नई दिल्ली:शुक्रवार को दिल्ली प्रेस क्लब में `क्यों हमें स्टालिन भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर चाहिए?` पुस्तक का विमोचन किया गया. पुस्तक के विमोचन के मौके पर दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक डा. रतनलाल मौजूद रहे इस मौके पर उन्होंने पुस्तक के लेखक आर एस कथिर (सुकुमार राजेंद्रन) को बधाई और शुभकामनाएं दी.
मौजूदा लोकसभा का कार्यकाल जैसे-जैसे समाप्ति की ओर बढ़ रहा है वैसे-वैसे चुनाव का भी माहौल बनने लगा है. सभी राजनीति दल अपनी-अपनी रोटियां सेकने के लिए अपने-अपने तरीके से अपने एजेंडे को हवा दे रहे हैं. इसी क्रम में शुक्रवार को प्रेस क्लब में एक पुस्तक का विमोचन किया गया. इस पुस्तक के विमोचन का उद्देश्य पूरी तरह राजनीतिक था यह बात पुस्तक के शीर्षक से ही साबित होती है.
पुस्तक `क्यूं हमें स्टालिन भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर चाहिए?` पुस्तक का विमोचन करने के दौरान दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक डा. रतनलाल ने लेखक आर एस कथिर (सुकुमार राजेंद्रन) को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि पहली बार यह देखने को मिल रहा है कि दक्षिण भारतीय राज्यों के लोगों की ओऱ से हिंदी में पुस्तक लेखन और अनुवाद के माध्यम से पेश किया जा रहा है. दक्षिण भारतीयों का हिंदी के प्रति लगाव बढ़ रहा है. यह अच्छा संकेत है.
रतनलाल ने कहा कि एमके स्टालिन डा. भीमराव अंबेडकर और पेरियार की कही गई ई कुछ बातों को पूरा करते हुए दिख रहे हैं. उस समय तमिलनाडु में जस्टिस पार्टी की सरकार होती थी. रतनलाल ने कहा कि स्टालिन को अब उत्तर प्रदेश औऱ बिहार सहित अन्य हिंदी भाषी राज्यों का दौरा करना चाहिए.