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आंखों पर पट्टी बांधकर काम कर रहे हैं भोपाल नगर निगम के अधिकारी, भूत के नाम पर जारी की बिल्डिंग परमिशन! - Building Construction Against Rules

भोपाल नगर निगम के अधिकारी नियमों को ताक पर रखकर काम कर रहे हैं. 10 साल पहले मौत हो चुके एक व्यक्ति के नाम पर बिल्डिंग परमिशन जारी कर दी. इधर निगम के ही जल विभाग ने इसी परमिशन को लेकर सवाल उठाते हुए नोटिस जारी किया है.

BUILDING CONSTRUCTION AGAINST RULES
भोपाल नगर निगम के अधिकारियों का कारनामा (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 10, 2024, 9:57 PM IST

भोपाल। नगर निगम की बिल्डिंग परमिशन शाखा में आए दिन अधिकारियों के नए-नए कारनामे सामने आते रहते हैं. अब इस बार भूत के नाम पर बिल्डिंग परमिशन जारी करने का मामला सामने आया है. इसमें भूखंड मालिक की वर्ष 2012 में मृत्यु हो चुकी है. इससे समझा जा सकता है कि नगर निगम के अधिकारी किस प्रकार आंखों पर पट्टी बांधकर काम कर रहे हैं.

मौत के 10 साल बाद निगम ने जारी की परमिशन

बता दें कि मृतक की मौत का मृत्यु प्रमाण पत्र 23 नवंबर 2012 को जारी हो चुका है जबकि बिल्डिंग परमिशन जारी होने की तारीख 8 जुलाई 2022 है. यानि मृत्यु के 10 साल बाद नगर निगम ने परमिशन दी. वहीं जिस भूखंड पर भवन निर्माण की अनुमति दी गई है, उसके नीचे पानी से दो पाइप लाइन गुजर रही हैं. निगम के जलकार्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि साल 1965 में ईदगाह के 5 एमजीडी प्लांट के लिए पाइप लाइन बिछाई गई थी. इसके अलावा साल 2015 में 600 एमएम पाइप लाइन बिछी है. इसके बावजूद पाइप लाइन के ऊपर निर्माण किया जा रहा है, जिससे भविष्य में बड़ी दुर्घटना की आशंका है.

एक विभाग ने दी परमिशन, दूसरे ने जारी किया नोटिस

एक ओर जहां नगर निगम की भवन अनुज्ञा शाखा ने करबला के पास इस मकान को बनाने के लिए अनुमति जारी की. वहीं निगम के जलकार्य विभाग की ओर से संबंधित को नोटिस जारी किया गया. जोन के अमले ने विवादित स्थल का मौका-मुआयना किया. जलकार्य विभाग के सिटी इंजीनियर जेएड खान ने बताया कि "विभाग की दो पाइप लाइ करबला की खुली भूमि से गुजरी हैं. अब वहां निर्माण होने की जानकारी सामने आने पर नोटिस दिया है. इधर बिल्डिंग परमिशन के सिटी प्लानर अनूप गोयल के मुताबिक मामला संज्ञान में आते ही संबंधितों को नोटिस दिए गए हैं. जांच रिपोर्ट आने पर निर्माण के खिलाफ कार्रवाई भी होगी."

रजिस्ट्री के समय भूखंड मालिक की भी हो चुकी थी मृत्यु

जिस भूखण्ड को लेकर इतनी शिकायतें हो रही हैं उसका एक और विवाद भी सामने आया है. कर्मचारी नेता साजिद नूर का दावा है कि "उनके पिता आबिद नूर की मृत्यु 20 नवंबर 1997 को हो चुकी है लेकिन साल 1999 में मृतक पिता के नाम से तीन रजिस्ट्रियां हो गईं. इस संबंध में उन्होंने जिला प्रशासन, नगर निगम, टीएनसीपी, नजूल आदि जगह शिकायत की है."

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परिषद में मामला आने के बाद सक्रिय हुए अधिकारी

इस मामले में कांग्रेस पार्षद मो. सरवरने नगर निगम परिषद की बैठक में भी मुद्दा उठाया था साथ ही उन्होंने भूखंड मालिक के नाम पर जारी की गई परमिशन और उसके मृत्यु प्रमाण पत्र भी निगम अध्यक्ष, महापौर और नगर निगम आयुक्त को दिखाया था,जिसके बाद अधिकारी हरकत में आए और इस मामले की जांच शुरू की.

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