छिन्दवाड़ा: मध्य प्रदेश में सरकारी स्कूलों का हाल-बेहाल है. छिंदवाड़ा प्रदेश और देश का हाई प्रोफाइल जिला है. हाल ही में खत्म हुए लोकसभा चुनाव में देश और प्रदेश के सभी बड़े नेताओं ने यहां का दौरा किया था. कांग्रेस ने इसी जिले को अपना विकास मॉडल बताकर सरकार तक बनाई थी. लेकिन इस जिले की हकीकत कुछ और ही नजह आती है. सरकार प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में बड़े-बड़े सुधार का दावा करती है, लेकिन सिर्फ छिंदवाड़ा जिले के सरकारी स्कूलों की हकीकत सरकार के सभी दावों पर सवालिया निशान लगा देती है. छिंदवाड़ा में 500 स्कूल ऐसे हैं जो कभी भी धराशाई हो सकते हैं. इसके अलावा सैकड़ों स्कूल ऐसे हैं जहां टीचर नहीं होने की वजह से बच्चे बिन ज्ञान घर लौट आते हैं.
स्कूलों में टपक रहा पानी, क्लास लगाना मुश्किल
छिन्दवाड़ा में 74 प्राथमिक शाला भवन और 5 माध्यमिक शाला भवन जर्जर हो गए हैं. बारिश के मौसम में इन स्कूलों में कक्षाएं लगाना बहुत मुश्किल हो गया है. पिछले तीन सालों से जिला शिक्षा केन्द्र के अधिकारी वार्षिक कार्य योजना में इसकी रिपोर्ट बनाकर ऊपरी कार्यालयों भेज रहे हैं. रिपोर्ट के अनुसार 74 प्राथमिक स्कूल भवन जर्जर हो चुके हैं. सरकारी फंड नहीं मिलने के कारण इनकी मरम्मत नहीं हो पा रही है. ऐसी स्थिति में जर्जर भवनों में ही कक्षाएं लगाना मजबूरी हो गई है. सबसे ज्यादा परेशानी बारिश के मौसम में होती है. बरसात में छतों से पानी टपकता है जिससे छतों पर पॉलिथिन लगाकर जैसे-तैसे पढ़ाई कराई जा रही है. कई स्कूलों की दिवारों में दरारें भी आ गई हैं.
हादसों से नहीं लिया सबक
पिछले महीने परासिया के बाघबर्धिया में एक स्कूल भवन की छत का एक हिस्सा ढह जाने से एक बच्चा घायल हो गया था. बाघबर्धिया के मिडिल स्कूल भवन में आंगनबाड़ी केन्द्र संचालित होता है. वार्षिक कार्य योजना में कक्षा आठवीं तक के लिए 83 अतिरिक्त कक्षाओं की जरुरत बताई गई है. इसके अलावा 83 गर्ल्स टॉयलेट और 71 ब्वॉयज टॉयलेट की डिमांड रखी गई है. 189 स्कूल ऐसे हैं जिनमें विद्युतीकरण नहीं हुआ है. वहीं 2750 स्कूलों में फर्नीचर नहीं है. पिछली वार्षिक कार्य योजना में 225 से ज्यादा शासकीय प्राथमिक-माध्यमिक शालाओं की मरम्मत के लिए पैसों की मांग की गई थी लेकिन सिर्फ एक स्कूल की मरम्मत के लिए पैसा मिला था.
500 से ज्यादा स्कूलों की हालत खस्ता
जिला शिक्षा केन्द्र के डीपीसी जेके इड़पाची ने बताया कि, '74 प्राथमिक और पांच माध्यमिक शाला भवन है जो जर्जर हो चुके हैं और इनके सुधार की जरुरत है. 506 ऐसे स्कूल भवन हैं जो दस साल से ज्यादा पुराने हो चुके और इनमें मेजर रिपेयरिंग की आवश्यकता है. वार्षिक कार्य योजना में इसकी डिमांड रखी गई है. जिन स्कूलों के भवन ज्यादा जर्जर हो गए है वहां पर शिक्षकों को सावधानी से स्कूल चलाने के लिए कहा गया है.'