ पैरों का इलाज शुरू - BRD Medical College Gorakhpur

गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में अब टेढ़े मेढ़े हाथ पैरों के इलाज की सुविधा शुरू हो गई है. मेडिकल काॅलेज के हड्डी रोग विभागाध्यक्ष डॉ. पवन प्रधान के मुताबिक टेक्नीशियन और फिजियोथेरेपिस्ट की तैनाती के बाद अब मरीजों को इधर उधर भटकना नहीं पड़ेगा. BRD Medical College Gorakhpur

गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज में सुविधाएं.
गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज में सुविधाएं. (Photo Credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 21, 2024, 11:58 AM IST

गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज में टेढ़े मेढ़े हाथ पैरों के इलाज की सुविधा शुरू. (Video Credit : ETV Bharat)

गोरखपुर : बीआरडी मेडिकल कॉलेज के हड्डी रोग विभाग में टेक्नीशियन और फिजियोथेरेपिस्ट की तैनाती के बाद ऑर्थो सर्जरी (गैट लैब) की सुविधा शुरू हो गई है. अब बीआरडी मेडिकल काॅलेज में लड़खड़ाहट और हड्डियों के टेढ़ेपन की जांच हो सकेगी. अभी तक ऐसे मरीजों को एक्स रे के बाद लखनऊ या अन्य अस्पतालों के लिए रेफर किया जाता था. बहरहाल करीब दो करोड़ रुपये खर्च करने के बाद गैट लैब में मशीन और पांच कैमरे लगाए गए हैं. जिसमें टेढ़े-मेढ़े पैर के शिकार मरीजों के चलने की गति और प्रवृत्ति का आंकलन हो सकेगा.

हड्डी रोग विभाग के विभाग अध्यक्ष डॉ. पवन प्रधान बताते हैं कि न्यूरो की समस्या या फिर किसी अन्य बीमारी की चपेट में या फिर अनुवांशिकी लक्षण की वजह से जो कोई भी, चलने-फिरने में असमर्थ होता है. उसके पैर टेढ़े-मेढ़े हो जाते हैं वह लड़खड़ा कर चलता है. ऐसी समस्या का इलाज यहां कराया सकता है. उसके लिए ऑर्थो डिपार्टमेंट के चिकित्सकों की टीम है. बाल रोग संस्थान में भी आने वाले बच्चों की निगरानी के साथ, उनके रिहैबिलिटेशन के बाबत इलाज की सुविधा है.

डॉ. पवन प्रधान के मुताबिक पहले लोग लखनऊ और दिल्ली इलाज के लिए दौड़ते थे, लेकिन अब उन्हें गोरखपुर में ही इलाज मिल जाएगा. पूर्वांचल, पश्चिम विहार और नेपाल के मरीज भी इसका लाभ उठा सकेंगे. इंसेफेलाइटिस की बीमारी की वजह से तमाम बच्चे इस तरह की समस्या के शिकार हो गए थे. जिनके इलाज के लिए वर्ष 2017-18 में मेडिकल कॉलेज में गेट लैब की स्थापना की गई थी, लेकिन कुछ कारणवश और तकनीशियन और फिजियोथैरेपिस्ट के अभाव में शुरू नहीं हो पा रही थी.

डॉ. पवन प्रधान ने बताया कि गेट एनालिसिस मशीन में कुल पांच कैमरे लगाए गए हैं जो एक बड़े हाल में स्थापित हैं. यह कैमरे रोगी के चलते समय उसकी विभिन्न एंगल से फोटो खींचते हैं वीडियो बनाते हैं. उसमें लगा सॉफ्टवेयर उसका एनालिसिस करता है और रिजल्ट स्क्रीन पर देता है. इससे पता चलता है कि कौन सी मांसपेशी कमजोर है और कहां पर भार ज्यादा पड़ रहा है. इससे हड्डियों की कमजोरी और उसका टेढ़ापन पकड़ में आ जाता है. इसके बाद उपचार आसान हो जाता है. इलाज और फीजियोथैरेपी से समस्या धीरे-धीरे दूर हो जाती है. मरीज सामान्य लोगों की तरह चलने फिरने लगता है. शुरुआत में करीब 12 से 15 मरीज इलाज करा रहे हैं.

यह भी पढ़ें : NICU में मां करेगी नवजात शिशु की देखभाल, BRD मेडिकल कॉलेज की पहल, नर्स के साथ मां भी रहेगी मौजूद - BRD Medical College GORAKHPUR

यह भी पढ़ें : जानिए क्यों मनाया जाता है विश्व सिकल सेल एनीमिया दिवस, अगर ये लक्षण हैं तो डॉक्टर से परामर्श करना है जरूरी - World Sickle Cell Anemia Day 2024

गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज में टेढ़े मेढ़े हाथ पैरों के इलाज की सुविधा शुरू. (Video Credit : ETV Bharat)

गोरखपुर : बीआरडी मेडिकल कॉलेज के हड्डी रोग विभाग में टेक्नीशियन और फिजियोथेरेपिस्ट की तैनाती के बाद ऑर्थो सर्जरी (गैट लैब) की सुविधा शुरू हो गई है. अब बीआरडी मेडिकल काॅलेज में लड़खड़ाहट और हड्डियों के टेढ़ेपन की जांच हो सकेगी. अभी तक ऐसे मरीजों को एक्स रे के बाद लखनऊ या अन्य अस्पतालों के लिए रेफर किया जाता था. बहरहाल करीब दो करोड़ रुपये खर्च करने के बाद गैट लैब में मशीन और पांच कैमरे लगाए गए हैं. जिसमें टेढ़े-मेढ़े पैर के शिकार मरीजों के चलने की गति और प्रवृत्ति का आंकलन हो सकेगा.

हड्डी रोग विभाग के विभाग अध्यक्ष डॉ. पवन प्रधान बताते हैं कि न्यूरो की समस्या या फिर किसी अन्य बीमारी की चपेट में या फिर अनुवांशिकी लक्षण की वजह से जो कोई भी, चलने-फिरने में असमर्थ होता है. उसके पैर टेढ़े-मेढ़े हो जाते हैं वह लड़खड़ा कर चलता है. ऐसी समस्या का इलाज यहां कराया सकता है. उसके लिए ऑर्थो डिपार्टमेंट के चिकित्सकों की टीम है. बाल रोग संस्थान में भी आने वाले बच्चों की निगरानी के साथ, उनके रिहैबिलिटेशन के बाबत इलाज की सुविधा है.

डॉ. पवन प्रधान के मुताबिक पहले लोग लखनऊ और दिल्ली इलाज के लिए दौड़ते थे, लेकिन अब उन्हें गोरखपुर में ही इलाज मिल जाएगा. पूर्वांचल, पश्चिम विहार और नेपाल के मरीज भी इसका लाभ उठा सकेंगे. इंसेफेलाइटिस की बीमारी की वजह से तमाम बच्चे इस तरह की समस्या के शिकार हो गए थे. जिनके इलाज के लिए वर्ष 2017-18 में मेडिकल कॉलेज में गेट लैब की स्थापना की गई थी, लेकिन कुछ कारणवश और तकनीशियन और फिजियोथैरेपिस्ट के अभाव में शुरू नहीं हो पा रही थी.

डॉ. पवन प्रधान ने बताया कि गेट एनालिसिस मशीन में कुल पांच कैमरे लगाए गए हैं जो एक बड़े हाल में स्थापित हैं. यह कैमरे रोगी के चलते समय उसकी विभिन्न एंगल से फोटो खींचते हैं वीडियो बनाते हैं. उसमें लगा सॉफ्टवेयर उसका एनालिसिस करता है और रिजल्ट स्क्रीन पर देता है. इससे पता चलता है कि कौन सी मांसपेशी कमजोर है और कहां पर भार ज्यादा पड़ रहा है. इससे हड्डियों की कमजोरी और उसका टेढ़ापन पकड़ में आ जाता है. इसके बाद उपचार आसान हो जाता है. इलाज और फीजियोथैरेपी से समस्या धीरे-धीरे दूर हो जाती है. मरीज सामान्य लोगों की तरह चलने फिरने लगता है. शुरुआत में करीब 12 से 15 मरीज इलाज करा रहे हैं.

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