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माननीय मुख्यमंत्री जी! आपसे प्रदेश की जनता क्यों है नाराज? बीजेपी एमएलसी ने पूछा सवाल - BJP MLC Devendra Pratap Singh

भारतीय जनता पार्टी के एमएलसी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर सवालिया निशान उठाते हुए पत्र लिखा है. पत्र में शिक्षकों की डिजिटल उपस्थिति सहित सरकारी कर्मचारियों की नाराजगी पर सवाल पूछा है.

सीएम योगी और भाजपा एमएलसी देवेद्र प्रताप.
सीएम योगी और भाजपा एमएलसी देवेद्र प्रताप. (Etv Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 15, 2024, 6:48 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के विधायकों के बगावती तेवर काम नहीं हो रहे. पूर्व मंत्री मोती सिंह के बाद में बदलापुर से विधायक रमेश मिश्र ने जहां पार्टी के 2027 में हर का संकेत दिया था. अब फैजाबाद गोरखपुर स्नातक क्षेत्र से विधान परिषद सदस्य देवेंद्र प्रताप सिंह ने तो सीधे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से ही सवाल पूछ लिया है. मुख्यमंत्री योगी को लिखे गए एक पत्र में उन्होंने पूछा है कि ऐसा क्या हुआ कि अचानक उत्तर प्रदेश की जनता आपसे नाराज हो गई.

भाजपा एमएलसी का पत्र. (Photo Credit; Etv bharat)



नौकरशाहों के निर्णय सरकार के लिए बने अभिशाप
एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजे पत्र में लिखा है कि 'आपके सुशासन और कानून व्यवस्था की सर्वत्र सराहना होती है. राज्य और राष्ट्र की सीमा के बाहर भी आपके सुशासन माडल की चर्चा होती है. अचानक ऐसा क्या हुआ कि प्रदेश की जनता आपसे नाराज हो गई? कई कारणों के एक साथ मिल जाने से 2024 का अनपेक्षित परिणाम मिला है. सरकार की छवि शिक्षक और कर्मचारी विरोधी की बन गई है. इसके लिए जिम्मेदार नौकरशाह हैं, उनके द्वारा लिए गए फैसलों से जनाक्रोश भड़क उठा. नौकरशाहों द्वारा लिए गए निर्णय सरकार के लिए अभिशाप बन गए.'

क्या शिक्षक मशीन बन गए हैं?
देवेंद्र प्रताप सिंह ने आगे लिखा है कि 'भारत की गुरू परम्परा पुरातन काल से सर्वश्रेष्ठ रही है. "गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लाग्यो पाय " इसमें गुरू को ही श्रेष्ठ माना गया है. प्राथमिक शिक्षक कोरोना काल में जब रक्त के रिश्ते भी बेमानी हो गए थे, ऐसे संकट काल में चुनावी दायित्व का निर्वहन करने में 1621 शिक्षक अकाल मृत्यु के शिकार हुए थे. उनका लोकतंत्र के लिए दिया गया बलिदान भुला दिया गया. भारत को पोलियो में विश्व रिकार्ड दिलाने वाले शिक्षकों को डिजिटल हाजिरी के नाम पर अपमानित और प्रताड़ित किया जा रहा है. शिक्षकों से शिक्षण कार्य के अतिरिक्त 30 कार्य आफ लाइन लिए जाते हैं, परन्तु हाजिरी आनलाइन क्यों? क्या शिक्षकों को गैर शैक्षिक कार्यों के लिए कोई अतिरिक्त सुविधा दी जाती है? क्या शिक्षक इंसान न होकर मशीन बन गए हैं? विचारणीय प्रश्न यह है कि डिजिटल हाजिरी अन्य विभागों में क्यो नहीं?

शिक्षकों के डिजिटल हाजिरी का निर्णय वापस लेना होगा
पत्र में आगे लिखा है कि महानिदेशक शिक्षा कार्यालय में पिछले दिनों 85 कर्मचारी अनुपस्थित पाए गए थे. क्या उन्होंने अपने कार्यालय में डिजिटल हाजिरी लागू किया? क्या आपको पता है कि पुराना स्मार्टफोन बाजार में साढ़े सात हजार में मिलता है, उसे अधिक मूल्य पर क्रय करने वाले अधिकारियों ने राजकोष की कितनी लूट की? नौकरशाहों की साजिश से बचना होगा. बढ़ते हुए जनाक्रोश को रोकने के लिए डिजिटल हाजिरी के निर्णय को वापस लेना होगा. पुरानी पेंशन देना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में कहा कि तदर्थ शिक्षकों की लम्बी सेवा को देखते हुए हम इन्हें बाहर करने की मंशा नही रखते हैं. सुप्रीम कोर्ट की इस भावना का आदर करते हुए रिक्त पदों पर आमेल्ति करना होगा.

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