छिन्दवाड़ा। कई ऐसे पेड़ पौधे होते हैं जो आपके आसपास ही पाए जाते हैं, लेकिन जानकारी के अभाव में हम उनका उपयोग नहीं कर पाते हैं. ऐसा ही एक पेड़ है जिसे अर्जुन के नाम से जाना जाता है. ये पेड़ दिल की बीमारी सहित कई रोगों के लिए रामबाण इलाज है. यह पेड़ आसानी से नदी और नालों के किनारे मिल जाता है. तो आइए जानते हैं कि किन किन बीमारियों में ये पौधा काम आता है और इसका काढ़ा कैसे बनाया जा सकता है.
हृदयरोग के लिए वरदान है अर्जुन की छाल
अर्जुन के वृक्ष नदी नाले के आसपास पाए जाते हैं, जो कि 30- 40 फीट की ऊंचाई तक के हो सकते हैं. इसे चार पंखों वाले फल के कारण आसानी से पहचाना जा सकता है. अर्जुन का वृक्ष आपने आप में एक दिव्य चमत्कारिक औषधि है. इसका सबसे ज्यादा प्रयोग ह्रदय संबंधी बीमारी, मधुमेह और टूटी हड्डियों को जोड़ने के लिए किया जाता है. इसके तनों की छाल को पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर सीधा भी प्रयोग किया जा सकता है. इसमें टैनिन, एल्कलॉइड, कार्बोहाइड्रेट टरपीनोइड्स, स्टेरॉइड्स, फ्लेवेनोइड्स व फिनॉल उत्पाद पाए जाते हैं. जिसके कारण कई असाध्य रोगों पर यह कारगर औषधि की तरह सटीक इलाज करता है. इसके साथ ही यह बुखार, दर्द सूजन, परजीवी आक्रमण के लिए रामबाण औषधि है. मंद पड़े हृदय को इसके सेवन से नई चेतना मिलती है. बीमारी के बाद शरीर को पुनः हष्ट पुष्ट बनाने के लिए यह मास्टरमाइंड है.
कई शोधों में माना गया इसका लोहा
शासकीय महाविद्यालय चौरई में वनस्पति शास्त्र विभाग के प्रोफेसर डॉ. विकास शर्मा ने बताया कि "जनरल ऑफ ट्रेफिशनल एंड कॉम्पलेमेंट्री मेडिसिन के शोध पत्र, रिवीलिंग टर्मिनेलिया अर्जुना एन एंसीएन्ट कार्डियोवैस्कुलर ड्रग सहित कई अन्य शोध पत्र इस बात को प्रमाणित करते हैं कि इसकी छाल के काढ़े से सीने के दर्द, तनाव, उच्च रक्तचाप, हृदयाघात सहित कोलेस्ट्रॉल की समस्या से मुक्ति मिलती है."
ऐसे तैयार होता है काढ़ा