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रामपुर में जबरन जमीन नाम कराने का मामला; आजम खान की 27 मुकद्दमों की एक साथ सुनवाई की अपील कोर्ट ने खारिज की - Azam Khan appeal rejected

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता मोहम्मद आजम खान के लिए शनिवार दिन मुश्किलों भरा रहा. अदालत में आजम खान पक्ष की जौहर यूनिवर्सिटी से संबंधित 27 मामलों की सुनवाई एक साथ किए जाने की अपील कोर्ट ने खारिज कर दी. आरोप था कि किसानों को झूठे मुकदमों में फंसाने की धमकी देकर और हवालात में बंद कर जबरदस्ती जमीन नाम कराई गई.

आजम खान की अपील खारिज.
आजम खान की अपील खारिज. (Photo Credit; ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 8, 2024, 4:18 PM IST

आजम खान की अपील खारिज. (Video Credit; ETV Bharat)

रामपुर :समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता मोहम्मद आजम खान के लिए शनिवार दिन मुश्किलों भरा रहा. अदालत में आजम खान पक्ष की जौहर यूनिवर्सिटी से संबंधित 27 मामलों की सुनवाई एक साथ किए जाने की अपील कोर्ट ने खारिज कर दी. आरोप था कि किसानों को झूठे मुकदमों में फंसाने की धमकी देकर और हवालात में बंद कर जबरदस्ती जमीन नाम कराई गई. इन मामलों में पुलिस द्वारा न्यायालय में अलग-अलग आरोप पत्र भी दाखिल कर किए गए हैं, लेकिन आजम खान पक्ष का कहना था की यह सभी मामले एक प्रकृति के हैं और एक ही जैसी घटना से संबंधित हैं इसलिए इन सब की सुनवाई इकट्ठा एक जगह की जानी चाहिए. जिस पर विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट मजिस्ट्रेट ट्रायल शोभित बंसल ने इस अर्जी को निरस्त कर दिया. अब इन सभी मामलों की सुनवाई अलग-अलग ही होगी.

इस मामले पर वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी अमरनाथ तिवारी ने बताया कि आलियागंज के 27 किसानों द्वारा वर्ष 2019 में थाना अजीम नगर पर मुकदमा दर्ज कराया गया था कि जब जौहर विश्वविद्यालय का निर्माण किया जा रहा था तो मोहम्मद आजम खान और ट्रस्ट सदस्यों ने उनकी जमीन को यूनिवर्सिटी में शामिल करने के लिए सभी लोगों को झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी दी. झूठे मुकदमे दर्ज किए गए और जबरदस्ती उनके अंगूठे लगवाए गए. इसके साथ ही उनको मारा पीटा गया, हवालात में बंद किया गया. उनकी जमीन को हड़प लिया गया.

अभियुक्त मोहम्मद आजम खान, अब्दुल्लाह आजम, तंजीम फातिमा और आले हसन के द्वारा यह प्रार्थना पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया कि सभी मुकदमे एक ही घटना से संबंधित हैं और इन मुकदमों को एक साथ मर्ज कर दिया जाए. एक मुकदमा चलाया जाए, जिस पर अभियोजन द्वारा आपत्ति की गई. दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने आदेश पारित करते हुए प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया. अब सभी मुकदमे अलग-अलग ही चलेंगे.

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