नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) को निर्देश दिया है कि वह वकीलों और लॉ फर्म की ओर से रखे जाने वाले जूनियर वकीलों को न्यूनतम मासिक स्टाइपेंड देने पर छह हफ्ते में विचार करे. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने बीसीआई को इस मसले पर जल्द विचार करने का निर्देश दिया. याचिका सिमरन कुमारी ने दायर की थी. याचिका में जूनियर वकीलों को न्यूनतम मासिक स्टाइपेंड देने का दिशानिर्देश जारी करने की मांग की गई थी.
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याचिका में कहा गया था कि याचिकाकर्ता ने इस संबंध में बीसीआई और दिल्ली बार काउंसिल (बीसीडी) को 27 जनवरी को एक प्रतिवेदन भी दिया था, लेकिन उस पर कोई सकारात्मक जवाब नहीं आया। जिसके बाद याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का रुख किया था. सुनवाई के दौरान बीसीआई की ओर से पेश वकील प्रीतपाल सिंह ने कहा कि ये मामला विरोधी नहीं है. याचिकाकर्ता के प्रतिवेदन पर बीसीआई की बैठक में चर्चा की गई थी, लेकिन इस पर कोई फैसला नहीं हो सका है. बीसीआई ने कोर्ट को भरोसा देते हुए कहा कि ये प्रतिवेदन लंबित है और इस पर जल्द ही फैसला किया जएगा. उन्होंने कहा कि बीसीआई की इस मुद्दे पर कुछ हफ्तों में बैठक होने वाली है.
उसके बाद हाईकोर्ट ने कहा कि इस प्रतिवेदन पर छह महीने में और अगर संभव हो तो जितना जल्द हो सके फैसला कीजिए। हाईकोर्ट ने दिल्ली बार काउंसिल को भी निर्देश दिया कि वो इस संबंध में बीसीआई को अपना इनपुट दें ताकि इस पर फैसला किया जा सके.
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