छतरपुर (मनोज सोनी): छतरपुर जिले की मिट्टी की तासीर ही अगल है. कभी महाराजा छत्रसाल की तलवार की गूंज पूरे बुंदेलखंड में गूंजा करती थी. वहीं खजुराहो की शिल्प कला ने इलाके को अमर कर दिया. अब उसी धरती पर देश दुनिया में अपनी अगल पहचान बनाने वाले सिद्ध पीठ बागेश्वर धाम पर सेवा, करुणा और सामाजिक उत्थान की गाथा लिखी जा रही है. 23 फरवरी और 26 फरवरी, ये दो तिथियां केवल एक पंचांग की तारीखें नहीं, बल्कि बुंदेलखंड के भाग्य को नया मोड़ देकर इतिहास बनने वाली हैं.
जहां 23 फरवरी को देश के प्रधानमंत्री केंसर हॉस्पिटल का भूमिपूजन करेंगे, तो वहीं 26 फरवरी को राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू कन्या विवाह की साक्षी बन कर वन वधू को आशीर्वाद देंगी. यह आयोजन केवल स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार या सामाजिक रस्म नहीं, बल्कि नई आशाओं, नई संभावनाओं और आत्मनिर्भरता के एक नए युग का प्रारंभ है. इस खास आयोजन को लेकर ETV भारत ने देश के जाने माने कथा वाचक बागेश्वर धाम के पीठाधीरश्वर धीरेन्द्र शास्त्री से खास बात की.
बुंदेलखंड में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार अभाव
कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के इलाज के लिए मरीजों को ग्वालियर, भोपाल, दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों की और जाना पड़ता था, लेकिन आने वाले समय में अब इस गंभीर बीमारी का इलाज देश के जाने माने तीर्थ धाम बागेश्वर धाम पर होगा. जिसका भूमिपूजन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करने वाले हैं. इसको लेकर बाबा बागेश्वर धीरेन्द्र शास्त्री ने कहा, ''बुंदेलखंड में शिक्षा,अच्छे स्वास्थ्य की कमी है, रोजगार का अभाव है, इसलिए पलायन होता है. लोग इलाज और मजदूरी के लिए भोपाल, इंदौर दिल्ली, मुम्बई सहित अन्य जगहों पर जाते हैं. ये हम नहीं सरकारी आंकड़े बताते हैं. लेकिन अब कैंसर जैसी बीमारी का बागेश्वर धाम स्थित अस्पताल में इलाज हो सकेगा.''