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BJP का मिशन 'गाजी'; माफिया अफजाल के सामने उतारा नया चेहरा, क्या मनोज सिन्हा का रिकॉर्ड दोहराएंगे संघ के पारस - Ghazipur Lok Sabh Seat - GHAZIPUR LOK SABH SEAT

Election 2024: पारसनाथ राय जम्मू-कश्मीर के लेफ्टिनेंट गर्वनर (उप राज्यपाल) मनोज सिन्हा के बेहद करीबी हैं. मनोज सिन्हा बीजेपी के एकमात्र ऐसे नेता हैं जिन्होंने गाजीपुर सीट पर पार्टी को पहली बार 1996 में जीत दिलाई. इसके बाद 1999 और 2014 में भी जीते. लेकिन, 2019 में अफजाल अंसारी के सामने हार गए. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या मनोज सिन्हा के बेहद करीबी पारसनाथ इस सीट पर उनका रिकॉर्ड दोहरा पाते हैं या नहीं?

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 11, 2024, 2:32 PM IST

Updated : Apr 11, 2024, 3:37 PM IST

लोकसभा चुनाव 2024 का टिकट मिलने के बाद मीडिया से बात करते पारसनाथ राय.

गाजीपुर: Lok Sabha Election 2024:भाजपा की यूपी के लिए तीसरी लिस्ट में जो सबसे चौंकाऊ चेहरा है वह है पारसनाथ राय. पार्टी ने पूर्वांचल की सबसे हॉट सीट गाजीपुर से खांटी आरएसएस प्रचारक को लोकसभा चुनाव 2024 में उतारा है. 70 साल के राय पहली बार कोई बड़ा चुनाव लड़ने जा रहे हैं और मुकाबला है पूर्वांचल के सबसे बड़े माफिया अफजाल अंसारी से. अफसाल अंसारी मौजूदा सांसद और सपा-कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशी हैं.

पारसनाथ राय जम्मू-कश्मीर के लेफ्टिनेंट गर्वनर मनोज सिन्हा के बेहद करीबी हैं. मनोज सिन्हा बीजेपी के एकमात्र ऐसे नेता हैं जिन्होंने गाजीपुर सीट पर पार्टी को पहली बार 1996 में जीत दिलाई. इसके बाद 1999 और 2014 में भी जीते. लेकिन, 2019 में अफजाल अंसारी के सामने हार गए. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या मनोज सिन्हा के बेहद करीबी पारसनाथ इस सीट पर उनका रिकॉर्ड दोहरा पाते हैं या नहीं?

मुकाबला माफिया Vs सादगी: इस बार फिर गाजीपुर सीट पर माफिया Vs साफ-सुथरी छवि के नेता के बीच होगा. हालांकि, अभी बसपा ने अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है. यदि, बसपा ने अपना उम्मीदवार मुस्लिम उतार दिया तो यहां मुकाबला त्रिकोणीय हो जाएगा.

भाजपा उम्मीदवार पारसनाथ राय का प्रोफाइल.

पारस राय मदन मोहन मालवीय इंटर कॉलेज सीकरी गाजीपुर के प्रबंध संचालक है और मनोज सिन्हा के करीबियों में गिने जाते हैं. पारस नाथ राय संघ से जुड़े हुए हैं और कभी कोई चुनाव नहीं लड़े हैं. पारसनाथ राय, गाजीपुर के मनिहारी ब्लॉक के जखनियां के सिखड़ी ग्राम सभा के निवासी हैं और शिक्षा क्षेत्र से जुड़े हुए हैं.

पारसनाथ राय ने बताया कि 'अभी तो मैं संघ का दायित्वपूर्ण अधिकारी था, अभी मुक्त हुआ हूं. जब मुझे पता चला तो मैं क्लास पढ़ा रहा था. मैंने टिकट नहीं मांगा था. हम एक साधारण स्वयंसेवक रहे हैं. संघ ने जो भी दायित्व दिया है, हमेशा उनको पूर्ण मनोयोग से पूरा किया है. आज संगठन ने सोचा कि मैं सांसद का चुनाव लड़ूं तो मैं तैयार हूं. सामने कोई भी रहे मैं तो एक सिपाही हूं, सिपाही की तरह लड़ा हूं, आगे भी लड़ूंगा. अभी मैं क्षेत्र में उतरा नहीं हूं. मेरा चुनाव संघठन लड़ेगा.'

गाजीपुर सीट पर जातीय समीकरण की बात करें तो यहां सबसे ज्यादा यादव वोटर हैं. इसके बाद दलित और मुस्लिम मतदाता आते हैं. गाजीपुर सीट पर कुल मतदाता 18,81,077 हैं. जबकि, यादव, दलित और मुस्लिम वोटर कुल मतदाता की आधी संख्या है. यही कारण है कि भाजपा के विरोधी यहां पर हावी रहते हैं.

हालांकि, भाजपा के साथ सवर्ण और कुशवाहा वोटर रहते हैं, जो भाजपा की जीत का कारण रहे हैं. इसी वजह से मनोज सिन्हा को तीन बार इस सीट से जीत मिली है. इस सीट पर कुशवाहा वोटर करीब 2.5 लाख हैं, 1.5 बिंद, पौने दो लाख राजपूत और एक लाख वैश्य मतदाता आते हैं. माना जाता है कि ये भाजपा के साथ रहते हैं और पार्टी के प्रत्याशी को जिताने में अहम भूमिका अदा करते हैं.

सपा-बसपा गठबंधन ने बिगाड़ा था मनोज सिन्हा का खेल: लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा के मनोज सिन्हा को हार का सामना करना पड़ा था. उस समय सपा और बसपा का गठबंधन था. इसके चलते अफजाल अंसारी को 5,66,082 वोट मिले थे. जबकि, मनोज सिन्हा को 4,46,690 मत हासिल हुए थे. हालांकि 2014 के मुकाबले 2019 में मनोज सिन्हा को डेढ़ लाख वोट अधिक मिले थे लेकिन, फिर भी उनको हार का सामना करना पड़ा था.

बसपा के अलग लड़ने से भाजपा को मिल सकता है फायदा: लोकसभा चुनाव 2014 में भाजपा के मनोज सिन्हा ने गाजीपुर सीट पर दूसरी बार जीत दर्ज की थी. इस चुनाव में सपा की ओर से कुशवाहा प्रत्याशी मैदान में था तो बसपा ने यादव को उतारा था. तब दोनों दल अलग-अलग चुनाव लड़े थे. इसका फायदा भाजपा को मिला और मनोज सिन्हा ने जीत हासिल कर ली थी. इस बार बसपा अलग लड़ रही है. माना जा रहा है कि इसका फायदा भाजपा को मिल सकता है.

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Last Updated : Apr 11, 2024, 3:37 PM IST

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