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Jharkhand Election 2024: क्या बीजेपी के बागी बरकट्ठा के चुनावी रण में कर देंगे खेल! पढ़ें पूरी रिपोर्ट - JHARKHAND VIDHAN SABHA CHUNAV

भाजपा के चार बागी नेताओं के बरकट्ठा में चुनाव लड़ने से यहां का चुनावी माहौल बहुत गरमा गया है. ऐसे में यहां मुकाबला दिलचस्प होगा.

BJP rebels leaders can affect election in Barkatha seat of Hazaribag regarding Jharkhand Assembly Elections 2024
ग्राफिक्स इमेज (Etv Bharat)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Nov 9, 2024, 6:14 PM IST

हजारीबागः झारखंड विधानसभा चुनाव में इस बार कई सीटों पर दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है. भारतीय जनता पार्टी के बागी नेता और निर्दलीय नेताओं ने चुनाव को रोचक बना दिया है. जेएमएम और भाजपा की टक्कर ने इस चुनाव को हॉट बना दिया है.

हजारीबाग जिले की बरकट्ठा विधानसभा सीट के साथ भी ऐसा मामला है. इस सीट पर बीते 15 साल से एक ही गांव के चाचा-भतीजे का दबदबा है. पार्टी कोई भी हो, चुनाव यही लड़ते हैं और हर बार इनमें ही से कोई विधायक तो कोई नजदीकी प्रतिद्वंद्वी रहता है. लेकिन इस बार समीकरण कुछ बदले-बदले नजर आ रहे हैं. भाजपा के चार बागी नेता बरकट्ठा में चुनाव लड़ रहे हैं. इस कारण यहां की राजनीतिक तपिश दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है.

बरकट्ठा विधानसभा सीट पर साल 2005 से अभी तक विधायकी अमित के परिवार या जानकी प्रसाद यादव के पास ही रही है. इस दौरान अमित के पिता चितरंजन यादव बीजेपी से एक बार विधायक बने. बेटे अमित यादव एक बार बीजेपी तो एक बार निर्दलीय विधायक रहे.

वहीं जानकी प्रसाद यादव बतौर जेवीएम (पी) प्रत्याशी एक बार विधायक चुने गए. जानकी यादव आरजेडी और बीजेपी से भी चुनाव लड़ चुके हैं. अमित कुमार यादव और जानकी प्रसाद यादव चलकुसा प्रखंड के चटकरी गांव के रहने वाले हैं. एक गांव के होने के कारण इलाके में बोलचाल की भाषा में लोग इन्हें चाचा-भतीजा कहते हैं.

चाचा कहे जाने वाले जानकी प्रसाद यादव 2019 विधानसभा चुनाव में भाजपा से प्रत्याशी थे लेकिन तब निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में भतीजे कहे जाने वाले अमित कुमार यादव ने उन्हें शिकस्त दी थी. वर्तमान में अमित यादव ही यहां से सीटिंग एमएलए हैं. 2024 के चुनाव में समीकरण बदल गया है. अब चाचा ने जेएमएम का दामन थाम लिया है तो भतीजे को बीजेपी ने टिकट दे दिया है. ऐसे में वोटरों का रूझान किस ओर करवट लेगा, इसकी गणित पूरी विधानसभा की जनता लगा रही है.

भाजपा ने अमित कुमार यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है मगर उनके टिकट घोषणा के बाद भाजपा के चार नेता बागी होकर चुनावी मैदान में कूद पड़े हैं और दो-दो हाथ करने को तैयार हैं. राजनीति में हर कोई शीर्ष पद पर जाना चाहता है मगर यहां भाजपा के चार बागी उसका खेल बिगाड़ने में लगे हैं.

बरकट्ठा में बागियों का समीकरण!

भाजपा प्रदेश कार्य समिति के सदस्य बटेश्वर प्रसाद मेहता पार्टी से इस्तीफा देकर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतर पड़े हैं. वे एक सशक्त उम्मीदवार भी हैं और भाजपा के टिकट के दावेदार भी थे. उनके चुनावी अखाड़े में आने के बाद बरकट्ठा विधानसभा का चुनाव रोमांचक हो गया है. बटेश्वर प्रसाद मेहता 2019 के विधानसभा चुनाव में जेवीएम के टिकट पर लड़े थे और 33343 वोट लाए थे. इस बार निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरे हैं.

दूसरा नाम कुमकुम देवी का है, ये वर्तमान के बरकट्ठा की जिला परिषद सदस्य भी हैं और सबसे ज्यादा वोट से इन्होंने जिप सदस्य का चुनाव जीता था. कुमकुम देवी भाजपा में ओबीसी मोर्चा की उच्चपद पर भी थीं. अभी लोकहित अधिकार पार्टी से उम्मीदवार बनी हैं और चुनावी मैदान में उतरी हैं.

तीसरा नाम सुरेंद्र भाई मोदी का है. ये भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश स्तर के पद पर रह चुके हैं. ये भी बरकट्ठा सीट से टिकट के दावेदार थे. लेकिन पार्टी ने इन्हें टिकट नहीं दिया. जिससे नाराज होकर बागी रूख एख्तियार करते हुए वे निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव में उतरे हैं.

चौथा नाम अनूप भाई वर्माका है. ये भाजपा के जैविक कृषि प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक पद पर रह चुके हैं और बरकट्ठा से भाजपा के टिकट की आस में थे. टिकट की घोषणा के बाद ये भी बरकट्ठा विधानसभा के चुनावी दंगल में कूद पड़े हैं.

अब देखना यह दिलचस्प होगा कि ये चार बागी भाजपा का खेल बिगाड़ते हैं या नहीं. वैसे बता दें कि इस बरकट्ठा विधानसभा पर लगातार दो बार भाजपा प्रत्याशी की हार हुईं है. 2019 के चुनाव के निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर अमित यादव ने बीजेपी के जानकी यादव को 24,812 वोटों से हरा दिया था. इस चुनाव में अमित को 72,572 तो जानकी को 47,760 मत मिले थे.

वहीं 2014 के चुनाव में जानकी यादव को 63,336 वोट मिले थे और अमित 8,207 मतों से चुनाव हार गए थे. अमित के खाते में कुल 55,129 वोट आए थे. 2009 के चुनाव के दौरान अमित यादव के पिता और तत्कालीन विधायक चितरंजन यादव बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे. लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान ही अचानक उनकी मौत हो गई थी. इसके बाद आनन-फानन में बीजेपी ने अमित को चुनाव में उतारा और जेवीएम (पी) के जानकी यादव को 9,368 वोटों के अंतर से पराजित कर दिया.

इससे पहले 2005 के चुनाव में चितरंजन यादव बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीते थे. निर्दलीय प्रत्याशी दिगंबर मेहता दूसरे और आरजेडी प्रत्याशी जानकी यादव तीसरे स्थान पर रहे थे. जानकी यादव ने पहला चुनाव साल 2000 में आरजेडी के टिकट पर लड़ा था. इस चुनाव में सीपीआई प्रत्याशी भुवनेश्वर प्रसाद मेहता को जीत मिली थी.

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