ETV Bharat / state

हाईकोर्ट ने कहा- घरेलू हिंसा कानून की कार्रवाई के खिलाफ 482 की अर्जी पोषणीय - ALLAHABAD HIGH COURT

अदालत ने कहा किघरेलू हिंसा कानून के तहत न्यायिक मजिस्ट्रेट या सत्र न्यायालय के आदेश के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 482 की अर्जी पोषणीय है।

High court news
इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश (Photo Credit- ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 28, 2024, 10:38 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि घरेलू हिंसा कानून के तहत न्यायिक मजिस्ट्रेट या सत्र न्यायालय के आदेश के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 482 की अर्जी पोषणीय है. हाईकोर्ट न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग रोकने व न्याय हित में धारा 482 अब धारा 528 बीएनएस के तहत अपनी अंतर्निहित शक्ति का प्रयोग कर सकता है.

यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल ने देवेंद्र अग्रवाल व तीन अन्य सहित आधा दर्जन याचिकाओं पर उठे कानूनी मुद्दे को तय करते हुए दिया है. इसी के साथ कोर्ट ने घरेलू हिंसा कानून की कुछ कार्यवाही दीवानी प्रकृति का होने के कारण सत्र न्यायालय के आदेश के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 482 की अर्जी पोषणीय न मानने के सुमन मिश्रा केस के फैसले को हाईकोर्ट की दिनेश कुमार यादव केस पूर्ण पीठ के फैसले के विपरीत करार दिया.

अदालत ने कहा कि घरेलू हिंसा कानून के तहत कार्यवाही में अदालत के आदेश को सीआरपीसी की धारा 482 में चुनौती दी जा सकती है. कोर्ट ने याचियों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए याचिकाओं को गुण-दोष पर सुनवाई के लिए पेश करने का निर्देश दिया है. कोर्ट के समक्ष सरकारी वकील ने याचिकाओं की पोषणीयता पर आपत्ति की. कहा कि सीआरपीसी की धारा 482 के तहत घरेलू हिंसा कानून की कार्यवाही के खिलाफ अर्जी दाखिल नहीं की जा सकती.

सुप्रीम कोर्ट के सुमन मिश्रा केस के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि घरेलू हिंसा कानून में दीवानी प्रकृति के आदेश भी होते हैं, जो दंड प्रक्रिया संहिता के तहत नहीं किए जा सकते इसलिए इन्हें सीआरपीसी की धारा 482 में चुनौती नहीं दी जा सकती. सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि घरेलू हिंसा कानून की धारा 27 में न्यायिक मजिस्ट्रेट व धारा 28 में सत्र न्यायालय का उल्लेख है जो आपराधिक अदालत हैं इसलिए न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग रोकने के लिए न्याय हित में सीआरपीसी की धारा 482 की अर्जी पोषणीय है.


प्रयागराज के कमिश्नर पुलिस हाईकोर्ट में तलब
प्रयागराज: प्राथमिकी दर्ज करने में लापरवाही और जिम्मेदार पुलिस अधिकारी पर कार्रवाई नहीं होने पर हाईकोर्ट ने प्रयागराज के पुलिस कमिश्नर सहित अन्य अधिकारियों को तलब कर लिया है. यह आदेश बलराम यादव की अवमानना याचिका पर न्यायामूर्ति सलिल कुमार राय ने यह आदेश दिया. बलराम यादव ने का कहना था कि आरोप लगाया था कि उसके पिता की हत्या कर दी गई. ​शिकायत के बाद भी घूरपुर थाना प्रभारी ने राजनीतिक दबाव में आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की. जिस पर उसने याचिका दाखिल की. हाइकोर्ट ने मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया इसके बाद भी पुलिस ने कुछ नहीं किया.

कोर्ट ने इसे अदालत की अवमानना मानते हुए जवाब तलब किया अपर पुलिस आयुक्त ने कोर्ट में उपस्थित हो कर हलफनामा दायर किया. बताया कि मामले में 25 नवंबर को एफआईआर दर्ज कर ली गई है. और लापरवाह पुलिस अधिकारी के खिलाफ विभागीय जांच की जा रही है. कोर्ट ने कहा कि प्राथमिकी से ऐसा नहीं लगता कि दोषी पुलिस अधिकारी पर कोई कार्रवाई की जा रही है. कोर्ट ने एफआईआर ने इस पर जवाब देने के लिए पुलिस आयुक्त, पुलिस उपायुक्त ओर अन्य अधिकारियों को तलब किया है.

ये भी पढ़ें- आगरा में मेट्रो टनल की ड्रिलिंग से 151 मकानों में आई दरारें; दहशत में लोग, मंडलायुक्त को सुनाई अपनी पीड़ा

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि घरेलू हिंसा कानून के तहत न्यायिक मजिस्ट्रेट या सत्र न्यायालय के आदेश के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 482 की अर्जी पोषणीय है. हाईकोर्ट न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग रोकने व न्याय हित में धारा 482 अब धारा 528 बीएनएस के तहत अपनी अंतर्निहित शक्ति का प्रयोग कर सकता है.

यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल ने देवेंद्र अग्रवाल व तीन अन्य सहित आधा दर्जन याचिकाओं पर उठे कानूनी मुद्दे को तय करते हुए दिया है. इसी के साथ कोर्ट ने घरेलू हिंसा कानून की कुछ कार्यवाही दीवानी प्रकृति का होने के कारण सत्र न्यायालय के आदेश के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 482 की अर्जी पोषणीय न मानने के सुमन मिश्रा केस के फैसले को हाईकोर्ट की दिनेश कुमार यादव केस पूर्ण पीठ के फैसले के विपरीत करार दिया.

अदालत ने कहा कि घरेलू हिंसा कानून के तहत कार्यवाही में अदालत के आदेश को सीआरपीसी की धारा 482 में चुनौती दी जा सकती है. कोर्ट ने याचियों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए याचिकाओं को गुण-दोष पर सुनवाई के लिए पेश करने का निर्देश दिया है. कोर्ट के समक्ष सरकारी वकील ने याचिकाओं की पोषणीयता पर आपत्ति की. कहा कि सीआरपीसी की धारा 482 के तहत घरेलू हिंसा कानून की कार्यवाही के खिलाफ अर्जी दाखिल नहीं की जा सकती.

सुप्रीम कोर्ट के सुमन मिश्रा केस के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि घरेलू हिंसा कानून में दीवानी प्रकृति के आदेश भी होते हैं, जो दंड प्रक्रिया संहिता के तहत नहीं किए जा सकते इसलिए इन्हें सीआरपीसी की धारा 482 में चुनौती नहीं दी जा सकती. सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि घरेलू हिंसा कानून की धारा 27 में न्यायिक मजिस्ट्रेट व धारा 28 में सत्र न्यायालय का उल्लेख है जो आपराधिक अदालत हैं इसलिए न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग रोकने के लिए न्याय हित में सीआरपीसी की धारा 482 की अर्जी पोषणीय है.


प्रयागराज के कमिश्नर पुलिस हाईकोर्ट में तलब
प्रयागराज: प्राथमिकी दर्ज करने में लापरवाही और जिम्मेदार पुलिस अधिकारी पर कार्रवाई नहीं होने पर हाईकोर्ट ने प्रयागराज के पुलिस कमिश्नर सहित अन्य अधिकारियों को तलब कर लिया है. यह आदेश बलराम यादव की अवमानना याचिका पर न्यायामूर्ति सलिल कुमार राय ने यह आदेश दिया. बलराम यादव ने का कहना था कि आरोप लगाया था कि उसके पिता की हत्या कर दी गई. ​शिकायत के बाद भी घूरपुर थाना प्रभारी ने राजनीतिक दबाव में आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की. जिस पर उसने याचिका दाखिल की. हाइकोर्ट ने मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया इसके बाद भी पुलिस ने कुछ नहीं किया.

कोर्ट ने इसे अदालत की अवमानना मानते हुए जवाब तलब किया अपर पुलिस आयुक्त ने कोर्ट में उपस्थित हो कर हलफनामा दायर किया. बताया कि मामले में 25 नवंबर को एफआईआर दर्ज कर ली गई है. और लापरवाह पुलिस अधिकारी के खिलाफ विभागीय जांच की जा रही है. कोर्ट ने कहा कि प्राथमिकी से ऐसा नहीं लगता कि दोषी पुलिस अधिकारी पर कोई कार्रवाई की जा रही है. कोर्ट ने एफआईआर ने इस पर जवाब देने के लिए पुलिस आयुक्त, पुलिस उपायुक्त ओर अन्य अधिकारियों को तलब किया है.

ये भी पढ़ें- आगरा में मेट्रो टनल की ड्रिलिंग से 151 मकानों में आई दरारें; दहशत में लोग, मंडलायुक्त को सुनाई अपनी पीड़ा

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.