उत्तरकाशी: गंगोत्री धाम में खतरे के निशान के करीब बह रही भागीरथी (गंगा) का जलस्तर कुछ घटा है. लेकिन नदी के बढ़े हुए जलस्तर से गंगा घाटों को क्षति पहुंचने के साथ घाटों पर मलबा और बोल्डर का ढेर लग गया है. रविवार को उप जिलाधिकारी बृजेश तिवारी और सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता केएस चौहान ने धाम का निरीक्षण कर स्थिति का जायजा लिया. इधर, गंगोत्री धाम में बाढ़ जैसे हालातों के लिए तीर्थपुरोहितों ने सिंचाई विभाग की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया है. उनका कहना है कि उनके कई बार कहने के बाद भी विभाग ने सुरक्षा उपायों पर ध्यान नहीं दिया, जिससे यह स्थिति उत्पन्न हुई.
बीते शुक्रवार को गंगोत्री धाम में भागीरथी (गंगा) का जलस्तर अचानक बढ़ा गया था. यह स्थिति शनिवार रात तक भी बनी रही. नदी के रौद्र रूप से गंगा घाट जलमग्न हो गए. वहीं नदी का बढ़ा हुआ जलस्तर भागीरथ शिला और आरती स्थल तक पहुंच गया. शिवानंद कुटीर आश्रम में नदी की जलधारा के घुसने से दस साधु-संत और मजदूर आश्रम में फंस गए थे, जिन्हें पुलिस और एसडीआरएफ की टीम ने किसी तरह बचाया था. रविवार को नदी का जलस्तर कुछ कम हुआ. लेकिन यह अपने पीछे घाटों पर मलबे और बोल्डर का ढेर छोड़ गया. इससे घाटों को क्षति भी पहुंची है.
डीएम के निर्देश पर धाम में कैंप कर रहे भटवाड़ी एसडीएम बृजेश तिवारी ने रविवार को सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता के साथ धाम का निरीक्षण कर स्थिति का जायजा लिया. उन्होंने मंदिर समिति के पदाधिकारियों से वार्ता कर सुरक्षा उपायों पर चर्चा की. सिंचाई विभाग के ईई केएस चौहान ने बताया कि नदी में पानी के साथ अत्यधिक मात्रा में बहकर आए मलबे और बोल्डर के नदी तल पर जमा होने से नदी का रूख दाईं ओर हुआ है. लेकिन आरसीसी निर्मित घाट अभी कटाव से सुरक्षित हैं. उन्होंने नदी की मूल धारा पर जमा मलबे को हटाकर चैनलाइज करने सहित अन्य दीर्घकालीन सुरक्षा उपाय किए जाने जरूरी बताए.