रांची:झारखंड में एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच सीटों के तालमेल को अमलीजामा पहनाया जा चुका है. यह अलग बात है कि एनडीए ने सीट शेयरिंग को लेकर ज्वाइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस किया जबकि इंडिया गठबंधन इससे चूक गया. एनडीए में 10 सीटें आजसू, 02 सीटें जदयू और 01 सीट लोजपा(आर) को मिली है. इसका मतलब है कि भाजपा को शेष 68 सीटें मिली हैं. लेकिन भाजपा ने अभी तक 66 प्रत्याशियों की लिस्ट जारी की है. लिहाजा, बीजेपी में सिर्फ दो सीटों पर सस्पेंस बना हुआ है. वहीं इंडिया गठबंधन में झामुमो 41, कांग्रेस 30, राजद 06 और भाकपा माले को 04 सीटें मिली हैं. यहां सीट शेयरिंग का सस्पेंस खत्म हो चुका है.
इन सबके बीच झारखंड में सबसे ज्यादा चर्चा ट्राइबल नेताओं को लेकर हो रही है. क्योंकि इन्हीं नेताओं की हार-जीत सत्ता का समीकरण तय करेगी. इस लिस्ट में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन, बसंत सोरेन, कल्पना सोरेन, सीता सोरेन, गीता कोड़ा और मीरा मुंडा के नाम हैं.
हेमंत से टक्कर के लिए एनडीए में प्रत्याशी की तलाश
बरहेट से मैदान में उतर चुके झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष सह सीएम हेमंत सोरेन से टक्कर लेने के लिए एनडीए में प्रत्याशी की तलाश चल ही रही है. दुमका की पूर्व विधायक और तत्कालीन रघुवर सरकार में मंत्री रहीं लुईस मरांडी को भाजपा ने बरहेट से उतारने का फैसला किया था लेकिन लुईस ने मना कर दिया. दुमका में टिकट कटा तो लुईस मरांडी ने झामुमो की सदस्यता ग्रहण कर ली. हेमंत के खिलाफ प्रत्याशी के सवाल पर बाबूलाल मरांडी का कहना है कि बस अभी दिल थामकर रखें.
बाबूलाल मरांडी की धनवार में बल्ले-बल्ले
राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी की इस चुनाव में बल्ले-बल्ले दिख रही है. क्योंकि इस सीट पर इंडिया गठबंधन की ओर से झामुमो ने निजामुद्दीन अंसारी को प्रत्याशी बना दिया है. दूसरी तरफ भाकपा माले ने भी राजकुमार यादव को मैदान में उतार दिया है. जाहिर है कि इंडिया गठबंधन में फ्रेंडली फाइट का फायदा बाबूलाल मरांडी को मिल सकता है. 2019 के चुनाव में बाबूलाल मरांडी धनवार से जेवीएम के टिकट पर जीते थे. उस चुनाव में भाजपा के लक्ष्मण प्रसाद सिंह दूसरे स्थान पर रहे थे. जबकि भाकपा माले के राजकुमार यादव तीसरे और झामुमो के निजामुद्दीन अंसारी छठे स्थान पर थे.
खास बात है कि 2019 में भाकपा माले महागठबंधन यानी इंडिया गठबंधन में शामिल नहीं था. लेकिन इस बार गठबंधन के बावजूद झामुमो का भाकपा माले से तालमेल नहीं बैठा. इसके पीछे इंटरनल कॉन्सपिरेसी की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता.
चंपाई सोरेन को चुनौती देने वाले का इंतजार
चंपाई सोरेन के साथ भी हेमंत सोरेन वाली स्थिति बनी हुई है. झामुमो ने भी चंपाई सोरेन के खिलाफ अबतक प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है. जबकि भाजपा ने उन्हें सरायकेला के मैदान में उतार दिया है. झामुमो प्रवक्ता मनोज पांडेय के मुताबिक पहले लिस्ट में सरायकेला में प्रत्याशी नहीं देना राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है.
आपको बता दें कि 2019 में भाजपा के गणेश महली ने चंपाई सोरेन को चुनौती दी थी. लेकिन चंपाई के भाजपा में आने से समीकरण बदल गया है. कुछ दिन पहले गणेश महली भी झामुमो में शामिल हो चुके हैं. 2014 में कांग्रेस के टिकट पर चंपाई सोरेन के खिलाफ चुनाव लड़ चुके बास्को बेसरा भी झामुमो में जा चुके हैं. लिहाजा, बरहेट में सीएम हेमंत और सरायकेला में पूर्व सीएम चंपाई के खिलाफ दोनों प्रमुख पार्टियों द्वारा प्रत्याशी का नाम घोषित नहीं करने से कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं.
बसंत, कल्पना, गीता, सीता, मीरा का किससे होगा सामना