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इस चीज को खाने से जुड़ जाती है हड्डयां, जानिए क्या है फैक्चर का देसी इलाज - bones joined by hadjod plant

पुराने समय में जब अस्पताल, महंगी मशीनें और दवाएं नहीं थी, तब पौधों और जड़ी बूटियों से इलाज किया जाता है. जो काफी सार्थक होता था. ऐसे फैक्चर का इलाज भी होता था. आज हम आपको एक ऐसे पौधे के बारे में जिससे हड्डियां आसानी से जुड़ जाती है.

BONES JOINED BY HADJOD PLANT
इस चीज को खाने से जुड़ जाती है हड्डयां, जानिए क्या है फैक्चर का देसी इलाज

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 5, 2024, 8:45 PM IST

Updated : Apr 5, 2024, 9:37 PM IST

जानिए हड़जोड़ पौधे की खासियत

इंदौर। फैक्चर होने पर आमतौर पर डॉक्टर द्वारा प्लास्टर चढ़ने के बाद फैक्चर का इलाज करते हैं, लेकिन आयुर्वेद में आज भी बिना प्लास्टर के हड्डी जोड़ने का कारगर तरीका मौजूद है. दरअसल हमारे आसपास पाए जाने वाली हर जोड़ नमक बेल एक ऐसी वनस्पति है. जिसे खाने अथवा पीसकर फैक्चर के स्थान पर लगाने से हड्डी तेजी से जुड़ने लगती है. इस पौधे के इसी खास गुण के कारण आयुर्वेद में सदियों से इसका इलाज हड्डी जोड़ने में किया जा रहा है. वहीं अब कई दवा कंपनियां हरजोड़ से फैक्चर की दवाइयां भी तैयार कर रही हैं. आईए जानते हैं इस पौधों की खूबियां..

हरजोड़ पौधे से जुड़ती है हड्डियां

दरअसल, हरजोड़ नमक पौधा एक लता अथवा बेल है. जिसका तना गहरे हरे रंग का चतुष्कोण स्वरूप में होता है. यह पौधा किसी भी गमले में आसानी से लगाया जा सकता है. पौधे की खासियत यह भी है कि यह तने से ही नया पौधा तैयार करने की क्षमता रखता है. विभिन्न खंड में अलग-अलग दिखने वाले इसके तने से अलग-अलग पौधे तैयार किया जा सकते हैं. हरजोड़ के औषधीय महत्व को लेकर आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ जयश्री शिंदे बताती है कि इस पौधे के उपयोग से फैक्चर के मामले में फास्ट हीलिंग होती है. एक गर्म प्रकृति वाला उसमें पौधा है. जिसका स्वाद कसैला होता है, लेकिन शरीर के जोड़ और खासतौर पर फैक्चर को जोड़ने में इसमें भरपूर औषधि गुण है. यही वजह है कि आयुर्वेद में हड्डी जोड़ने के मामले में इस पौधे का उपयोग होता रहा है.

हड़जोड़ पौधा असरदार

पौधे के इलाज में जल्दी रिकवर होते हैं मरीज

इतना ही नहीं अब तो एलोपैथिक इलाज में भी हरजोड़ से तैयार दवाइयां का उपयोग हो रहा है. आयुर्वेद में दवाई बनाने वाली कई बड़ी कंपनियों और फार्मा कंपनियां इस पौधे के तने से अलग-अलग प्रकार की दवाइयां तैयार कर रही हैं. इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी इसे विभिन्न रूपों में फैक्चर के मरीजों को उपचार के लिए दिया जाता है. इंदौर में नर्सरी संचालित करने वाली नंदाबाई का कहना है कि न केवल सामान्य लोग बल्कि अधिकांश ऐसे लोग इस पौधे को खरीदने हैं, जिन्हें या तो खुद फैक्चर हुआ होता है, या वह हड्डी की किसी ने किसी समस्या से जुड़ रहे होते हैं. उन्होंने कहा उनके यहां इस पौधे को खरीदने वाले ग्राहक बताते हैं कि इस पौधे के ताने को पीसकर यदि घी के साथ मरीज को खिलाया जाए तो फैक्चर के मामले में तेजी से रिकवरी होती है.

उन्होंने बताया कि न केवल इंसान बल्कि जब पशुओं को भी फैक्चर अथवा जोड़ संबंधी समस्या होती है तो पशुओं को भी हर जोड़ ही खिलाया जाता है. इस औषधि के चिकित्सा की परिणाम सकारात्मक और सटीक रहे हैं इसलिए आज भी फैक्चर के मामले में इस वनस्पति का हर कहीं उपयोग होता है यही वजह है कि इस पौधे की नर्सरी में भी औषधि के लिहाज से अच्छी खासी मांग है.

Last Updated : Apr 5, 2024, 9:37 PM IST

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