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विदेश भेजने के नाम पर जमकर हो रही ठगी, पौड़ी के युवक ने दर्ज करवाया केस - FRAUD IN NAME OF SENDING ABROAD

विदेश भेजने के नाम पर ठगी करने वाले आरोपी अंकुल सैनी समेत अन्य लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया है.

FRAUD IN NAME OF SENDING ABROAD
विदेश भेजने के नाम पर ठगी (PHOTO- ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 10, 2024, 10:09 PM IST

देहरादून: बेरोजगार लोगों को विदेश भेजने के नाम पर ठगी करने वाले कंसल्टेंसी फर्म के संचालक अंकुल सैनी और उसके सहयोगियों के खिलाफ आज एक अन्य युवक ने तहरीर दी है. पुलिस ने तहरीर के आधार पर केस दर्ज कर लिया है. आरोपी ने पीड़ित को लक्जमबर्ग भेजने के नाम पर 2 लाख रुपए की ठगी की थी. इससे पहले बीते शनिवार को कोतवाली पटेल नगर में अंकुल सैनी और उसके सहयोगियों के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज हुआ था. उसके बाद बीते रविवार को 2 अन्य युवकों ने भी शिकायत दर्ज कराई थी.

पौड़ी गढ़वाल के युवक ने दर्ज कराया केस:आज पौड़ी गढ़वाल निवासी शुभम सिंह द्वारा आरोपी अंकुल सैनी और उसकी पत्नी तराना सैनी के खिलाफ एक शिकायती प्रार्थना पत्र थाना क्लेमेंटटाउन में दिया गया है. जिसमें बताया गया कि आरोपी अंकुल सैनी और उसकी पत्नी तराना द्वारा लक्जमबर्ग भेजने के नाम पर उससे 2 लाख रुपए की धोखाधड़ी की गई थी. अब तक आरोपियों के खिलाफ मिली शिकायतों के आधार पर पुलिस द्वारा आरोपी अंकुल सैनी और उसकी पत्नी सहित अन्य सहयोगियों के खिलाफ अलग-अलग थानों में कुल 04 केस दर्ज किए गए हैं.

आर्मेनिया में फंसे अकरम ने मांगी मदद:एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि पुलिस द्वारा आरोपी के खिलाफ की गई कार्रवाई की खबर सुनकर आर्मेनिया में फंसे एक अन्य युवक अकरम द्वारा फेसबुक के माध्यम से दून पुलिस से संपर्क कर मदद मांगी गई थी. अकरम द्वारा बताया गया कि आरोपी अंकुल सैनी ने उसे भी फर्जी जॉब लेटर देकर आर्मेनिया भेजा था. वर्तमान में वह आर्मेनिया में फंसा हुआ है. उन्होंने कहा कि मामले में तत्काल संज्ञान लेते हुए दून पुलिस द्वारा आवश्यक वैधानिक कार्रवाई की जाएगी.

सोशल मीडिया पर 2 युवकों का वायरल हुआ था वीडियो:सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा था, जिसमें 2 युवकों ने बताया कि देहरादून स्थित कंसल्टेंसी फर्म के मालिक अंकुल सैनी द्वारा उनसे पैसे लेकर फर्जी ऑफर लेटर देकर नौकरी के लिये पहले उन्हें अजरबैजान भेजा गया और बाद में आर्मेनिया भेजा गया. आर्मेनिया में उन्हें कोई नौकरी नहीं मिली, जिससे वह वहां फंस गए हैं.

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