चमोली: सीमांत जनपद चमोली में विश्व पर्यावरण दिवस 2024 धूमधाम से मनाया गया. वन विभाग और प्रशासन ने भोजपत्र को लेकर जागरूकता दिखाई. भोजपत्र के वृक्ष को जितना पवित्र माना जाता है, उतना ही चमत्कारी औषधीय गुणों के लिए भी प्रसिद्ध है. इसकी छाल से कई प्राचीन ग्रंथों की रचना की गई थी.
प्रथम गांव माणा में विश्व पर्यावरण दिवस मनाया (Photo- Forest Department) 21 अक्टूबर 2022 को माणा गांव में आयोजित सरस मेले के दौरान स्थानीय महिलाओं ने भोजपत्र पर तैयार एक अनूठी कलाकृति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेंट की थी. प्रधानमंत्री ने भोजपत्र पर बनाए जा रहे स्मृति चिन्हों और कलाकृतियों का खासतौर पर जिक्र करते हुए इसे अभिनव पहल बताते हुए सराहना की और महिलाओं की आजीविका सर्वधन के लिए इस काम को आगे बढ़ाने की बात कही थी.
माणा में पौधरोपण किया गया (Photo- Forest Department) जिला प्रशासन द्वारा जोशीमठ ब्लॉक में एनआरएलएम समूह की महिलाओं को प्रशिक्षण देकर भोजपत्र पर बदरीश आरती, श्लोक, भोजपत्र की माला, राखी और कई तरह के स्मृति चिन्ह एवं लिखित सोविनियर तैयार कराए जा रहे हैं. इससे महिला समूहों को आर्थिक लाभ मिलने लगा है. जिला प्रशासन द्वारा भोजपत्र के संरक्षण और संवर्धन के लिए उच्च हिमालयी क्षेत्रों में भोजपत्र की नर्सरी तैयार करते हुए इसका पौधा रोपण किया जा रहा है, ताकि महिला समूहों को भोजपत्र की छाल मिलती रहे और यह भोजपत्र उनकी आजीविका का साधन बना रहे. विश्व पर्यावरण दिवस पर बदरीनाथ धाम एवं माणा गांव के आसपास भोजपत्र, देवदार, कैल, खुमानी के 400 से भी अधिक पौधे लगाए गए.
वन विभाग के तत्वाधान में हुआ पौधरोपण (Photo- Forest Department) उप वन संरक्षक सर्वेश कुमार दुबे ने कहा कि इकोसिस्टम को संरक्षित रखना हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है. उन्होंने पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए हर व्यक्ति को अधिक से अधिक पौधे लगाने और उनका संरक्षण करने की अपील की. खंड विकास अधिकारी मोहन जोशी ने कहा कि भोजपत्र का बड़ा ही पौराणिक एवं धार्मिक महत्व है. भोजपत्र के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए नर्सरी तैयार की गई और विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर दुर्लभ भोजपत्र के पौधे लगाए गए हैं.
पौधरोपण में महिलाओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया (Photo- Forest Department) ये भी पढ़ें: