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स्वेच्छा से स्वीकार किए गए पेंशन कम्युटेशन को नहीं दे सकते चुनौती: हाईकोर्ट - ALLAHABAD HIGH COURT

कोर्ट ने पेंशन के लिए 15 साल की बहाली अवधि को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Photo Credit; ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 23, 2025, 10:36 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि स्वेच्छा से पेंशन कम्युटेशन की शर्तों को स्वीकार करने के बाद उसे चुनौती नहीं दी जा सकती है. कर्मचारी यह मांग नहीं कर सकते कि कम्युटेशन की रकम दस वर्ष में ही वसूली जा चुकी है, इसलिए पेंशन 15 वर्ष से पूर्व बहाल की जाए. कोर्ट ने पेंशन के लिए 15 साल की बहाली अवधि को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की. न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति डी. रमेश की खंडपीठ ने यह आदेश अशोक कुमार अग्रवाल व 48 अन्य की याचिका पर दिया.

मेरठ के अशोक कुमार अग्रवाल व 48 अन्य पंजाब नेशनल बैंक से सेवानिवृत्त हुए थे. पेंशन कम्युटेशन के तहत उन्होंने अपनी पेंशन का एक तिहाई हिस्सा 15 साल के लिए बेच दिया था. पेंशन बहाली की अवधि को घटाने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दा​खिल की.

कर्मचारियों का तर्क था कि नेशनल बैंक (कर्मचारी) पेंशन विनियमन, 1995 में उल्लेखित 15 साल की बहाली अवधि अत्यधिक है. इसे घटाकर 10 साल किया जाना चाहिए. दावा किया कि कम्युटेशन पर भुगतान की गई एकमुश्त राशि 10-11 वर्षों के भीतर कटौती के माध्यम से वसूल हो गई है. 15 साल की बहाली अवधि को अनिवार्य करने का प्रावधान मनमाना है.

खंडपीठ ने याचिका को खारिज कर दिया. न्यायालय ने कहा कि कर्मचारियों को कम्युटेशन का विकल्प चुनने से पहले शर्तों को पूरी तरह से समझने का अवसर प्रदान किया गया. एकमुश्त राशि के लिए परिवर्तित पेंशन केवल 15 वर्षों के बाद बहाल की जाएगी. यह तर्क की म्युटेशन राशि 10 साल में ही पूरी हो जाएगी, स्वीकार नहीं है. एक बार जब याचिकाकर्ताओं ने नीति को स्वीकार कर लिया और प्रस्ताव स्वीकार कर लिया तो इसकी गणना में बदलाव अस्वीकार्य होगी.

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