कोटा: दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के निर्माणाधीन टनल में हुए हादसे को लेकर जांच के लिए केंद्र सरकार की तीन सदस्यीय टीम ने घटनास्थल का मुआयना किया. 30 नवंबर की रात को टनल निर्माण के दौरान एक दीवार गिरने से मिट्टी और मलबे में दबने से एक मजदूर की मौत हो गई थी, जबकि दो अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए थे.
जांच के लिए गठित कमेटी पहुंची कोटा :टनल हादसे की जांच के लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की ओर से गठित समिति सोमवार को कोटा पहुंची. इस समिति में रिटायर्ड डायरेक्टर जनरल (रोड) एसके निर्मल, रिटायर्ड एडिशनल डायरेक्टर एके श्रीवास्तव और टनल विशेषज्ञ आलोक पांडे शामिल हैं. कमेटी ने घटनास्थल और निर्माणाधीन टनल का गहन निरीक्षण किया. इस दौरान नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) के कोटा प्रोजेक्ट डायरेक्टर संदीप अग्रवाल और ठेकेदार फर्म के इंजीनियर भी मौजूद थे.
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टनल के डिजाइन दस्तावेज मांगे गए :जांच कमेटी ने टनल के डिजाइन और निर्माण से जुड़े दस्तावेज मांगे हैं. NHAI ने भी संबंधित दस्तावेज ठेकेदार फर्म से उपलब्ध कराने को कहा है. समिति हादसे के कारणों और निर्माण की सुरक्षा प्रक्रियाओं की समीक्षा कर रही है. टनल निर्माण के दौरान हादसा उस स्थान से 200 मीटर पहले हुआ, जहां "कर एंड कर्व" यानी आर्टिफिशियल टनल का निर्माण किया जाना था. हादसे के बाद निर्माण स्थल पर खड़ी की गई एक दीवार गिर गई, जिससे निर्माण में लगे श्रमिक प्रभावित हुए. इस घटना के बाद कोटा से लेकर दिल्ली तक हड़कंप मच गया.
जिम्मेदारियों पर कार्रवाई :टनल का निर्माण दिलीप बिल्डकॉन द्वारा किया जा रहा है, जिसमें अल्टिस होल्डिंग कॉरपोरेशन भी शामिल है. हादसे के बाद NHAI ने ठेकेदार कंपनी पर 50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. इसके साथ ही डिजाइनिंग और कंसल्टेंसी फर्म आईटीसी को नोटिस जारी किया गया है.
मुआवजा और बीमा क्लेम :दिलीप बिल्डकॉन ने मृतक श्रमिक शमशेर सिंह के परिजनों को 15 लाख रुपये का मुआवजा दिया है, जबकि घायलों को भी सहायता राशि प्रदान की गई है. कंपनी ने श्रमिकों के लिए बीमा कवर भी सुनिश्चित किया था, जिसके तहत परिजनों को अतिरिक्त सहायता दी जाएगी. जांच समिति जल्द ही अपनी रिपोर्ट मंत्रालय को सौंपेगी, जिसमें हादसे के कारणों और सुरक्षा उपायों की सिफारिशें शामिल होंगी। साथ ही, निर्माण कार्यों की निगरानी और सुरक्षा मानकों को और कड़ा किया जाएगा.