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एमपी में पत्नियों के साइन पर पतियों की हुकूमत, नाम के लिए महिला सरपंच, सारे फैसले लेते हैं पति - WOMEN SARPANCH SAMMELAN

देश और प्रदेश में आधी आबादी के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है, पुरुषों के बराबर उनकी भागीदारी करने के तमाम प्रयास भी किए जा रहे हैं, लेकिन धरातल पर हकीकत कुछ अलग नजर आती है. प्रदेश में 12 हजार 920 महिला सरपंच हैं, लेकिन हुकूमत उनके पतियों की चलती है. वे महज कागजों पर दस्तखत का काम करती हैं.

BHOPAL WOMEN SARPANCH SAMMELAN
एमपी में पत्नियों के साइन पर पतियों की हुकूमत (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 9, 2024, 6:33 PM IST

भोपाल: क्या पंचायतों में महिला सरपंचों को 50 फीसदी आरक्षण देने के बाद महिला सरपंच सशक्त हो पाई हैं. क्या सरपंच पति की संस्कृति पर रोक लग पाई है, इन सवालों के जवाब तलाशिए तो अलग तस्वीर सामने आती है. देवास जिले की लखनाखेड़ी पंचायत की बबीता विश्वकर्मा केवल साइन यानि दस्तखत करती हैं, बाकी पूरी पंचायत उनके पति दिनेश पटेल संभालते हैं. सागर के गोरझामर पंयात की सरपंच बबीता विश्वकर्मा की मुश्किल ये है कि पंच महिलाएं हैं, लेकिन उनके पति बैठक में आते हैं और उन पर अपनी मर्जी के फैसले करने का दबाव बनाते हैं. एमपी में 23 हजार 11 पंचायत हैं. जिसमें से 12 हजार 920 पंचायतों में महिला सरपंच हैं.

महिला सरपंचों ने की ईटीवी भारत से बात (ETV Bharat)

साइन का काम मेरा है, बाकी काम पति का

भोपाल में सीएम आवास में हुए सरपंच सम्मेलन में शामिल होने आई सुलोचना पटेल उन चुनी हुई 1 हजार सरपंचों में से हैं, जिन्हें इस आयोजन के विशेष आमंत्रण के साथ भोपाल सीएम हाउस में महिला सरपंच सम्मेलन के लिए बुलाया गया है. सुलोचना पटेल दो साल पहले सरपंच बनी हैं. दो बरस का तजुर्बा क्या रहा, कितने काम हुए. इस पर वे कहती हैं कि 'नल लग गए, लेकिन पानी नहीं आता. सड़क इतनी खराब की निकल नहीं सकते. इस सवाल पर वे कहती हैं कि मेरा तो काम साइन करने का है, बाकी सारा काम मेरे पति करते हैं. पति दिनेश पटेल फैसले लेते हैं. उन फैसलों पर दस्तखत करने भर का काम महिला सरपंच सुलोचना पटेल का है.'

महिला सदस्य हैं, लेकिन पंचायत में आते हैं उनके पति

सागर जिले के गोरझामर पंचायत की सरपंच बबीता विश्वकर्मा अपने पति के निधन के बाद उपचुनाव में सरपंच बनी. पति बैनी प्रसाद विश्वकर्मा के निधन के बाद उपचुनाव हुए और बबीता सरपंच सुनी गई.बबीता बतातीहै कि 'पंच जो हैं, वो महिलाएं लेकिन बैठक में उनके पति आते हैं. 13 महिलाएं हैं, लेकिन 13 पुरुष आते हैं. बबीता कहती है, हम हमेशा कहती हैं कि आपकी पत्नी को भेजिए, लेकिन वही आते हैं और दबाव बनाते हैं कि वो जो कहें वही फैसले लिए जाएं. हम जनता की सेवा करना चाहते हैं, लेकिन वो चाहते हैं उनकी सुनी जाए.' ये कहते हुए बबीता घबरा जाती हैं और फिर कहती है, 'मेरे छोटे-छोटे बच्चे हैं डरती हूं. आपसे सब कह दिया, लेकिन ये खबर में आएगा तो वो परेशान करेंगे.'

सम्मेलन में पहुंची महिला सरपंच (ETV Bharat)

मैं भी करती हूं मेरे पति भी संभालते हैं पंचायत

भोपाल के नजदीक ग्राम पंचायत कुटकी पुरा से आई सरपंच रंजू राकेश सिंह खुल कर बतातीहैं कि कैसे उनकी पंचायत में समस्याओं का अंबार है. कहती हैं, सबसे बड़ी दिक्कत लड़कियों के स्कूल की है. बहुत दूर स्कूल है. पानी की बहुत समस्या है, वो लोग सुनवाई नहीं कर रहे है. कौन लोग ये पूछने पर बताती हैं कि अधिकारी सुनवाई नहीं कर रहे हैं. गांव के रोड खराब हो चुके हैं. स्कूल जर्जर पड़ा हुआ है. क्या सरपंच आप ही संभालती हैं, इस पर रंजू कहती है हम भी संभालते हैं हमारे पति भी काम करवाते हैं.'

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एमपी में 50 फीसदी से ज्यादा महिला सरपंच

सीएम हाउस में रानी दुर्गावती सम्मेलन के नाम पर महिला सरपंचों का सम्मेलन बुलाया गया था. जिसमें महिला सरपंचों के साथ सीएम डॉ मोहन यादव ने रक्षाबंधन का त्योहार मनाया. इनमें से चुनिंदा महिला सरपंचों ने सीएम डॉ मोहन यादव के सामने अपने अनुभव भी साझा किए. प्रदेश में 23 हजार से ज्यादा ग्राम पंचायते हैं, जिनमें से 12 हजार 920 पंचायतों में महिला सरपंच हैं.

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