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धमतरी में दिव्यांग बच्ची से दुष्कर्म का मामला, हाईकोर्ट ने दोषी की सजा रखी बरकरार - Chhattisgarh High Court - CHHATTISGARH HIGH COURT

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने मानसिक रूप से कमजोर और मूक बधिर बच्ची से दुष्कर्म के केस में अपना फैसला सुनाया है. बिलासपुर हाई कोर्ट ने गांव के बच्चों की गवाही के आधार पर दोषी की सजा को उचित ठहराया है.

CHHATTISGARH HIGH COURT
बिलासपुर हाईकोर्ट (ETVBharat)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Aug 2, 2024, 10:58 PM IST

बिलासपुर :धमतरी जिले की मानसिक रूप से कमजोर मूक बधिर बच्ची से दुष्कर्म केस में बिलासपुर हाईकोर्ट ने दोषी की सजा को उचित ठहराया है. अपने साथ हुए अपराध के बारे में पीड़िता ट्रायल कोर्ट को नहीं बता पाई. किन्तु उसके साथ के गांव के बच्चों ने पूरी सच्चाई कोर्ट को बताई है. जिसके बाद बिलासपुर हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को यथावत रखा है.

निचली अदालत का फैसला बरकरार : छ्त्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बच्चों की गवाही और एफएसएल (फॉरेंसिक) रिपोर्ट को दोष सिद्धि के लिए पुख्ता साक्ष्य माना है. साथ ही बिलासपुर हाईकोर्ट ने आरोपी की अपील को खारिज करते हुए निचली अदालत के निर्णय को यथावत रखा है. विचारण न्यायालय ने आरोपी को 376 (2) में 10 वर्ष, एट्रोसिटी एक्ट में उम्रकैद और 5000 रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है.

हाईकोर्ट ने आदेश में क्या कहा : आरोपी ने सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील प्रस्तुत की. चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई. आरोपी ने अपील में कहा कि उसे झूठे केस में फंसाया गया है. पीड़िता का परीक्षण नहीं किया गया है. पीड़िता ने भी इस संबंध में कुछ नहीं कहा है. सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने आदेश में कहा कि पीड़िता मूक-बधिर और मानसिक रूप से फिट नहीं है, वह बोल भी नहीं सकती. इसलिए उससे गवाह के रूप में पूछताछ नहीं की गई.

हाईकोर्ट ने आदेश में आगे कहा, उसकी मां ने बताया है कि साथ गए बच्चों (गवाहों) ने पीड़िता को आरोपी द्वारा घर के अंदर खीचते देखा. बच्चों ने दरवाजे को धक्का दिया, तो देखा कि वह गलत काम कर रहा था. इसके अलावा, एफएसएल रिपोर्ट की रिपोर्ट से साबित होता है कि अपीलकर्ता ने पीड़िता के साथ दुष्कर्म किया है. इस आधार पर हाई कोर्ट आरोपी की अपील को खारिज करती है.

3 अगस्त 2019 की है घटना : धमतरी जिले में रहने वाली मानसिक रूप से कमजोर और मूक बधिर बच्ची 3 अगस्त 2019 की दोपहर गांव के अन्य बच्चों के साथ आरोपी चैन सिंह के घर टीवी देख रही थी. 3.30 बजे आरोपी आया और पीड़िता का हाथ पकड़ कर दूसरे कमरे में ले गया. उसके साथ टीवी देख रहे बच्चों ने दरवाजा धक्का देकर खोला तो देखा कि आरोपी पीड़िता के साथ गलत काम कर रहा था. इसके बाद आरोपी बच्ची को छोड़कर भाग गया. बच्चों ने इसकी जानकारी पीड़िता की मां को दी, जिसके बाद मां ने पुलिस में इसकी शिकायत दर्ज कराई थी. मेडिकल जांच में डॉक्टर ने पीड़िता के मानसिक अस्वस्थ व मूक बधिर होने की रिपोर्ट दी.

अदालत ने सुनाई आजीवन कारावास की सजा :पुलिस ने कपड़े जब्त कर एफएसएल जांच के लिए भेजा. सुनवाई के बाद दोष सिद्ध होने पर न्यायालय ने आरोपी को 376 (2) में 10 वर्ष कैद, 5000 रुपये अर्थदंड तथा पीड़िता के अनुसूचित जनजाति वर्ग से होने पर एट्रोसिटी एक्ट में आजीवन कारावास व 5000 रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है.

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