गिरिडीह: वर्ष 2024 में होने वाले आम चुनाव की तिथि की घोषणा जल्द की जायेगी. ऐसे में बीजेपी मिशन 2024 का काम युद्धस्तर पर कर रही है. पार्टी के सैकड़ों नेता और कार्यकर्ता गांव-गांव जा रहे हैं. 'चलो गांव की ओर' अभियान के तहत नेता मतदाताओं को आकर्षित करने में जुटे हैं. इस कार्यक्रम से उत्साहित होकर बीजेपी नेता और कार्यकर्ता अब सरकारी स्कूलों में पहुंच रहे हैं. स्कूलों में बच्चों को बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किस तरह के विकास कार्य किये हैं. ऐसे ही दो बीजेपी नेताओं के वीडियो भी सामने आए हैं. इसे लेकर अब झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ-साथ माले ने भी आपत्ति दर्ज कराई है.
क्या है मामला?
पहला वीडियो गिरिडीह विधानसभा क्षेत्र के बक्शीडीह बूथ संख्या 192 (उत्क्रमित मध्य विद्यालय, बक्शीडीह) का है. वीडियो में दिख रहा है कि बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति सदस्य सुरेश साव यहां पहुंचते हैं. वह अपने समर्थकों के साथ बच्चों की कक्षा में जाकर आजादी के सौ वर्ष और मिशन 2047 पर चर्चा करते हैं. इस दौरान बच्चों की समस्याओं पर भी चर्चा की जाती है. इसी तरह दूसरा वीडियो गिरिडीह विधानसभा क्षेत्र के पचंबा स्थित शारदा गर्ल्स मिडिल स्कूल का है. यहां भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य चुन्नूकांत पहुंचे. वे वहां लड़कियों से उनकी शिक्षा के बारे में चर्चा करते हैं, मतदान के प्रति जागरुकता पर चर्चा करते हैं और पीएम मोदी द्वारा किए गए कार्यों पर भी चर्चा करते हैं. यह चर्चा तब होती है जब बच्चों की कक्षा का समय होता है.
बच्चों को अकेला छोड़ दो: माले
माले नेता राजेश सिन्हा का कहना है कि बीजेपी स्कूलों में 2024 चुनाव की तैयारी कर रही है. गांव-गांव अभियान चलाओ लेकिन स्कूल छोड़ दो. माले से जुड़े कन्हैया सिंह ने भी इस मामले की जांच की मांग की है.
झामुमो ने की कार्रवाई की मांग
झामुमो जिलाध्यक्ष संजय सिंह ने प्रचार के इस तरीके पर न सिर्फ आपत्ति दर्ज करायी है, बल्कि दोषियों पर कार्रवाई की मांग भी की है. उनका कहना है कि दो दिन पहले ही प्रशासन के माध्यम से उन्हें चुनाव आयोग की जानकारी मिली है, जिसमें स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि बच्चों को राजनीतिक कार्यों में शामिल नहीं किया जाये. इसके बावजूद बीजेपी नेता स्कूलों में प्रचार कर रहे हैं. सवाल सिर्फ स्कूल प्रबंधन का नहीं बल्कि प्रशासन और शिक्षा विभाग का भी है. आखिर किसकी इजाजत से बीजेपी नेता क्लास टाइम में न सिर्फ स्कूल में घुसे बल्कि बच्चों के बीच जाकर सरकार की नीतियों का बखान भी किया. अगर उन्हें सरकार की उपलब्धियों के बारे में बताना था तो उन्हें बच्चों के अभिभावकों से मिलना चाहिए था, न कि बच्चों की कक्षाओं में व्यवधान उत्पन्न कर स्कूल को राजनीतिक प्रचार-प्रसार का अड्डा बनाना चाहिए था. उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच होनी चाहिए और दोषी प्रिंसिपल और हेडमास्टर के खिलाफ कार्रवाई भी होनी चाहिए. जिलाध्यक्ष ने इस मामले में एफआईआर दर्ज करने की मांग की है.
क्या कहते हैं बीजेपी नेता?