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तमिलनाडु के सीएम स्टालिन पर लिखी किताब का दिल्ली में विमोचन

Book released on CM Stalin: शुक्रवार को दिल्ली प्रेस क्लब में तमिलनाडु के सीएम स्टालिन पर लिखी पुस्तक का विमोचन किया गया.इस किताब में स्टालिन को अंबेडकर और पेरियार के विचारों पर चलनेवाला बता कर उनके राजनीतिक सफर की जमकर तारीफ की गई है.

सीएम स्टालिन पर दिल्ली में किताब का विमोचन
सीएम स्टालिन पर दिल्ली में किताब का विमोचन

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Feb 10, 2024, 10:37 AM IST

Updated : Feb 10, 2024, 11:29 AM IST

नई दिल्ली:शुक्रवार को दिल्ली प्रेस क्लब में `क्यों हमें स्टालिन भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर चाहिए?` पुस्तक का विमोचन किया गया. पुस्तक के विमोचन के मौके पर दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक डा. रतनलाल मौजूद रहे इस मौके पर उन्होंने पुस्तक के लेखक आर एस कथिर (सुकुमार राजेंद्रन) को बधाई और शुभकामनाएं दी.

मौजूदा लोकसभा का कार्यकाल जैसे-जैसे समाप्ति की ओर बढ़ रहा है वैसे-वैसे चुनाव का भी माहौल बनने लगा है. सभी राजनीति दल अपनी-अपनी रोटियां सेकने के लिए अपने-अपने तरीके से अपने एजेंडे को हवा दे रहे हैं. इसी क्रम में शुक्रवार को प्रेस क्लब में एक पुस्तक का विमोचन किया गया. इस पुस्तक के विमोचन का उद्देश्य पूरी तरह राजनीतिक था यह बात पुस्तक के शीर्षक से ही साबित होती है.

पुस्तक `क्यूं हमें स्टालिन भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर चाहिए?` पुस्तक का विमोचन करने के दौरान दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक डा. रतनलाल ने लेखक आर एस कथिर (सुकुमार राजेंद्रन) को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि पहली बार यह देखने को मिल रहा है कि दक्षिण भारतीय राज्यों के लोगों की ओऱ से हिंदी में पुस्तक लेखन और अनुवाद के माध्यम से पेश किया जा रहा है. दक्षिण भारतीयों का हिंदी के प्रति लगाव बढ़ रहा है. यह अच्छा संकेत है.

रतनलाल ने कहा कि एमके स्टालिन डा. भीमराव अंबेडकर और पेरियार की कही गई ई कुछ बातों को पूरा करते हुए दिख रहे हैं. उस समय तमिलनाडु में जस्टिस पार्टी की सरकार होती थी. रतनलाल ने कहा कि स्टालिन को अब उत्तर प्रदेश औऱ बिहार सहित अन्य हिंदी भाषी राज्यों का दौरा करना चाहिए.

उन्होंने कहा कि किताब का शीर्षक अच्छा है. स्टालिन ने मेडिकल आरक्षण सहित कई मुद्दों पर अच्छा काम किया है. जूनियर स्टालिन उदयनिधि स्टालिन ने भी आरएसएस पर अच्छे से अटैक करके स्वयं ही उनकी तरफ से किए गए वार से खुद ही बचाव कर लिया. एमके स्टालिन को दिल्ली में आकर कांस्टीट्यूशन क्लब में कार्यक्रम करना चाहिए. देश में चल रहे तमाम पिछड़ा वर्ग, दलित और आदिवासी आंदोलन के लोगों से मिलना चाहिए. हम उनका कार्यक्रम कराने में मदद करेंगे.

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इस समय की जो लड़ाई है वह मनुस्मृति और संविधान के बीच है. कोई भी नेता, बुद्धिजीवी या उच्च वर्ग का आदमी ये साबित कर दे कि आरएसएस संविधान में विश्वास रखता है तो मैं कोई भी शर्त लगाने को तैयार हूं. किताब का हिंदी अनुवाद बिहार के पटना जिले के निवासी अंकुश ने किया है. किताब को सामाजिक न्याय के पुरोधा वीपी सिंह को समर्पित किया गया है. इसमें तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की वर्ष 1984 में शुरू हुई राजनीतिक यात्रा का भरपूर महिमामंडन किया गया है.

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Last Updated : Feb 10, 2024, 11:29 AM IST

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