वाराणसी :कैंसर को बेहद खौफनाक बीमारी माना जाता है. तमाम प्रयासों के बावजूद भी कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं. जी हां, महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर केंद्र एवं होमी भाभा कैंसर अस्पताल में पिछले 6 वर्षों में 1,27,105 कैंसर मरीजों का पंजीकरण हुआ है. बड़ी बात यह है कि, इनमें से 65 हजार से ज्यादा मरीजों की सर्जरी की गई है. इसके साथ ही चार लाख से ज्यादा मरीजों को कीमोथेरेपी दी जा रही है.
प्रेसवार्ता के दौरान टाटा स्मारक केंद्र, मुंबई के निदेशक डॉ. सुदीप गुप्ता ने बताया कि मरीजों की संख्या में हर साल बढ़ोतरी हो रही है. 2018 में जब अस्पताल शुरू हुआ था तब कुल 6307 मरीजों का पंजीकरण हुआ था, जो 2024 में बढ़कर 26732 हो गया. 2018 से लेकर अब तक दोनों अस्पतालों में 1,27,105 मरीजों का पंजीकरण, 65 हजार मरीजों की सर्जरी 15,363 मरीजों को रेडियोथेरेपी और 4 लाख से अधिक कीमोथेरेपी की जा चुकी है. मरीजों के बढ़ते आंकड़े चिंतनीय हैं, हालांकि इसमें काफी हद तक बीमारी को लेकर लोगों में जागरूकता और घर के पास एक ही छत के नीचे कैंसर से जुड़ी सभी सुविधाएं मिलना भी हैं. गुणवत्तापरक और किफायती इलाज उपलब्ध होने से न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि पड़ोसी राज्यों के कैंसर मरीज भी इलाज के लिए यहीं आते हैं.
दो लाख से अधिक लोगों की कैंसर स्क्रीनिंग :उन्होंने बताया कि, किसी भी बीमारी की समय रहते पहचान होने से न केवल बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है, बल्कि इसके प्रभावी प्रबंधन में भी मदद मिलती है. इसको ध्यान में रखते हुए अस्पताल द्वारा विभिन्न तरह के जांच अभियान चलाए जा रहे हैं और अब तक 2 लाख से अधिक लोगों की कैंसर स्क्रीनिंग की जा चुकी है. इनमें 1,68,000 महिलाओं की स्क्रीनिंग शामिल है. स्क्रीनिंग में मुख्य रूप से मुंह का कैंसर, स्तन कैंसर एवं गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर शामिल हैं.
350 करोड़ रुपये का निःशुल्क इलाज :उन्होंने बताया कि, कैंसर का इलाज लंबे समय तक चलने के कारण कई बार मरीज इलाज पूरा करने में असमर्थ होते हैं. वहीं अस्पताल आने वाले ज्यादतर कैंसर मरीज आर्थिक रूप से बेहद कमजोर होते हैं. उन्होंने बताया कि ऐसे मरीजों को इलाज में मदद करने के लिए अस्पताल में चिकित्सकीय समाजिक विभाग (एम.एस.डब्ल्यू.) है, जो अब तक 38,262 मरीजों को विभिन्न प्रकार की सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं से जुड़ी योजनाओं के जरिए 350 करोड़ रुपये से अधिक की राशि का इलाज उपलब्ध करा चुका है. विभाग द्वारा न केवल ऐसे मरीजों को सरकारी योजनाओं के बारे में बताया जाता है, बल्कि उसके लिए सभी तरह के कागजी कार्रवाई में भी मदद की जाती है.