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लाठी ले 4 बहनें बोरियत दूर करने आईं अखाड़ा, चाचा ने चैंपियन बनाया, पर भूटान जा खेलने के पैसे नहीं - Help Betul Champion Sisters

देश में खेल प्रतिभाओं की कमी नहीं हैं. कई प्रतिभाएं आर्थिक तंगी के कारण आगे नहीं बढ़ पाती. यही स्थिति बैतूल के एक गरीब परिवार की है. परिवार की 4 बेटियां लाठी प्रतियोगिता में कई मेडल्स जीत चुकी हैं. उनका चयन नेशनल लेवल की प्रतियोगिता के लिए हुआ है. लेकिन भूटान आने-जाने के लिए पैसे नहीं हैं. कहीं से कोई मदद भी नहीं मिल रही.

Help Betul Champion Sisters
बैतूल की होनहार लड़कियां, नेशनल गेम खेलने के पैसे नहीं (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 10, 2024, 1:19 PM IST

Updated : Jul 10, 2024, 1:33 PM IST

बैतूल।बैतूल में लॉकडाउन के दौरान घर में बैठे-बैठे बोर होने पर जब चाचा ने अखाड़े में आकर कुछ सीखने का बोला तो चारों बहनों ने बिना देर किए लाठी चलाना सीखा. देखते ही देखते चारों बहनें लाठी चलाने में एक्सपर्ट हो गईं. इसके बाद चारों बहनें कई प्रतियोगिताओं में मेडल भी जीतने लगी. अब चारों बहनें खुशी, रिया, रुचि और सिया का भूटान में आयोजित होने वाले दक्षिण एशिया लाठी स्पर्धा के लिए चयन हुआ है, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण वे इसमें शामिल नहीं हो पा रही हैं. यह प्रतियोगिता भूटान में 4 से 6 अगस्त तक होनी है.

बोरियत दूर करने पहुंची अखाड़ा, चाचा ने बना दिया चैंपियन (ETV BHARAT)

खिलाड़ियों के पैरेंट्स ने बताई आर्थिक तंगी

खुशी के पिता विनोद भोंडे ने बताया "चारों बहनों का चयन भूटान में होने वाले लाठी प्रतियोगिता के लिए हुआ है. भूटान जाने एवं अन्य खर्च मिलकर 20 हजार रुपए आ रहा है. मेरी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. इस कारण मैं चाहकर भी उन्हें नहीं भेज पा रहा हूं." बता दें कि चारों बहनें लाठी खेलने उज्जैन, ग्वालियर, हरिद्वार सहित देश के कई शहरों में जा चुकी हैं. इन प्रतियोगिताओं ने इन बहनों ने सिल्वर और गोल्ड मेडल जीते हैं. खुशी की मां कमला भोंडे ने बताया "चारों बहनें बहुत अच्छी लाठी चलाती हैं. कई प्रतियोगिताओं में मेडल भी जीत चुकी हैं. चारों बहनें देश के लिए खेलना चाहती हैं, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण वे मजबूर हैं."

खिलाड़ियों के पैरेंट्स ने बताई आर्थिक तंगी (ETV BHARAT)

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क्या कहते हैं खिलाड़ियों के कोच

कोच विनोद बुंदेले ने बताया"लॉकडाउन में जब लोग घर से बाहर निकलने से घबराते थे, तब ये बच्चियां यहां प्रैक्टिस करने आती थीं. चारों बहनों का भूटान में होने वाले दक्षिण एशिया लाठी प्रतियोगिता के लिए चयन हुआ है, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण शामिल नहीं हो पा रही हैं. इनके पिता सैलून में काम करते हैं." बता दें कि 52 साल के विनोद व्यायाम शालाओं में युवकों को मलखंभ से लेकर लाठी चलाना, मुग्दल घुमाना, तलवारबाजी की शिक्षा देते हैं. लॉकडाउन लगा तो उन्होंने व्यायामशाला के इन्हीं बच्चों को लाठी चलाने का हुनर सिखाने का संकल्प लिया था.

Last Updated : Jul 10, 2024, 1:33 PM IST

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