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बलरामपुर अस्पताल के नेफ्रोलॉजी यूनिट में मरीजों को मिलेगी राहत, नए डॉक्टर की हुई नियुक्ति - LUCKNOW NEWS

बलरामपुर अस्पताल के नेफ्रोलॉजी यूनिट में एक और डॉक्टर की नियुक्ति की गई है. इससे मरीजों को राहत मिलेगी.

डायलिसिस के लिए बड़ी संख्या में मरीज बलरामपुर अस्पताल आते हैं.
डायलिसिस के लिए बड़ी संख्या में मरीज बलरामपुर अस्पताल आते हैं. (Photo Credit; ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 22, 2025, 4:08 PM IST

लखनऊ : बलरामपुर अस्पताल की नेफ्रोलॉजी यूनिट में एनएचएम द्वारा एक और विशेषज्ञ डॉक्टर की तैनाती की गई है. पहले केवल एक डॉक्टर के होने से मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता था.

राजधानी में सिर्फ बलरामपुर अस्पताल में नेफ्रोलॉजी यूनिट का संचालन हो रहा है. डायलिसिस के लिए पीपीपी मॉडल पर 14 मशीनें लगाई गई हैं. जबकि पांच मशीन अस्पताल की अलग हैं. हर दिन यहां पर मरीजों की डायलिसिस हो रही है.

अस्पताल में अभी तक एक ही विशेषज्ञ के भरोसे पूरी यूनिट का संचालन हो रहा था. एनएचएम ने पुनर्नियुक्ति पर नेफ्रोलॉजिस्ट को तैनात किया है. निदेशक डॉ. सुशील प्रकाश ने बताया कि अस्पताल में अब दो विशेषज्ञ तैनात हैं. हर दिन ओपीडी का संचालन हो रहा है.

पांच नई डायलिसिस मशीनें बढ़ेंगी : बलरामपुर अस्पताल की डायलिसिस यूनिट में हर दिन करीब 15 से अधिक मरीजों की डायलिसिस हो रही है. हर दिन करीब तीन से चार मरीजों को डायलिसिस के लिए इंतजार करना पड़ता है. अस्पताल प्रशासन ने पांच नई मशीन की मांग की है, ताकि पूरी क्षमता से मरीजों की डायलिसिस कराई जा सके.

केजीएमयू मरीजों की भीड़: आशियाना के विक्रांत कुमार ने बताया कि मेरे घर के पास ही लोकबंधु अस्पताल है. पिता जी को डायलिसिस की जरूरत पड़ी तो केजीएमयू जाना पड़ा. वहां मरीजों का अधिक लोड है. जिसके कारण डायलिसिस तय समय पर नहीं हो पाती है.

लोहिया संस्थान में होती है परेशानी: अगर लोकबंधु अस्पताल में यह सुविधा हो जाती है, तो सबसे अच्छी बात होगी. निजी अस्पतालों में डायलिसिस का अधिक शुल्क लगता है. वहीं एक महिला कोमल वर्मा ने कहा कि यहां इलाज अच्छा होता है. डायलिसिस शुरू होने के बाद किडनी के मरीजों को फायदा होगा. पति के डायलिसिस के लिए हम लोहिया संस्थान में बार-बार दौड़ें है. परेशान हो गए थे.

सिविल में जगह की कमी: सिविल अस्पताल के सीएमएस डॉ. राजेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि सिविल अस्पताल में डायलिसिस की सुविधा नहीं है. क्योंकि, जगह कम होने के कारण हम यहां पर बहुत सारी सुविधाएं नहीं दे पा रहे हैं. विधानसभा बगल में है ज्यादातर वीआईपी मरीजों का दबाव रहता है. डायलिसिस के लिए मरीज को बलरामपुर अस्पताल में रेफर किया जाता है.

आठ जिलों में हीमोडायलिसिस बेड बढ़ेंगे : प्रदेश में नवंबर 2023 से प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम के तहत पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर डायलिसिस यूनिट का संचालन किया जा रहा है. गुर्दे के गंभीर मरीजों को उनके जिले में डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है. स्वास्थ्य निदेशालय की डीजी हेल्थ डॉ. रतन पाल सिंह सुमन ने बताया कि मरीजों की संख्या बढ़ने की दशा में आठ जिलों में हीमोडायलिसिस बेड बढ़ाये जा रहे हैं.

109 बेड होंगे डायलिसिस यूनिट में:बता दें कि कुशीनगर, सिद्धार्थनगर, अम्बेडकर नगर, हाथरस, फिरोजाबाद, गाजीपुर, महाराजगंज व लखीमपुर खीरी जिला अस्पताल में 71 बेड पर मरीजों की डायलिसिस हो रही है. एक बेड पर एक दिन में तीन से चार मरीजों की डायलिसिस हो रही है.

मरीजों का दबाव लगातार बढ़ रहा है. इन जनपदों में करीब 38 बेड बढ़ाये जा रहे हैं. डायलिसिस यूनिट में कुल 109 बेड होंगे. उन्होंने कहा कि गुर्दा मरीजों के बेहतर इलाज के लिए लगातार कदम उठाये जा रहे हैं.

जल्द से जल्द आठ जिलों की डायलिसिस यूनिट में बेड बढ़ाने के निर्देश दिये गये हैं, ताकि अधिक से अधिक मरीजों को इलाज उपलब्ध कराया जा सके. डायलिसिस यूनिट में पर्याप्त सफाई, आरओ सिस्टम को दुरुस्त रखने का निर्देश दिया गया है.

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