जयपुर: विश्व लोकतंत्र दिवस के मौके पर आयोजित भारतीय युवा संसद के मंगलवार को समापन पर संवाद सत्र में पर्यावरण कार्यकर्ता और राज्यसभा सांसद बलवीर सिंह सीचेवाल ने कहा कि जल संरक्षण के लिए स्थानीय लोगों द्वारा ईजाद किए गए सीचेवाल मॉडल को पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के साथ ही कई राज्यों के मुख्यमंत्री भी देख और सराह चुके हैं. अगर यह मॉडल सरकार के स्तर पर लागू किया जाए तो पानी की किल्लत की समस्या पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है. इसमें घरेलू वेस्टेज पानी को ट्रीट करके खेतों में लगाया जाता है. इससे खेतों में पानी की किल्लत दूर होगी और नदी-नाले भी प्रदूषित होने से बचेंगे.
आज हवा, पानी और धरती प्रदूषित: उन्होंने कहा, आज हवा, पानी और धरती प्रदूषित है. हम जो कुछ भी जमीन में उगाकर खा रहे हैं. वो भी प्रदूषित है. उन्होंने गुरु की आज्ञा से सेवा कार्य शुरू किया. सबसे पहले गांवों में रास्ता बनाकर शुरुआत की. इसलिए सड़क वाला बाबा नाम मिला. फिर वेलफेयर बाबा नाम मिला. इसके बाद काली नदी की सेवा का बीड़ा उठाया. इस नदी का संबंध गुरुनानक देव से रहा है. इस नदी में प्रदूषण के कारण बदबू आती थी. लेकिन इसे साफ करने की मुहिम से लोग भावनात्मक रूप से जुड़े और आज नदी का पानी पीने के काम में आता है.
घरेलू उपयोग के पानी से खेती: उन्होंने सीचेवाल मॉडल का जिक्र करते हुए कहा, पानी का प्रदूषण और किल्लत आज बड़ी समस्या है. जिस नदी को सरकार और बड़ी संस्थाएं भी साफ नहीं कर पाई थी. उसे जनसहभागिता से साफ कर मिसाल पेश की गई. घरेलू उपयोग के पानी को रिसाइकिल कर खेती में लगाया जाए तो समस्या काफी हद तक कम हो सकती है. सीचेवाल गांव में यही मॉडल काम में लिया गया है. गंगा को साफ करने के लिए गंदगी को दूर करना और जो गंदगी आ रही है. उसे रोककर रिसाइकिल करने की दरकार है. पैसे से सबकुछ नहीं हो सकता, भावना होनी चाहिए.