देहरादून:उत्तराखंड गठन के बाद से लेकर अब तक उत्तराखंड की स्थायी राजधानी गैरसैंण का मुद्दा सुलझने का नाम नहीं ले रहा है. स्थायी राजधानी गैरसैंण होगी या फिर देहरादून को ही स्थायी राजधानी के रूप में विकसित किया जाएगा, इसको लेकर अभी तक असमंजस की स्थिति है. हालांकि गैरसैंण के मुद्दे पर पिछले दशक में कुछ प्रयास जरूर किए गए थे, लेकिन हाल के सालों में गैरसैंण का मुद्दा लगातार हाशिये पर जाता दिख रहा है. इसी बीच कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल ने कांग्रेस विधायक तिलक राज बेहड़ के बयान पर निशाना साधा है.
पूर्व सीएम विजय बहुगुणा ने की थी शुरुआत:2012 में कांग्रेस की सरकार में मुख्यमंत्री रहे विजय बहुगुणा ने गैरसैंण में विधानसभा भवन के साथ-साथ राजधानी की दिशा में कदम बढ़ाते हुए शुरुआत की थी. जिसे कांग्रेस के दूसरे मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आगे बढ़ने का काम किया और 2017 में कांग्रेस की सरकार के बाद आई भाजपा सरकार में मुख्यमंत्री रहे त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी गैरसैंण स्थायी राजधानी को लेकर कुछ बड़े कदम उठाए, लेकिन त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद गैरसैंण का मुद्दा भी हाशिये पर चला गया.
बजट सत्र 2024 को लेकर उठा था गैरसैंण का मुद्दा:धीरे-धीरे अब गैरसैंण के मुद्दे से खास तौर से मैदानी जिलों के नेता तौबा करने लगे हैं. ऐसा एक दल में नहीं बल्कि भाजपा और कांग्रेस दोनों में देखने को मिल रहा है. इसकी एक बानगी हाल ही में हुए धामी सरकार के बजट सत्र के दौरान देखने को मिली है. दरअसल उम्मीद की जा रही थी कि बजट सत्र 2024 गैरसैंण में होगा. लेकिन खुद विधायकों द्वारा विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर देहरादून में सत्र आयोजित करने की बात कही गई. गैरसैंण से मोह भंग होते नेताओं की मंशा पर तब मुहर लगी, जब रुद्रपुर से कांग्रेस विधायक तिलक राज बेहड़ ने खुले तौर से विधानसभा में बजट पर चर्चा के दौरान देहरादून को स्थायी राजधानी के रूप में विकसित करने को लेकर बजट की मांग की.