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समुद्र के रास्ते मादक पदार्थों की तस्करी, भारत और श्रीलंका की नौसेनाओं के बीच सहयोग का महत्व - DRUG TRAFFICKING

श्रीलंकाई नौसेना समुद्र में मादक पदार्थों की तस्करी से निपटने के लिए भारतीय नौसेना के साथ संयुक्त अभियान चलाने की योजना बना रही है.

Importance Of Indian And Sri Lankan Navies Collaborating To Curb Drug Trafficking
प्रतीकात्मक तस्वीर (ANI)
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By Aroonim Bhuyan

Published : Dec 3, 2024, 11:05 PM IST

नई दिल्ली: श्रीलंकाई नौसेना ने मादक पदार्थों की तस्करी को रोकने के लिए भारतीय नौसेना के साथ मिलकर संयुक्त अभियान चलाने की मांग की है, इसे श्रीलंका और भारत के बीच समुद्री सुरक्षा सहयोग के क्षेत्र में एक बड़े घटनाक्रम के रूप में देखा जा सकता है.

पिछले महीने भारतीय नौसेना ने श्रीलंकाई नौसेना को दो श्रीलंकाई ध्वज वाली मछली पकड़ने वाली नौकाओं को पकड़ने में मदद की थी, जो मादक पदार्थ ले जा रही थीं. यह पहला ऐसा मामला था जब श्रीलंकाई नौसेना को समुद्र में भारतीय नौसेना से मदद मिली. इसके बाद श्रीलंकाई नौसेना ने यह पहल की.

श्रीलंका के न्यूज पोर्टल डेली मिरर ( Daily Mirror) की एक रिपोर्ट के अनुसार, श्रीलंकाई नौसेना के कमांडर वाइस एडमिरल प्रियंता परेरा (Priyantha Perera) ने कहा है कि उनका बल भारतीय नौसेना के साथ हिंद महासागर क्षेत्र में, विशेष रूप से समुद्र में, मादक पदार्थों की तस्करी से निपटने के लिए संयुक्त संचालन बढ़ाने की योजना बना रहा है.

पिछले महीने की घटना का जिक्र करते हुए वाइस एडमिरल परेरा ने कहा कि समुद्र में संभावित मादक पदार्थों की तस्करी के बारे में खुफिया जानकारी मिलने पर, श्रीलंकाई अधिकारियों ने कोलंबो में भारतीय उच्चायोग से संपर्क किया.

उन्होंने कहा, "डिफेंस अताशे (Defence Attache) ने तुरंत कार्रवाई की और तस्करी करने वाले जहाजों का पता लगाने और उन पर नजर रखने के लिए विमान और हाई-टेक ड्रोन तैनात करके भारतीय नौसेना को शामिल किया. श्रीलंकाई अधिकारियों के साथ मिलकर काम करते हुए, नशीले पदार्थों से लदे जहाजों को जब्त करने के लिए भारतीय नौसेना के दो जहाज भेजे गए."

भारतीय उच्चायोग के एक बयान के अनुसार, अरब सागर में श्रीलंकाई ध्वज वाले मछली पकड़ने वाले जहाजों द्वारा संभावित मादक पदार्थों की तस्करी के बारे में श्रीलंकाई नौसेना से मिली जानकारी के आधार पर, भारतीय नौसेना ने नावों को रोकने के लिए समन्वित अभियान के माध्यम से त्वरित कार्रवाई की.

बयान में कहा गया है, "भारतीय नौसेना के लंबी दूरी के समुद्री गश्ती विमान और दूर से संचालित विमान द्वारा व्यापक निगरानी की गई, जो गुरुग्राम में सूचना संलयन केंद्र (हिंद महासागर क्षेत्र) से प्राप्त इनपुट के आधार पर थी. इसके बाद अभियान को बढ़ाने के लिए भारतीय नौसेना के एक जहाज को तैनात किया गया.

उच्चायोग ने बयान में कहा है कि श्रीलंकाई नौसेना से लगातार मिल रही सूचनाओं और भारतीय नौसेना के विमानों द्वारा हवाई निगरानी के आधार पर दोनों नौकाओं की पहचान की गई. इसके बाद, समन्वित अभियान में, 24 और 25 नवंबर को जहाज की बोर्डिंग टीम द्वारा दोनों नौकाओं को पकड़ा गया और लगभग 500 किलोग्राम मादक पदार्थ (क्रिस्टल मेथ) जब्त किया गया, जिसकी कीमत 170 बिलियन श्रीलंकाई रुपये थी. दोनों नौकाओं, चालक दल और जब्त मादक पदार्थों को आगे की कानूनी कार्रवाई के लिए समुद्र में श्रीलंकाई नौसेना के जहाज को सौंप दिया गया.

भारतीय उच्चायोग के बयान में आगे कहा गया कि यह अभियान क्षेत्रीय समुद्री चुनौतियों का संयुक्त रूप से समाधान करने और हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दोनों नौसेनाओं के संयुक्त संकल्प का प्रतीक है.

बयान में कहा गया कि भारत सरकार ने श्रीलंका को भारतीय नौसेना का एक डोर्नियर समुद्री विमान भी प्रदान किया है, ताकि द्वीप राष्ट्र की समुद्री निगरानी क्षमता को बढ़ाया जा सके. यह इस क्षेत्र में भारत को पसंदीदा सुरक्षा भागीदार के रूप में फिर से स्थापित करता है और यह भारत और श्रीलंका के लोगों के लिए दोनों देशों और नौसेनाओं के बीच घनिष्ठ संबंधों के लाभों का भी प्रमाण है.

गौरतलब है कि प्रमुख अंतरराष्ट्रीय शिपिंग लेन के चौराहे (crossroads) पर हिंद महासागर में श्रीलंका का स्थान इसे समुद्री सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण भागीदार बनाता है. संकीर्ण पाक जलडमरूमध्य ( Palk Strait) और मन्नार की खाड़ी दोनों देशों और उससे आगे के क्षेत्रों के बीच अवैध तस्करी के लिए एक गलियारे के रूप में काम करती है.

भारत की विस्तृत तटरेखा और श्रीलंका से इसकी निकटता इसे मादक पदार्थों की तस्करी के नेटवर्क के लिए असुरक्षित बनाती है. दोनों देशों के बीच समुद्री सहयोग को मजबूत करने से इन महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर बेहतर निगरानी सुनिश्चित होती है.

भारतीय नौसेना और श्रीलंकाई नौसेना दोनों ही इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन (IORA) और कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन जैसे क्षेत्रीय ढांचे में भाग लेती हैं, जो तस्करी से निपटने के लिए संवाद और संयुक्त प्रयासों को बढ़ावा देते हैं. मादक पदार्थों की तस्करी और संगठित अपराध पर समझौता ज्ञापन (MoU) जैसे आपसी समझौते सहयोग के लिए कानूनी आधार प्रदान करते हैं.

थिंक टैंक उसनास फाउंडेशन (Usanas Foundation) के संस्थापक, निदेशक और सीईओ अभिनव पंड्या के अनुसार, मादक पदार्थों की तस्करी के खतरे को रोकने के लिए श्रीलंकाई नौसेना का भारतीय नौसेना के साथ सहयोग करना बड़ा डेवलपमेंट है. पंड्या ने ईटीवी भारत को बताया, "गोल्डन क्रिसेंट और गोल्डन ट्राइंगल के बीच मादक पदार्थों की तस्करी में श्रीलंका प्रमुख नोडल बिंदु के रूप में उभरा है."

गोल्डन क्रिसेंट और गोल्डन ट्राइंगल एशिया के अवैध अफीम उत्पादन के दो प्रमुख क्षेत्र हैं. मध्य, दक्षिण और पश्चिम एशिया के चौराहे पर स्थित, गोल्डन क्रिसेंट अफगानिस्तान और पाकिस्तान की पहाड़ी इलाकों को कवर करता है, जो पूर्वी ईरान तक फैला हुआ है. गोल्डन ट्राइंगल पूर्वोत्तर म्यांमार, उत्तर-पश्चिमी थाईलैंड और उत्तरी लाओस में एक पहाड़ी क्षेत्र है. यह मेकांग (Mekong) और रुआक (Ruak) नदियों के संगम पर केंद्रित है.

अभिनव पंड्या कहते हैं, "सिंथेटिक ड्रग्स की तस्करी पूरे क्षेत्र के लिए एक बड़ा सिरदर्द बन गई है." उन्होंने बताया कि श्रीलंका से ड्रग्स को यूरोप और पश्चिमी देशों में ले जाया जाता है, जहां इनकी भारी मांग है. उन्होंने कहा, "ड्रग्स की तस्करी भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में इस्लामी आतंकवाद और विद्रोही समूहों से भी गहराई से जुड़ी हुई है. इससे भारत की अर्थव्यवस्था और सुरक्षा को बड़ा नुकसान पहुंचता है."

पंड्या ने आगे कहा कि भारत के भीतर ऐसे समूह सक्रिय हैं जो ड्रग्स की सप्लाई में शामिल हैं. ऐसी दवाओं के लिए मुख्य प्रवेश बिंदु कश्मीर, गुजरात, गोवा और श्रीलंका की तरफ से भी हैं. उन्होंने कहा, "भारत और श्रीलंका को मजबूत समन्वय के साथ मादक पदार्थों की तस्करी पर अंकुश लगाने के लिए अपने प्रयासों को समन्वित करने की जरूरत है."

पंड्या ने भारतीय नौसेना के साथ संयुक्त अभियान चलाने की श्रीलंकाई नौसेना की योजना को स्वागत योग्य कदम बताया. उन्होंने कहा, "अगर इसे सही तरीके से आगे बढ़ाया जाए, तो यह मादक पदार्थों की तस्करी को रोकने में काफी मददगार साबित होगा."

भारतीय नौसेना के पास उन्नत निगरानी तकनीक और उपग्रह-आधारित निगरानी प्रणाली है, जबकि श्रीलंकाई नौसेना के पास तटीय और प्रादेशिक जल का स्थानीय ज्ञान है. कहा जा सकता है कि अपनी अनूठी शक्तियों का लाभ उठाकर और गहन सहयोग को बढ़ावा देकर, भारतीय और श्रीलंकाई नौसेना क्षेत्र में मादक पदार्थों की तस्करी को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं.

यह भी पढ़ें- बांग्लादेश हिंसा: गिरफ्तार चिन्मय दास को पैरवी के लिए नहीं मिला वकील, जमानत पर सुनवाई टली

नई दिल्ली: श्रीलंकाई नौसेना ने मादक पदार्थों की तस्करी को रोकने के लिए भारतीय नौसेना के साथ मिलकर संयुक्त अभियान चलाने की मांग की है, इसे श्रीलंका और भारत के बीच समुद्री सुरक्षा सहयोग के क्षेत्र में एक बड़े घटनाक्रम के रूप में देखा जा सकता है.

पिछले महीने भारतीय नौसेना ने श्रीलंकाई नौसेना को दो श्रीलंकाई ध्वज वाली मछली पकड़ने वाली नौकाओं को पकड़ने में मदद की थी, जो मादक पदार्थ ले जा रही थीं. यह पहला ऐसा मामला था जब श्रीलंकाई नौसेना को समुद्र में भारतीय नौसेना से मदद मिली. इसके बाद श्रीलंकाई नौसेना ने यह पहल की.

श्रीलंका के न्यूज पोर्टल डेली मिरर ( Daily Mirror) की एक रिपोर्ट के अनुसार, श्रीलंकाई नौसेना के कमांडर वाइस एडमिरल प्रियंता परेरा (Priyantha Perera) ने कहा है कि उनका बल भारतीय नौसेना के साथ हिंद महासागर क्षेत्र में, विशेष रूप से समुद्र में, मादक पदार्थों की तस्करी से निपटने के लिए संयुक्त संचालन बढ़ाने की योजना बना रहा है.

पिछले महीने की घटना का जिक्र करते हुए वाइस एडमिरल परेरा ने कहा कि समुद्र में संभावित मादक पदार्थों की तस्करी के बारे में खुफिया जानकारी मिलने पर, श्रीलंकाई अधिकारियों ने कोलंबो में भारतीय उच्चायोग से संपर्क किया.

उन्होंने कहा, "डिफेंस अताशे (Defence Attache) ने तुरंत कार्रवाई की और तस्करी करने वाले जहाजों का पता लगाने और उन पर नजर रखने के लिए विमान और हाई-टेक ड्रोन तैनात करके भारतीय नौसेना को शामिल किया. श्रीलंकाई अधिकारियों के साथ मिलकर काम करते हुए, नशीले पदार्थों से लदे जहाजों को जब्त करने के लिए भारतीय नौसेना के दो जहाज भेजे गए."

भारतीय उच्चायोग के एक बयान के अनुसार, अरब सागर में श्रीलंकाई ध्वज वाले मछली पकड़ने वाले जहाजों द्वारा संभावित मादक पदार्थों की तस्करी के बारे में श्रीलंकाई नौसेना से मिली जानकारी के आधार पर, भारतीय नौसेना ने नावों को रोकने के लिए समन्वित अभियान के माध्यम से त्वरित कार्रवाई की.

बयान में कहा गया है, "भारतीय नौसेना के लंबी दूरी के समुद्री गश्ती विमान और दूर से संचालित विमान द्वारा व्यापक निगरानी की गई, जो गुरुग्राम में सूचना संलयन केंद्र (हिंद महासागर क्षेत्र) से प्राप्त इनपुट के आधार पर थी. इसके बाद अभियान को बढ़ाने के लिए भारतीय नौसेना के एक जहाज को तैनात किया गया.

उच्चायोग ने बयान में कहा है कि श्रीलंकाई नौसेना से लगातार मिल रही सूचनाओं और भारतीय नौसेना के विमानों द्वारा हवाई निगरानी के आधार पर दोनों नौकाओं की पहचान की गई. इसके बाद, समन्वित अभियान में, 24 और 25 नवंबर को जहाज की बोर्डिंग टीम द्वारा दोनों नौकाओं को पकड़ा गया और लगभग 500 किलोग्राम मादक पदार्थ (क्रिस्टल मेथ) जब्त किया गया, जिसकी कीमत 170 बिलियन श्रीलंकाई रुपये थी. दोनों नौकाओं, चालक दल और जब्त मादक पदार्थों को आगे की कानूनी कार्रवाई के लिए समुद्र में श्रीलंकाई नौसेना के जहाज को सौंप दिया गया.

भारतीय उच्चायोग के बयान में आगे कहा गया कि यह अभियान क्षेत्रीय समुद्री चुनौतियों का संयुक्त रूप से समाधान करने और हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दोनों नौसेनाओं के संयुक्त संकल्प का प्रतीक है.

बयान में कहा गया कि भारत सरकार ने श्रीलंका को भारतीय नौसेना का एक डोर्नियर समुद्री विमान भी प्रदान किया है, ताकि द्वीप राष्ट्र की समुद्री निगरानी क्षमता को बढ़ाया जा सके. यह इस क्षेत्र में भारत को पसंदीदा सुरक्षा भागीदार के रूप में फिर से स्थापित करता है और यह भारत और श्रीलंका के लोगों के लिए दोनों देशों और नौसेनाओं के बीच घनिष्ठ संबंधों के लाभों का भी प्रमाण है.

गौरतलब है कि प्रमुख अंतरराष्ट्रीय शिपिंग लेन के चौराहे (crossroads) पर हिंद महासागर में श्रीलंका का स्थान इसे समुद्री सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण भागीदार बनाता है. संकीर्ण पाक जलडमरूमध्य ( Palk Strait) और मन्नार की खाड़ी दोनों देशों और उससे आगे के क्षेत्रों के बीच अवैध तस्करी के लिए एक गलियारे के रूप में काम करती है.

भारत की विस्तृत तटरेखा और श्रीलंका से इसकी निकटता इसे मादक पदार्थों की तस्करी के नेटवर्क के लिए असुरक्षित बनाती है. दोनों देशों के बीच समुद्री सहयोग को मजबूत करने से इन महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर बेहतर निगरानी सुनिश्चित होती है.

भारतीय नौसेना और श्रीलंकाई नौसेना दोनों ही इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन (IORA) और कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन जैसे क्षेत्रीय ढांचे में भाग लेती हैं, जो तस्करी से निपटने के लिए संवाद और संयुक्त प्रयासों को बढ़ावा देते हैं. मादक पदार्थों की तस्करी और संगठित अपराध पर समझौता ज्ञापन (MoU) जैसे आपसी समझौते सहयोग के लिए कानूनी आधार प्रदान करते हैं.

थिंक टैंक उसनास फाउंडेशन (Usanas Foundation) के संस्थापक, निदेशक और सीईओ अभिनव पंड्या के अनुसार, मादक पदार्थों की तस्करी के खतरे को रोकने के लिए श्रीलंकाई नौसेना का भारतीय नौसेना के साथ सहयोग करना बड़ा डेवलपमेंट है. पंड्या ने ईटीवी भारत को बताया, "गोल्डन क्रिसेंट और गोल्डन ट्राइंगल के बीच मादक पदार्थों की तस्करी में श्रीलंका प्रमुख नोडल बिंदु के रूप में उभरा है."

गोल्डन क्रिसेंट और गोल्डन ट्राइंगल एशिया के अवैध अफीम उत्पादन के दो प्रमुख क्षेत्र हैं. मध्य, दक्षिण और पश्चिम एशिया के चौराहे पर स्थित, गोल्डन क्रिसेंट अफगानिस्तान और पाकिस्तान की पहाड़ी इलाकों को कवर करता है, जो पूर्वी ईरान तक फैला हुआ है. गोल्डन ट्राइंगल पूर्वोत्तर म्यांमार, उत्तर-पश्चिमी थाईलैंड और उत्तरी लाओस में एक पहाड़ी क्षेत्र है. यह मेकांग (Mekong) और रुआक (Ruak) नदियों के संगम पर केंद्रित है.

अभिनव पंड्या कहते हैं, "सिंथेटिक ड्रग्स की तस्करी पूरे क्षेत्र के लिए एक बड़ा सिरदर्द बन गई है." उन्होंने बताया कि श्रीलंका से ड्रग्स को यूरोप और पश्चिमी देशों में ले जाया जाता है, जहां इनकी भारी मांग है. उन्होंने कहा, "ड्रग्स की तस्करी भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में इस्लामी आतंकवाद और विद्रोही समूहों से भी गहराई से जुड़ी हुई है. इससे भारत की अर्थव्यवस्था और सुरक्षा को बड़ा नुकसान पहुंचता है."

पंड्या ने आगे कहा कि भारत के भीतर ऐसे समूह सक्रिय हैं जो ड्रग्स की सप्लाई में शामिल हैं. ऐसी दवाओं के लिए मुख्य प्रवेश बिंदु कश्मीर, गुजरात, गोवा और श्रीलंका की तरफ से भी हैं. उन्होंने कहा, "भारत और श्रीलंका को मजबूत समन्वय के साथ मादक पदार्थों की तस्करी पर अंकुश लगाने के लिए अपने प्रयासों को समन्वित करने की जरूरत है."

पंड्या ने भारतीय नौसेना के साथ संयुक्त अभियान चलाने की श्रीलंकाई नौसेना की योजना को स्वागत योग्य कदम बताया. उन्होंने कहा, "अगर इसे सही तरीके से आगे बढ़ाया जाए, तो यह मादक पदार्थों की तस्करी को रोकने में काफी मददगार साबित होगा."

भारतीय नौसेना के पास उन्नत निगरानी तकनीक और उपग्रह-आधारित निगरानी प्रणाली है, जबकि श्रीलंकाई नौसेना के पास तटीय और प्रादेशिक जल का स्थानीय ज्ञान है. कहा जा सकता है कि अपनी अनूठी शक्तियों का लाभ उठाकर और गहन सहयोग को बढ़ावा देकर, भारतीय और श्रीलंकाई नौसेना क्षेत्र में मादक पदार्थों की तस्करी को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं.

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