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वन्यजीव हमलों के मामले पर अपने ही विधायकों के सवालों से घिरी सरकार, असहज नजर आए वन मंत्री उनियाल - Uttarakhand Vidhan Sabha SESSION

Uttarakhand Vidhan Sabha SESSION गैरसैंण मॉनसून सत्र के दूसरे दिन भाजपा विधायक दलीप रावत और दुर्गेश्वर लाल ने वन्यजीव हमले के मामले पर सरकार के समक्ष आपत्ति उठाई. सदन के बाहर दलीप रावत ने तख्ती लेकर विरोध जताया तो सदन के भीतर दुर्गेश्वर लाल सवालों की बौछार करते रहे.

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वन्यजीव हमले मामले पर अपने ही विधायकों के सवालों से घिरी सरकार (PHOTO-ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 22, 2024, 1:38 PM IST

मंत्रियों को अपने विधायकों ने ही घेरा (Video- ETV Bharat)

भराड़ीसैंण/गैरसैंण: भराड़ीसैंण में चल रहे उत्तराखंड विधानसभा के मॉनसून सत्र के दूसरे दिन विपक्ष के साथ-साथ सत्तापक्ष के विधायकों के भी तल्ख तेवर नजर आए. पौड़ी गढ़वाल जिले की लैंसडाउन विधानसभा सीट से भाजपा विधायक दलीप सिंह रावत विधानसभा के बाहर प्रदर्शन पट्टिका के साथ नजर आए. वहीं उत्तरकाशी की पुरोला विधानसभा सीट से भाजपा विधायक दुर्गेश्वर लाल सदन के भीतर हमलावर नजर आए.

लैंसडाउन विधायक दलीप सिंह रावत ने अपनी ही सरकार से वन विभाग की नीतियों में सुधार और विशेष सत्र बुलाने की मांग की. भाजपा विधायक ने कहा कि वन विभाग की पाबंदियों के कारण पहाड़ों पर विकास के काम नहीं हो पा रहे हैं. इसलिए उसमें बदलाव किया जाना जरूरी है.

वन्य जीवों में हमले में हताहत पीड़ितों को आर्थिक सहायता में बढ़ोत्तरी की मांग:दलीप रावत ने कहा कि पहाड़ों पर गुलदारों का आतंक बढ़ने लगा है. छोटे-छोटे बच्चों के साथ ही महिला और बुजुर्ग भी सुरक्षित नहीं हैं. ऐसे में वन विभाग को इन वन्य जानवरों को मारने की अनुमति देनी चाहिए. अगर कोई हताहत होता है तो फिर उसको मिलने वाली आर्थिक सहायता में भी बढ़ोत्तरी करनी चाहिए.

विधायक दुर्गेश्वर के सवालों पर असहज हुए मंत्री सुबोध उनियाल: सदन के बाहर भाजपा विधायक दलीप रावत ने डेरा डाला तो सदन के भीतर भाजपा विधायक दुर्गेश्वर लाल के सवालों पर वन मंत्री सुबोध उनियाल बेहद असहज नजर आए. हालांकि, मीडिया से बात करते हुए वन मंत्री ने कहा कि, गुलदारों के हमले और वन अधिनियमों में संशोधन के मामले पर सरकार लगातार गंभीर है. वन विभाग द्वारा सभी प्रयास किए जा रहे हैं. हालांकि, जहां तक वन अधिनियमों में संशोधन की बात है तो ये केंद्र सरकार का मामला है. इस पर राज्य सरकार के हाथ में कुछ नहीं है.

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