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चालदा महासू महाराज की प्रवास यात्रा में उमड़ा आस्था का सैलाब, 2 साल के लिए दोहा गांव पहुंचे भगवान - Chalda Mahasu Maharaj Yatra - CHALDA MAHASU MAHARAJ YATRA

Chalda Mahasu Maharaj reached Doha village of Jaunsar Bawar चालदा महासू महाराज की डोली अपने 2 साल के प्रवास के लिए दोहा गांव पहुंच गई है. इस दौरान श्रद्धालुओं ने अपने ईष्ट देव का भक्ति भाव से स्वागत किया. श्रद्धालुओं ने चालदा महासू महाराज के जयकारे लगाए तो महिलाएं ने देवता की पालकी को धूप दीप देकर पुष्प वर्षा की.

Chalda Mahasu Maharaj
चालदा महासू यात्रा (Photo- ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jun 17, 2024, 12:15 PM IST

Updated : Jun 17, 2024, 1:13 PM IST

चालदा महासू महाराज की प्रवास यात्रा (Video- ETV Bharat)

विकासनगर: जौनसार के दोहा गांव पहुंचे चालदा महासू महाराज प्रवास यात्रा में आस्था का जनसैलाब उमड़ा. चालदा महासू महाराज करीब सौ साल बाद दो साल के प्रवास पर दोहा गांव के मंदिर में विराजित हुए. इस मौके पर क्षेत्र वासियों का भक्ति भाव देखते ही बनता था. चालदा महासू के जयकारों से पूरा इलाका गूंज उठा.

उत्तराखंड प्रदेश को देश विदेश में देवभूमि के नाम से जाना जाता है. यहां पर चारधामों सहित अनेकों देवालय और मंदिरों की श्रृंखलाएं देखने को मिलती हैं. उत्तराखंड के जिला देहरादून के जौनसार बावर जनजातीय क्षेत्र में अपने ईष्टदेव के प्रति अटूट आस्था और विश्वास है. क्षेत्र में मुख्य रूप से महासू देवता का पहला थान हनोल में स्थित है. द्वितीय थान थैना में स्थित है. थैना महासू थान मंदिर के चालदा महासू महाराज की प्रवास यात्रा 12 खत पट्टियों मे चलायमान रहती है.

इसी कड़ी में जौनसार के घणता गांव से चालदा महासू महाराज दोहा गांव के मंदिर में दो साल के लिए विराजित हुए. महाराज की पालकी के गांव में पहुंचते ही श्रद्धालुओं ने चालदा महाराज के जयकार लगाए, जिससे संपूर्ण क्षेत्र गुंजायमान हो उठा. महिलाओं ने देवता की पालकी को धूप दीप देकर फूलों की वर्षा की. इस दौरान देव दर्शन करने के लिए आस्था का जन सैलाब उमड़ पड़ा.

लोक पंचायत के सदस्य भारत चौहान ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड की बात करते हैं तो जौनसार बावर भी वर्तमान समय में आध्यात्म में डूबा हुआ है. चालदा महासू देवता दोहा गांव पहुंचे हैं. 2 साल के प्रवास पर देवता यहां रहेंगे. इसके बाद अगला पड़ाव 2026 में महाराज कस्ता गांव जाएंगे. उन्होंने बताया कि कचटा गांव में करीब 5 साल रखेंगे. वहीं प्रतिवर्ष गांव से महाराज यमुना स्नान करने जाएंगे और हर वर्ष में जागड़ा मनाया जाएगा. 5 साल के बाद चालदा महासू महाराज थैना मंदिर में पहुंचेंगे. उन्होंने बताया कि ऐसी मान्यता है कि चालदा महाराज को गढ़ चालदा भी बोला जाता है. जब शामूशाह राजा का आतंक बहुत अधिक बढ़ गया था, तब चालदा महासू महाराज गढ़ बैराट पर अवतरित हुए थे, ऐसी मान्यता है.
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Last Updated : Jun 17, 2024, 1:13 PM IST

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