छिंदवाड़ा: मध्य प्रदेश का अमरनाथ कहे जाने वाले नागलोक की यात्रा 1 अगस्त से शुरू होने वाली है. श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की परेशानी न हो इसके लिए सभी पॉइंट्स पर व्यवस्था की गई है. इस यात्रा के दौरान कोई भी वाहन मालिक भक्तों से मनमाना किराया वसूल ना कर सके, इसलिए जिला प्रशासन में किराया निर्धारित किया है. इस लिस्ट में जानिए कितना किराया देकर पहुंच सकते हैं नागलोक.
सिर्फ 10 दिन के लिए खुलता है नागलोक का द्वार
सतपुड़ा के घने जंगलों के बीच में विराजित नाग चंद्रशेखर का मंदिर है, जो 10 दिनों के लिए सावन के महीने में खोला जाता है. जंगलों के बीच इस कठिन यात्रा के कारण इसे मध्य प्रदेश का अमरनाथ भी कहा जाता है. जंगल के बीच का रास्ता इतना दुर्गम है कि यहां पर सैकड़ों प्रजाति के सांप और नागों के दर्शन रास्ते में होते हैं, लेकिन किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के इलाके में होने की वजह से साल में सिर्फ पूजा के लिए सावन के महीने में 10 दिनों के लिए इसे खोला जाता है. बाकी पूरे साल यहां आना-जाना बंद रहता है.
दो दिनों तक नागों की बस्ती से होकर गुजरते हैं श्रद्धालु
घने जंगलों और पहाड़ियों के बीच करीब 12 से 15 किलोमीटर का पैदल सफर करने के बाद नाग चंद्रशेखर मंदिर के दर्शन हो पाते हैं. इस यात्रा के बीच में श्रद्धालुओं को सांपों की बस्ती से होकर गुजरना पड़ता है. जिसमें कई जहरीले सांप और नाथ के दर्शन होते हैं, लेकिन वे किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. इस यात्रा में पैदल चलने के दौरान दो दिनों का समय लगता है. जंगलों के बीच से गुजरने के बाद करीब 100 फीट लंबी चिंतामणि की गुफा से भक्त गुजरते हैं और उसके बाद फिर करीब 35 फीट लंबी गहरी और अंधेरी गुफा से होकर गुजरने के बाद नागलोक में नाग देवता के दर्शन हो पाते हैं.