अलवर : जिले में त्योहारी सीजन की शुरुआत हो चुकी है और लोग मावा और पनीर से बनी मिठाइयों का आर्डर अभी से ही देने लगे हैं. दीपावली जैसे बड़े त्योहारी सीजन में मावे की मिठाई की मांग में बढ़ोतरी के चलते मिष्ठान भंडारों के संचालक मावे और पनीर में मिलावट कर मोटी रकम कमाने का सपना संजोने लगे हैं. बाजार में मिठाई की बढ़ती बिक्री को देख स्वास्थ्य विभाग ने भी मावे व पनीर में मिलावट के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है. खाद्य सुरक्षा अधिकारियों द्वारा बाजार से मावे व अन्य मिठाइयों के सैंपल लेने की कार्रवाई को भी अंजाम दिया गया है. इनमें मिठाइयों के कई सैंपल गुणवत्ता पर खरे नहीं उतरे हैं. बीते 10 दिनों में स्वास्थ्य विभाग की ओर से करीब 80 जगहों पर सैंपल लिए गए हैं, जिनमें कई खामियां मिली हैं. खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की टीम ने मौके से दूषित पनीर, मिठाई व मावे को नष्ट भी कराया.
वहीं, देश-दुनिया में अलवर की पहचान मिल्क केक और मावे से बने मिठाइयों से होती रही है. यहां के मिल्क केक के पूरे देश में दीवाने हैं. इसी के चलते अलवर ही नहीं, बल्कि बाहरी राज्यों से भी अलवर के मिल्क केक के आर्डर दिए जाते हैं. जिले में मिल्क केक और मावे की मिठाई की मांग बढ़ने के साथ ही दूध की भी कमी होने लगती है. दूध की इसी कमी का फायदा उठाकर कई मिष्ठान भंडार संचालक सिंथेटिक दूध और इससे तैयार मावे का उपयोग मिल्क केक व मावे की मिठाइयों में करने से बाज नहीं आते हैं. कम लागत में अच्छा मुनाफा होने के कारण शहर समेत सरिस्का क्षेत्र के गांव, थानागाजी, रामगढ़, गोविंदगढ़, लक्ष्मणगढ़, खैरथल, किशनगढ़बास समेत पूरे जिले में नकली दूध और सिंथेटिक मावा तैयार करने के छोटे-छोटे कारखाने खुल गए हैं.
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सेहत के लिए हानिकारक है नकली मावा :नकली या सिंथेटिक दूध व इससे तैयार मावा सेहत के लिए हानिकारक होता है. ये सिंथेटिक दूध व मावा डिटरजेंट पाउडर, सोडा, यूरिया, हल्की गुणवत्ता के वनस्पति घी, वाशिंग पाउडर आदि हानिकारक तत्व मिलाए जाते हैं. इन हानिकारक तत्वों से तैयार नकली दूध और मावा दिखने में अच्छा लगता है, लेकिन यह जहर के समान होता है. लोग मुनाफे के लिए सिंथेटिक मावे का उपयोग त्योहारी सीजन में मिठाई तैयार करने में खूब करते हैं.