दुमकाःजिला का शिकारीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र झारखंड मुक्ति मोर्चा का गढ़ माना जाता है. इसकी वजह यह है कि पिछले सात बार से झारखंड मुक्ति मोर्चा के नलिन सोरेन इस सीट से जीत हासिल करते आ रहे हैं लेकिन इस बार परिस्थितियां थोड़ी सी बदली नजर आर ही है.
नलिन सोरेन दुमका के सांसद हैं. झामुमो ने 2024 के विधानसभा चुनाव में नलिन सोरेन के पुत्र आलोक सोरेन को अपना प्रत्याशी बनाया ताकि वे अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ा सकें. अब इस बात की चर्चा जोरों पर है कि क्या आलोक सोरेन अपने पिता की तरह आसानी से शिकारीपाड़ा में जीत हासिल कर पाएंगे.
BJP ने परितोष सोरेन को लगातार दूसरी बार उम्मीदवार बनाया
इस बार भाजपा ने परितोष सोरेन को लगातार दूसरी बार अपना उम्मीदवार बनाया है. परितोष सोरेन के बारे में बता दें ये भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के करीबी माने जाते हैं और इन्होंने 2009 और 2014 में झारखंड विकास मोर्चा से भी शिकारीपाड़ा का चुनाव लड़ा था. फिर 2019 में परितोष भाजपा के उम्मीदवार बने लेकिन सफलता नहीं मिली.
अब 2024 में वे फिर से मैदान में हैं. इस बार अंतर यही है कि उनके खिलाफ पहली बार चुनाव लड़ रहे आलोक सोरेन हैं. आलोक, नलिन सोरेन के पुत्र होने के साथ लंबे समय से झामुमो के केन्द्रीय समिति के सदस्य भी हैं. आलोक सोरेन के साथ खास बात यह भी है कि उनकी माता जॉयस बेसरा, दुमका जिला परिषद की अध्यक्ष भी है.
परितोष सोरेन ने कहा- इस बार हमारी जीत पक्की
शिकारीपाड़ा के भाजपा प्रत्याशी परितोष सोरेन ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि यह चौथा मौका है जब मैं चुनावी मैदान में हूं. मेरे पास चार बार का अनुभव है. भाजपा के कुशल नेतृत्व ने शिकारीपाड़ा सीट के लिए विशेष रणनीति तैयार की है. दूसरी ओर झारखंड मुक्ति मोर्चा लगातार शिकारीपाड़ा सीट पर जीत दर्ज करती तो आई है लेकिन वहां विकास के नाम पर जनता को ठगा गया है.