कोरबा:छेरछेरा तिहार छत्तीसगढ़ का लोकपर्व है. नए फसल को काटने की खुशी में इसे मनाया जाता है. गांव में जब किसान धान की कटाई और मिसाई पूरी कर लेते हैं. लगभग 2 महीने फसल को उगाने से लेकर घर तक लाने में जो जी-तोड़ मेहनत करते हैं. उसके बाद फसल को समेट लेने की खुशी में इस त्यौहार को मनाया जाता है.
छत्तीसगढ़ में धूमधाम से मनाया जा रहा लोकपर्व छेरछेरा, घर-घर बच्चों की टोली मांग रही दान
Chherchhera Folk Festival छत्तीसगढ़ का पहला पर्व छेरछेरा धूमधाम से मनाया जा रहा है. गुरुवार के सुबह से ही बच्चे हाथों में फैला लेकर घर-घर चावल और धान इकट्ठा कर रहे हैं.Korba of Chhattisgarh
By ETV Bharat Chhattisgarh Team
Published : Jan 25, 2024, 4:24 PM IST
बच्चों के बीच छेरछेरा का उत्साह :छेरछेरा पर्व में बच्चों की टोलियां "छेरछेरा कोठी के धान ला हेरहेरा" का नारा लगाकर घर-घर जाकर चावल इकट्ठा करते हैं. फिर शाम को इसी चावल से पिकनिक मनाते हैं. छेरछेरा के पर्व को लेकर खासतौर पर बच्चों में खासा उत्साह रहता है. यह छत्तीसगढ़ के परंपरा का एक रूप है. यह पर्व पौष पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. यह अन्नदान का महापर्व है.
याद आते हैं बचपन के दिन :कोरबा शहर के निवासी उमेश तिवारी के मुताबिक सुबह से ही बच्चे घर आकर छेरछेरा में चावल मांग रहे हैं. काफी उत्साह और खुशी से हम यह त्योहार मनाते हैं, और खुशी से अन्नदान करते हैं. इस दौरान हमें भी अपना बचपन याद आता है.वहीं विष्णु शंकर मिश्रा के मुताबिक एक खास तिथि को मनाया जाता है. पौष पूर्णिमा के दिन ही इस पर्व को मनाए जाने की परंपरा है. किसान जब खेतों से अपने धान को घर ले आते हैं. तब बच्चे उनसे अन्नदान करने को कहते हैं. यह पर्व छत्तीसगढ़ में काफी हर्ष और उल्लासपूर्वक मनाया जाता है.
बच्चे घर-घर जाकर मांगते हैं अन्न :छेरछेरा छत्तीसगढ़ के समृद्ध परंपरा का एक भाग है किसान जब खेत से धन लाकर अपनी कोठी में संग्रहित कर लेते हैं. तब बच्चे हैं. उनसे अन्य दान मांगते हैं. वह घर-घर जाते हैं और अपने झोली फैलाकर किसानों से अन्नदान करने को कहते हैं. यह पर छत्तीसगढ़ में समृद्ध धान की खेती को भी दर्शाता है.