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चुनाव प्रचार के साथ कंगना के पहाड़ी लुक की चर्चा, देखें चुनावी रण में उतरीं 'क्वीन' की ये तस्वीरें - KANGANA RANAUT PAHARI DRESS

कंगना चुनाव प्रचार में अलग-अलग स्थानीय परिधानों में नजर आ रही हैं, ताकि लोगों को अपनेपन का एहसास करवाया जाए. बीजेपी प्रत्याशी का स्थानीय परिधानों में बॉलीवुड अभिनेत्री नहीं ब्लकि बतौर हिमाचली अपनी छवि पेश कर रही हैं. कंगना रनौत के स्थानीय परिधान में नजर आने पर कांग्रेस प्रत्याशी विक्रमादित्य सिंह ने निशाना साधते हुए कहा था कि ऐसा लग रहा है कि जैसे किसी फिल्म की शूटिंग चल रही है. कंगना आजकल अलग-अलग वेशभूषा में घूमती है, उससे हिन्दुत्व का सर्टिफिकेट नहीं चाहिए.

Kangana Ranaut in pahari attire
कंगना रनौत (कंगना रनौत फेसबुक पेज)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : May 19, 2024, 8:07 PM IST

Updated : May 20, 2024, 1:57 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश सांस्कृतिक विविधता वाला राज्य हैं. यहां हर क्षेत्र की अपनी बोली और अलग-अलग परिधान हैं. हर हिमाचली को अपनी बोली और परिधानों पर गर्व है. कंगना ने लोकसभा चुनाव 2024 के प्रचार में इसी सांस्कृतिक विविधता को अपना हथियार है. कंगना चुनाव प्रचार में अलग-अलग स्थानीय परिधानों में नजर आ रही हैं, ताकि लोगों को अपनेपन का एहसास करवाया जाए. बीजेपी प्रत्याशी का स्थानीय परिधानों में बॉलीवुड अभिनेत्री नहीं ब्लकि बतौर हिमाचली अपनी छवि पेश कर रही हैं.

चंबा के भरमौर में चुनाव प्रचार के दौरान कंगना गद्दी ड्रेस में नजर आई थी. इस दौरान गद्दी परिधान में ही उन्होंने मंदिर में माथा टेका था, जिस परिधान में कंगना चंबा में नजर आई थी उसे लुआंचड़ी डोरा कहा जाता है. इसे गद्दी लोग खास अवसर पर पहनते हैं. इस ड्रेस को लोगों ने खूब पसंद किया था और कंगना की ये फोटो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थी.

कुल्लू में कंगना रनौत स्थानीय कुल्लवी टोपी और 'पट्टू' में नजर आईं थी. ऊन से बना पट्टू सर्दियों में पहाड़ी इलाकों में महिलाओं के लिए एक प्रमुख पोशाक है. ठंड से खुद को बचाने के लिए पट्टू का इस्तेमाल होता है. इसपर शानदार कशीदकारी होती है. ये कला और परंपरा के तौर पर हिमाचल की संस्कृतिक में विशेष स्थान रखता है. इसे स्थानीय बुनकर एक मशीन जिसे खड्डी कहा जाता है पर बुना जाता है.

किन्नौरी शॉल जटिल और सुंदर डिजाइनों के लिए विश्व में प्रसिद्ध है. इस शॉल की बुनाई में खास कारीगरी की जरूरत होती है. इनके रंग और डिजाइन विशेष धार्मिक महत्व और पौराणिक महत्व रखते हैं. किन्नौर दौरे के दौरान कंगना पारंपरिक वेशभूषा में दोड़ू, चोली, पट्टू, शॉल, मफलर में नजर आई थीं.

चुनाव प्रचार के दौरान कंगना ने किन्नौरी शॉल, करसोगी बास्केट से लेकर पट्टू और रेजटा पहना. इसके साथ ही वो साड़ी में भी नजर आईं. यही नहीं, अपने प्रचार की शुरुआत भी मंडयाली में की और मार्च 29 को मंडयाली में ही अपना भाषण दिया. साथ ही इस दौरान कंगना कई बार साड़ी, सूट-सलवार में भी नजर आ चुकी हैं. अपनी पोशाक और परिधान के जरिए कंगना लोगों के दिलों में जगह बनाने की कोशिश कर रहीं हैं. इसमें उन्हें कितनी कामयाबी मिलेगी ये तस्वीर नतीजों के दिन साफ होगी.

कंगना रनौत के स्थानीय परिधान में नजर आने पर कांग्रेस प्रत्याशी विक्रमादित्य सिंह ने निशाना साधते हुए कहा था कि ऐसा लग रहा है कि जैसे किसी फिल्म की शूटिंग चल रही है. कंगना आजकल अलग-अलग वेशभूषा में घूमती है, उससे हिन्दुत्व का सर्टिफिकेट नहीं चाहिए.

बता दें कि हिमाचल प्रदेश में अलग-अलग जगहों की अलग-अलग बोली, परिधान और खानपान और कल्चर है. हिमाचल प्रदेश के अलग अलग क्षेत्रों में अक्सर टोपी की अपनी अलग पहचान और शैली है. ये शैली राज्य के भीतर की विविधता को प्रदर्शित करती है. किन्नौर, चंबा, कुल्लू, बुशहरी और अन्य क्षेत्रों में पहनी जाने वाली टोपियां डिज़ाइन, रंग और कढ़ाई पैटर्न में भिन्न हो होती हैं, इससे पहनने वाले के मूल क्षेत्र की आसानी से पहचान हो सकती है.

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Last Updated : May 20, 2024, 1:57 PM IST

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