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पुष्कर सरोवर पर हुआ हिमाद्रि स्नान, वैदिक मंत्रोचारण के साथ पुरोहितों ने पापों का किया 'प्रायश्चित' - Sawan

Brahmans Did Himadri bath : सावन पूर्णिमा पर ब्राह्मणों ने पुष्कर सरोवर पर हिमाद्री स्नान किया. बड़ी संख्या में पुरोहितों ने 108 स्नान कर पापों का प्रायश्चित किया.

Brahmans Did Himadri bath
पुष्कर सरोवर पर हुआ हिमाद्रि स्नान (ETV Bharat Ajmer)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 19, 2024, 3:45 PM IST

Updated : Aug 19, 2024, 3:54 PM IST

पुष्कर सरोवर पर हुआ हिमाद्रि स्नान (ETV Bharat Ajmer)

अजमेर : श्रावण मास की पूर्णिमा पर दसविद स्नान कर श्रावणी कर्म करने से विप्र समाज को ज्ञात और अज्ञात पापों से मुक्ति मिलती है. सदियों से यह धार्मिक रस्म विप्र समाज निभाता चला आ रहा है. इस क्रम में मान्यता के अनुसार पुष्कर सरोवर के मुख्य घाटों पर भी बड़ी संख्या में पुरोहितों ने 108 स्नान कर पापों का प्रायश्चित किया.

यह श्रावणी कर्म से किया जाता है पश्चाताप :वराह घाट के प्रधान पंडित रविकांत शर्मा ने बताया कि वर्षभर शुभ अशुभ कर्म, वाणी से यदि किसी को पीड़ा पहुंची है, पाप हुआ है तो उसके प्रायश्चित के रूप में यह श्रावणी कर्म किया जाता है. सभी ब्राह्मणों को यह श्रावणी कर्म करना अनिवार्य होता है, अन्य वर्णों को श्रावणी कर्म करना अनिवार्य नहीं है, लेकिन वह चाहें तो कर सकते हैं. पंडित शर्मा ने बताया कि बीमार होने पर औषधि ली जाती है, उसी प्रकार वर्ष भर में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से होने वाले पापों के लिए यह प्रायश्चित कर्म होता है. जितने भी ज्योतिष, जो मुहूर्त निकालते हैं, उन्हें भी श्रावणी कर्म करना अनिवार्य होता है. यदि वह ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें वर्ष भर पंचांग को हाथ लगाने का अधिकार नहीं होता है. ज्ञान का बखान करना सरल है, लेकिन उसके अनुरूप चलना मुश्किल होता है.

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यगोपवित का है विशेष महत्व :पंडित पवन कुमार राजोरिया ने बताया कि श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को यज्ञोपवीतधारी और कर्मकांडी ब्राह्मण के लिए हिमाद्री स्नान करना अनिवार्य है. इसका एक पूरा विधान है. पहले दसविद स्नान किया जाता है. इसके बाद वैदिक मंत्रों के उच्चारण और मुद्राओं से स्नान किया जाता है. यह प्रायश्चित स्नान होता है. यह सभी ब्राह्मणों को करना चाहिए. इसमें ऋषियों का पूजन होता है. यह यज्ञोपवीत धारण किया जाता है. यज्ञ, हवन करने के बाद रक्षाबंधन मनाया जाता है. उन्होंने बताया कि आज के दिन जनेऊ बदली जाती है. वर्षभर यज्ञोपवीत की पूजन करते हैं. यज्ञोपवीत के अंदर 9 तंतु होते हैं. इनमें 9 देवता होते हैं. यज्ञोपवीत में तीन गाठें होती हैं. उनमें ब्रह्मा, विष्णु, महेश का निवास होता है. श्रावणी मास कर्म के दौरान यज्ञोपवीत में विराजमान 9 देवता और ब्रह्मा, विष्णु, महेश की पूजा की जाती है. इसके बाद 10 बार गायत्री मंत्रों का उच्चारण करके उसे संपुटित किया जाता है. हिमाद्री स्नान के बाद यज्ञोपवित दान किया जाता है.

सोमवार को पुष्कर सरोवर के ब्रह्म घाट, वराह घाट, रामघाट आदि पर सोमवार को श्रावणी कर्म करने वाले ब्राह्मणों का तांता लग रहा. अनुष्ठान पहले दसविद स्नान किया गया. दसविद स्नान के लिए घी, पूसा, स्वर्ण, गोमूत्र, गोबर, दूध, मृतिका, फल, वनस्पति और दरमा का स्पर्श कर शरीर को पवित्र किया गया. इसके बाद भी वैदिक मंत्रों के साथ अलग-अलग वस्तुओं और औषधियों से स्नान किया. ब्राह्मण समाज ने हिमाद्री स्नान के जरिए शुद्धिकरण करके देव कर्म करने का अधिकार प्राप्त करने के लिए इस धार्मिक अनुष्ठान में उत्साह के साथ भाग लिया. श्रावणी कर्म के दौरान हिंदू देवी देवताओं को अर्क देकर मानव मात्र के कल्याण की कामना की गई. इस अवसर पर ऋषि मुनियों और लोगों ने पितरों को दर्पण भी दिया. पुरोहितों के अनुसार श्रावण मास की पूर्णिमा को श्रवण नक्षत्र होने के कारण श्रावणी कर्म करने का विशेष महत्व होता है.

Last Updated : Aug 19, 2024, 3:54 PM IST

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