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अनूठी बारात: इस शादी में न बैंड था न डीजे, सिर्फ पारंपरिक वेशभूषा में आदिवासी नृत्य करते पहुंचे बाराती - Burhanpur Tribal marriage - BURHANPUR TRIBAL MARRIAGE

बुरहानपुर के आदिवासी बाहुल्य ग्रामीण क्षेत्र में पारंपरिक वेशभूषा व वाद्य यंत्रों की धुन में हुई शादी चर्चा का विषय बन गई है. इस शादी समारोह में बाराती आदिवासी पारंपरिक कपड़े पहने नजर आए. वहीं, पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुन में नाचते हुए लड़की के घर पर पहुंचे. यह शादी अब क्षेत्र में सुर्खियां बटोर रही है. आदिवासी समाज ने इस परंपरा को फिर से आगे बढ़ाने का फैसला किया है.

TRIBAL MARRIAGE WITHOUT DJ AND BAND
बिना डीजे और बैंड के आदिवासी समाज ने निकाली बारात (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : May 18, 2024, 7:54 PM IST

पारंपरिक वाद्य यंत्रों पर आदिवासी नृत्य करते निकली बारात (ETV Bharat)

बुरहानपुर। जिले के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में ग्रामीणों ने एक बार फिर बैंड बाजे और डीजे से तौबा कर लिया है. दरअसल, नेपानगर क्षेत्र के घागरला गांव में एक आदिवासी परिवार ने शादी समारोह में बारात के दौरान बैंड बाजे और डीजे का उपयोग नहीं किया. उन्होंने पुरानी संस्कृति और परंपरा को अपनाया है. बारात में आदिवासी वाद्य यंत्रों पर नृत्य करते हुए बाराती लड़की वालों के दरवाजे पर पहुंचे. जहां घरातियों ने बड़े आदर के साथ उनका स्वागत सत्कार किया. इससे समाज में पुरानी परम्परा दोबारा जीवित हो गई. साथ ही समाज में जागरूकता का संदेश भी पहुंचा है.

शादी ब्याह के दौरान डीजे नहीं बजाने का लिया फैसला

बता दें कि जिले भर में सार्वजनिक कार्यक्रमों में डीजे पर प्रतिबंध लगाया गया है. बिना अनुमति इसका उपयोग नहीं किया जा सकता है. इस बात को ध्यान में रखते हुए आदिवासी समाज के लोगों ने शादी ब्याह और सार्वजनिक कार्यक्रमों में बैंड बाजा और डीजे को अलविदा कह दिया है. गांव के जागरूक लोगों ने एक सार्वजनिक बैठक की. इस बैठक में उन्होंने शादी ब्याह के दौरान बारात में डीजे नहीं बजाने का फैसला लिया है.

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पारंपरिक वेशभूषा में पहुंची बारात

आदिवासी समाज के वरिष्ठ जनों ने पारंपरिक वेशभूषा में वाद्य यंत्रों और आदिवासी नृत्य से बारात निकालने की परिपाटी शुरू करने का फैसला लिया. गौरतलब है कि घाघरला गांव में जनपद सदस्य किशन धांडे की भतीजी की शादी थी. डीजे पर प्रतिबंध होने के चलते परंपरागत तरीके से पारंपरिक वेशभूषा वाद्य यंत्रों और आदिवासी नृत्य करते बारात पहुंची. इस दौरान ग्रामीणों ने बारातियों का जोरदार स्वागत किया. आदिवासी समाज की इस पहल की जिलेभर में प्रशंसा की जा रही है.

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