भोपाल।एमपी में लोकसभा चुनाव की 29 सीटों पर आ रहे नतीजे केवल राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों का ही भविष्य तय नहीं करेंगे. ये नतीजे एमपी में कांग्रेस और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और जीतू पटवारी का मुकद्दर भी तय करने वाले होंगे. लोकसभा चुनाव के एन पहले एमपी में कांग्रेस की कमान संभालने वाले जीतू पटवारी के लिए तो ये चुनाव लिटमस टेस्ट है. ये नतीजे ही बताएंगे कि पार्टी में नौजवान पीढ़ी पर दांव लगाने का फैसला कांग्रेस के लिए सही रहा या गलत. वीडी शर्मा बीते विधानसभा चुनाव में भी अपनी परफार्मेंस दे चुके हैं . लेकिन इस लोकसभा चुनाव के बाद माना जा रहा है कि उनकी भूमिका बदलेगी. इस बदली भूमिका में एमपी की लोकसभा सीट के नतीजे भी काउंट किए जाएंगे.
जीतू के लिए ये जीत क्यों है जरुरी
जीतू पटवारी ने तलवार की धार पर चलते हुए एमपी में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभाली थी. विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद चुनौती पार्टी को संभालने से बड़ी ये थी कि पार्टी में मची दौड़ को रोका कैसे जाए. जीतू पटवारी के अध्यक्ष पद संभालते ही पार्टी में टूट शुरु हो गई. जिसमें जिला स्तर के कार्यकर्ता से लेकर विधायक, पूर्व केन्द्रीय मंत्री तक पार्टी छोड़ गए.
वरिष्ठ पत्रकार पवन देवलियाकहते हैं कि "जीतू पटवारी के लिए ये मौका था खुद को साबित करने का लेकिन जिस तरह से पार्टी में उनकी जिम्मेदारी संभालने के साथ ही भगदड़ मची तो उसने फर्स्ट इम्प्रेशन यही दिया कि जीतू संभाल नहीं पाए. 4 जून को आ रहे नतीजे भी जीतू पटवारी की परफार्मेंस रिपोर्ट का अहम हिस्सा होंगे. अगर कांग्रेस कुछ सीटों पर बढ़त बना पाती है तो जाहिर है क्रेडिट जीतू पटवारी के हिस्से जाएगा और बीजेपी कांग्रेस के बीच अगर 29-0 का स्कोर बनता है जो दावा बीजेपी कर रही है, तो इस हार के ठीकरे के स्वाभाविक जिम्मेदारी भी जीतू पटवारी की ही होगी."
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