भोपाल: राजधानी भोपाल में 29 नवंबर से विश्व के सबसे बड़े आलमी तग्लीगी इज्तिमा का आयोजन किया जाएगा. इसमें देश और दुनिया की करीब 30 हजार से अधिक जमातें शामिल होंगी. आयोजन समिति के अनुसार, यह मुस्लिम धर्म का विश्व में सबसे बड़ा आयोजन होगा. 4 दिनों तक चलने वाले आलमी तब्लीगी इज्तिमा में 10 से 12 लाख लोगों के शामिल होने का अनुमान है. हर बार की तरह इस बार भी इज्तिमा आयोजन की तैयारी ग्रीन और क्लीन के थीम पर हो रही है.
सन 1947 में 14 लोगों ने की थी शुरुआत
बता दें कि, भारत में इज्तिमा की शुरुआत 1947 में हुई थी. सबसे पहले इसका आयोजन मस्जिद शकूल खाँ में हुआ था. उस समय केवल 12 से 14 लोग ही थे, जो इस कार्यक्रम में शामिल हुए. बाद में इसका आयोजन 1971 में बड़े स्तर पर ताजुल मसाजिद में होने लगा. धीरे-धीरे इसमें आने वालों की संख्या भी बढ़ने लगी. साल 2015 में इसे बैरसिया रोड स्थित ईंटखेड़ी के पास घासीपुरा में शिफ्ट किया गया. उसके बाद से ये यहीं लग रहा है. इस आयोजन के लिए भोपाल में 2 माह पहले से तैयारियां होती हैं. कार्यक्रम में शामिल होने वाली जमातों की बुनियादी जरूरत पूरा करने के लिए हर इंतजाम किए जाते हैं.
दुनिया के केवल 3 देशों में होता है आयोजन
दुनिया में सिर्फ 3 देश ही इज्तिमा का आयोजन कराते हैं. इनमें पहला भारत, दूसरा पाकिस्तान और तीसरा बांग्लादेश है. कोरोना काल में दो साल तक भोपाल में यह आयोजन नहीं हुआ.
500 एकड़ में होगा आयोजन
आलमी तब्लीगी इज्तिमा को लेकर कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह और इंतेजामिया कमेटी के सदस्यों के साथ पुलिस व अन्य विभागों के अधिकारियों की बैठक भी हो चुकी है. इसमें आयोजन स्थल पर पानी, बिजली, साफ-सफाई समेत मार्ग का प्रबंध करने को लेकर चर्चा हुई. वहीं करोंद में चल रहे मेट्रो कार्य के दौरान भोपाल टाकीज से करोंद तक बैरिकेडिंग हटाने कम करने को लेकर भी मेट्रो कंपनी के अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं.
आयुर्वेद और यूनानी दवाखानों की भी रहेगी व्यवस्था
इज्तिमा कमेटी के आरिफ गोहर ने बताया कि, ''इस बार आयुर्वेद और यूनानी दवाखानों की व्यवस्था भी शासन द्वारा की जा रही है. इनके लिए अलग से स्टॉल लगाए जाएंगे. मेले में 4 दिन तक जो रुकेगा उनके के लिए टेंट और बिछात की व्यवस्था कमेटी द्वारा की जाएगी. सोने और ओढ़ने का सामान जमाती खुद लेकर चलते हैं. खाना बनाने के लिए लकड़ी की व्यवस्था कमेटी कर रही है. कहीं भी गैस का उपयोग नहीं किया जाएगा, हालांकि यह निर्णय सुरक्षा की दृष्टि से लिया गया है. वहीं 15 एकड़ जमीन पर खाने के लिए 50 फूड जोन बनाए जाएंगे. जमातियों को नीचे बैठ कर खाना खाने की भी व्यवस्था रहेगी.''