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इस नदी में मछलियों से ज्यादा घड़ियाल, PHOTO-VIDEO में देखें अंडों से कैसे निकले 900 बच्चे, मौज-मस्ती - chambal river crocodile sanctuary agra

CHAMBAL RIVER CROCODILE SANCTUARY AGRA: एशिया की सबसे बड़ी घड़ियाल (Alligator) सेंचुरी में 900 नन्हे मेहमानों की आमद हुई है. इससे सेंचुरी पूरी तरह से गुलजार नजर आ रही है. चलिए वीडियो और फोटों से आपकों इससे रूबरू कराते हैं.

CHAMBAL RIVER CROCODILE SANCTUARY AGRA
CHAMBAL RIVER CROCODILE SANCTUARY AGRA (photo credit: social media)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jun 10, 2024, 1:51 PM IST

Updated : Jun 11, 2024, 9:25 AM IST

CHAMBAL RIVER CROCODILE SANCTUARY AGRA: आगराः एशिया की सबसे बड़ी घड़ियाल (Alligator) सेंचुरी में घड़ियालों का कुनबा खूब बढ़ रहा है. आगरा जिले की बाह तहसील में बहने वाली चंबल नदी में रविवार को 900 नन्हें घड़ियालों ने पहली बार पानी में प्रवेश किया. चंबल सैंचुरी की बाह रेंज के महुआशाला, नंदगवां, हथकांत घाट पर घोंसले से निकले करीब 900 नन्हें घड़ियालों ने पहली बार नर घड़ियाल की पीठ पर सवार होकर चंबल नदी में पहुंचे. जिससे चंबल सैंचुरी के अधिकारी बेहद उत्साहित हैं.

चंबल नदी में घड़ियाल के बच्चों की संख्या बढ़ी. (photo credit: etv bharat)

बता दें कि, जब घोंसले से आई सरसराहट की आवाज (मदर कॉल) आने लगी तो पहुंची मादा घड़ियाल (मां) ने हैचिंग के लिए बालू में दबाएं अंडों को कुरेदा तो उनमें से नन्हे घड़ियाल निकलने लगे. जो नदी में मौजूद नर (पिता) की पीठ पर बैठकर नदी में पहुंचे. ये नजारा देख कर वन विभाग के अधिकरी बेहद खुश हैं. उन्होंने अपनी आंखों से ये नजारा देखा. अभी करीब एक सप्ताह तक घड़ियालों की हैचिंग चलेगी.

अठखेलिया करते घड़ियाल के बच्चे. (photo credit: social media)

112 ग्राम का होता है एक अंडा
बाह के रेंजर उदय प्रताप सिंह ने बताया कि, बाह रेंज में रविवार को घड़ियालों की हैचिंग चल रही है. पहले दिन अंडों से निकले करीब 900 बच्चे चंबल नदी तक पहुंचे हैं. घड़ियाल के एक अंडे का वजन करीब 112 ग्राम होता है. नन्हें घड़ियाल को जन्म के तीन माह तक भोजन की जरूरत नहीं होती है. जन्म लेने वाले पांच प्रतिशत घड़ियाल शिशु ही बच पाते हैं. तमाम नन्हें घड़ियाल शिशुओं को बड़ी मछली, बगुले जैसे पक्षी तो खा ही लेते हैं.

अंडे से निकलता घड़ियाल का बच्चा. (photo credit: etv bharat)
सेंचुरी का एक दृश्य. (photo credit: etv bharat)
नदी में अठखेलियां करते घड़ियाल के बच्चे. (photo credit: etv bharat)




पहले लखनऊ के कुकरैल में होती थी हैचिंग
बता दें कि, सन 1979 में जब चंबल नदी में लुप्तप्राय घड़ियालों का संरक्षण शुरू हुआ है तो घड़ियालों के अंडे लखनऊ के कुकरैल प्रजनन केंद्र में जाते थे. जहां पर विशेषज्ञों की देखरेख में हैचिंग होती थी.

एक नजारा. (photo credit: etv bharat)
14 साल से हो रही प्राकृतिक हैचिंग डीएफओ चंबल सेंचुरी आरुषि मिश्रा ने बताया कि, अब 14 साल से चंबल नदी में प्राकृतिक हैचिंग हो रही है. जिसके तहत मार्च के आखिर से अप्रैल तक बालू में बनाए घोंसले में घड़ियाल 35 से 60 तक अंडे देते हैं. जिन्हें जाली लगाकर प्रोटेक्ट किया जाता है. चंबल नदी किनारे नेस्ट सीजन में मादा घड़ियाल ने बालू में रखे अंडे कुरेदे तो अंडों से बाहर निकले नन्हे घड़ियालों ने चंबल नदी का रुख कर लिया. चंबल नदी में नर घड़ियालों ने उनका स्वागत किया.
अंडे से निकला घड़ियाल का बच्चा दिखाते ग्रामीण. (photo credit: etv bharat)



सन 1979 से चंबल नदी में हो रहा संरक्षण
बता दें कि, चंबल नदी में सन 1979 से घड़ियाल का संरक्षण किया जा रहा है. तब राजस्थान के पाली से पचनदा (इटावा, उप्र) तक तीन राजस्थान, राज्य मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश से होकर बहने वाली चंबल नदी में 1979 से विलुप्तप्राय स्थिति में पहुंचे घड़ियालों का संरक्षण (Protection of Alligators) हो रहा है. इसके लिए बीते 14 साल से चंबल नदी में प्राकृतिक हैचिंग हो रही है. हैचिंग का 65 से 70 दिन का पीरियड होने पर वन विभाग की ओर से नेस्टों पर लगी जाली हटा दी. वन विभाग नेस्टिंग के टाइम पर जीपीएस से लोकेशन ट्रेस करके जाली लगाता है. जिससे अंडों को नष्ट होने से बचाया जा सके.

नदी में घड़ियाल के बच्चे को छोड़ते लोग. (photo credit: etv bharat)
अंडे से निकलता घड़ियाल का बच्चा. (photo credit: etv bharat)



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Last Updated : Jun 11, 2024, 9:25 AM IST

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