नई दिल्ली: दिल्ली में मौजूदा समय में 37 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट काम कर रहे हैं लेकिन वह पूरी क्षमता के साथ काम नहीं कर रहे हैं. इसकी वजह से दिल्ली में हर रोज निकलने वाला सीवेज पूरी तरह से ट्रीट नहीं हो रहा है. बड़ी मात्रा में सीवेज यमुना नदी में चला जा रहा है जिसकी वजह से वह और ज्यादा मैली हो रही है. एसटीपी की क्षमता 667 एमजीडी है जिसको बढ़ा कर 964 एमजीडी किया जाएगा. लेकिन अभी इसमें वक्त लगेगा जल बोर्ड अधिकारियों का मानना है कि वर्तमान में एसटीपी 565 एमजीडी-610 एमजीडी कैपेसिटी के बीच सीवेज ट्रीटमेंट कर रहे हैं. इसको 964.5 एमजीडी तक करने पर काम किया जा रहा है जिसकी डेडलाइन दिसंबर, 2026 तय की गई है.
दिल्ली सरकार की ओर से इस बाबत एक एक्शन टेकन रिपोर्ट दिल्ली हाई कोर्ट में प्रस्तुत की गई जिसमें एसटीपी की कैपेसिटी बढ़ाने की डेडलाइन तय करने से लेकर यमुना में सीवेज डलने से रोकने की योजना से अवगत कराया गया है. यमुना नदी में सीवेज नहीं जाए, इस दिशा में आने वाले दिनों में और तेजी से काम किया जाएगा. यमुना नदी में सिर्फ उपचारित पानी को ही छोड़ा जाए, इसको सुनिश्चित किया जाएगा. जल बोर्ड की तरफ से पहले मौजूदा STP की क्षमता को 667 MGD से बढ़ाकर 964.5 MGD करने की डेडलाइन 31 मार्च, 2025 तय की गई थी लेक न अब इसको दिसंबर, 2026 तक पूरा किए जाने की संभावना जताई गई है. दिल्ली का सीवेज यमुना में नहीं जाए इसको लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल से लेकर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से भी पूर्व में भी निर्देश दिए जा चुके हैं.
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यमुना एक्शन प्लान-3 के तहत ओखला सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट तैयार किया जा रहा है. डीजेबी को ओखला प्लांट के लिए पूरा फंड केंद्र सरकार की नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (NMCG) योजना के तहत दिया गया है. यह प्लांट कीचड़ प्रबंधन घटक और अल्ट्रावॉयलेट टेक्नॉलोजी के साथ सबसे एडवांस्ड डीजेबी सुविधाओं से लैस होगा. इस एसटीपी की क्षमता हर रोज करीब 124 मिलियन गैलन (एमजीडी) अपशिष्ट जल को साफ करने की होगी जोकि देश में अपने तरह का बड़ा प्लांट होगा.
अनधिकृत कालोनियों में वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की व्यवस्था:इसके अलावा सरकार अनधिकृत कॉलोनियों और झुग्गी झोपड़ी (जेजे) कलस्टर के सीवेज को भी 100% कैप्चर करने की योजना पर भी काम कर रही है जिससे कि अनुपचारित सीवेज को यमुना नदी में नहीं डाला जाए. इसके लिए सरकार इन-सीटू यानी यथास्थान पर वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट की व्यवस्था पर भी काम कर रही है. इसका बड़ा फायदा यह होगा कि इन अनधिकृत कॉलोनियों और जेजे कलस्टर का सीवेज बिना ट्रीट किए यमुना नदी में नहीं जा सकेगा. सिर्फ ट्रीटेड वाटर ही यमुना में छोड़ा जा सकेगा.