मलेरिया और डायरिया से हुई मौतों को लेकर हाईकोर्ट सख्त, स्वत: संज्ञान लेकर मुख्य सचिव से मांगा जवाब - High Court strict
BILASPUR High Court strict regards deaths छत्तीसगढ़ में मलेरिया और डायरिया से हुई मौतों और कांवड़ से मरीजों को अस्पताल पहुंचाने के मामले में हाईकोर्ट ने स्वत:संज्ञान लिया है.deaths due to malaria and diarrhea
मौतों को लेकर हाईकोर्ट सख्त (ETV Bharat Chhattisgarh)
बिलासपुर :कोटा क्षेत्र के टेंगनामड़ा में दो बच्चों की मलेरिया से मौत हो जाने और कांवड़ में मरीज को अस्पताल ले जाने समेत स्वास्थ्य व्यवस्था संबंधी दूसरे मामलों को लेकर हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है. जनहित याचिका दर्ज करते हुए मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
दो भाईयों की हुई थी मौत :आपको बता दें कि कोटा विकासखंड के टेंगनमाड़ा में 12 और 15 साल के दो भाईयों इमरान और इरफान की कोटा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के दौरान मृत्यु हो गई थी. उन्हें 5 दिन पहले बुखार आया था. तब टेंगनमाड़ा के उप स्वास्थ्य केंद्र में उनके परिजन उन्हें उपचार के लिए ले गए थे. वहां के स्टाफ ने साधारण बुखार और ठंड की दवा देकर उन्हें वापस भेज दिया था. बाद में उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ने लगी. तब उन्होंने गांव के ही झोलाछाप डॉक्टर से इलाज कराया जिसने दोनों बच्चों को स्लाइन चढ़ाया और इंजेक्शन लगाया. लेकिन दोनों बच्चों की तबीयत सुधरने के बजाए बिगड़ गई.इसके बाद परिजनों ने बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराया.जहां उनकी मौत हो गई.
डायरिया से भी हुईं मौतें :इसके अलावा कोटा ब्लॉक में ही कांवड़ में मरीज को ढोने, सरगुजा और बस्तर संभाग में डायरिया और मलेरिया से 11 से अधिक लोगों की मौत हो जाने की घटनाएं हाल के दिनों में सामने आ चुकी हैं. इन सब घटनाओं से चिंतित हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने स्वतः संज्ञान जनहित याचिका दर्ज की है. और मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने के लिए कहा है.
एयरपोर्ट मामले में भी सुनवाई : बिलासपुरहाईकोर्ट ने डीवीओआर टेक्नोलॉजी लगाने के लिए राज्य सरकार की सहमति के बाद नाइट लैंडिंग और जमीन सीमांकन का काम तेज करने के निर्देश दिए हैं. जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस राधाकृष्ण अग्रवाल के कड़े रुख और सार्थक दखल से बिलासपुर एयरपोर्ट के विकास का मार्ग प्रशस्त हो गया है. गुरुवार को जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने बताया कि कोर्ट के निर्देश पर हुई बैठक में केंद्र सरकार ने जो निर्देश नाइट लैंडिंग के सम्बन्ध में दिए गए है उन्हें मानने के लिए राज्य सरकार तैयार है. इससे स्पष्ट हो गया कि अब राज्य सरकार सेटेलाइट आधारित पीबीएन टेक्नोलॉजी के आधार पर नाइट लैंडिंग सुविधा की जिद नहीं करेगी.
क्या था मामला ? :आपको बता दें कि लगभग एक साल से केंद्र और राज्य के बीच एयरपोर्ट में नाइट लैंडिंग के लिए टेक्नोलॉजी के उपयोग पर मतभेद के कारण मामला अटका था. 19 जून को सुनवाई में हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य की संयुक्त बैठक बुला कर मामले को हल करने के निर्देश दिए थे. आखिरकार राज्य को वही निर्देश मानने पड़े जो केंद्र ने अपने 18 अप्रैल के पत्र में दिए थे. उस निरर्थक बहस के कारण हुए समय के नुकसान की भरपाई के लिए कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए कि वह केंद्र सरकार की एजेंसीज के साथ मिल कर जल्दी से जल्दी डीवीओआर समेत अन्य उपकरणों के स्थापना की प्रक्रिया शुरू करे.