लखीमपुर :प्रदेश के लखीमपुर जिले की बहुचर्चित खीरी संसदीय सीट पर लगातार तीसरी बार जीतने के लिए केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र 'टेनी' मैदान में उतरे हैं. वहीं, उन्हें चुनौती देने के लिए गठबंधन के उम्मीदवार हैं सपा नेता उत्कर्ष वर्मा. बसपा ने इस सीट से अंशय कालरा को अपना प्रत्याशी बनाया है. इस सीट का इतिहास बताता है कि यहां की जनता ने जिस पर विश्वास किया है, उसे मौके भी खूब दिए हैं. कांग्रेस नेता बाल गोविंद वर्मा और उषा वर्मा को यहां की जनता ने लगातार तीन-तीन बार चुनकर संसद भेजा. वहीं, समाजवादी पार्टी के नेता रवि प्रकाश वर्मा को भी लगातार तीन बार संसद जाने का मौका मिला. यह बात और है कि जब इन नेताओं को जनता ने नकारा तो यह लौटकर नहीं आए. अक्टूबर 2021 में किसान आंदोलन के दौरान हुई हिंसा ने आठ लोगों की मौत के बाद केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र के पुत्र आशीष का नाम सुर्खियों में रहा. उन्हें लंबी अवधि तक जेल में भी रहना पड़ा. इस घटना के बाद यह पहला चुनाव होगा, जब अजय मिश्र 'टेनी' चुनाव मैदान में होंगे.
1957 में जीते थे खुशवक्त राय :1957 से लेकर अब तक इस सीट पर पहली बार कोई ब्राह्मण उम्मीदवार जीतकर संसद पहुंचा है. ओबीसी प्रभाव वाली इस सीट पर अधिकतर इसी वर्ग से सांसद चुने गए हैं. पहली बार 1957 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के खुशवक्त राय जीत कर संसद पहुंचे, जबकि 1962, 1967 और 1971 में कांग्रेस नेता बालगोविंद वर्मा को इस सीट से जीत नसीब हुई थी. 1977 में खीरी के लोगों ने जनता पार्टी के सूरत बहादुर शाह को अपना सांसद चुना. 1980 में कांग्रेस पार्टी के बालगोविंद वर्मा को एक बार फिर मौका मिला और वह सांसद चुने गए. 1980, 1984 और 1989 में कांग्रेस उम्मीदवार उषा वर्मा ने चुनाव जीता. 1991 और 1996 में भारतीय जनता पार्टी के गेंदन लाल कनौजिया को संसद पहुंचने का अवसर मिला. इसके बाद 1998, 1999 और 2004 में रवि प्रकाश वर्मा समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर चुने गए. 2009 में कांग्रेस नेता जफर अली नकवी को जनता का प्यार मिला, जबकि 2014 और 2019 में मोदी लहर में भारतीय जनता पार्टी से अजय मिश्र 'टेनी' सांसद बने.
संसदीय क्षेत्र में पांच विधानसभा सीटें :संसदीय क्षेत्र में पांच विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें से सिर्फ श्रीनगर विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है. वहीं, पलिया, निंघासन, गोला गोकर्णनाथ और लखीमपुर विधानसभा सीटें सामान्य वर्ग की हैं. इन सभी सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार ही चुनकर विधानसभा पहुंचे थे. क्षेत्रफल की दृष्टि से लखीमपुर प्रदेश का सबसे बड़ा जिला है. जिले के पलिया विधानसभा क्षेत्र में प्रदेश का एकमात्र राष्ट्रीय उद्यान है, जिसमें बाघ, तेंदुए, गैंडे, भालू और जंगली हाथियों की बहुतायत है. अन्य वन्यजीवों का भी यह प्राकृतिक निवास है. जिले में शारदा, गेरुआ और घाघरा जैसी नदियां बहती हैं और यह तराई क्षेत्र वाला जिला माना जाता है. इसलिए यहां बाढ़ की समस्या भी लगभग हर साल बनी रहती है. इस बाढ़ में वनों के अलावा वन्य जीवों को भी भारी नुकसान होता है. इसलिए यहां से जो भी उम्मीदवार चुनाव जाता है, उसके सामने इस समस्या का समाधान भी एक चुनौती होगा.