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'अपवित्र जमीन हो जाएगी पवित्र', संत कौशिक महाराज ने इस पशु को बताया स्वर्ग तीर्थ और मंदिर - BALAGHAT SHRIMAD BHAGWAT KATHA

''गाय में देवियों का वास है. गोबर को लीपने से अपवित्र जमीन पवित्र हो जाएगी.'' यह बात संत कौशिक महाराज ने बालाघाट में कही.

balaghat Shrimad Bhagwat Katha
गाय पर संत कौशिक महाराज का बयान (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 19, 2025, 7:34 PM IST

बालाघाट: बालाघाट जिले के आदिवासी बाहुल्य परसवाड़ा क्षेत्र के ग्राम में संत आचार्य कौशिक जी महाराज के मुखारबिंद से श्रीमद भागवत कथा का आयोजन जारी है. जहां आयोजन के दौरान उन्होंने एक प्रसंग में गौमाता को लेकर बड़ा एलान कर दिया है. उन्होंने कहा है कि, ''गौमाता में सभी देवी देवताओं का वास होता है. इसलिये वह हमारे लिये पूज्यनीय है. गौमाता राष्ट्र ही नहीं बल्कि पूरे ब्रह्मांड की माता है.''

'गाय पूरे विश्व की माता घोषित हो'
आचार्य कौशिक जी महाराज ने कहा कि, ''सभी देवी देवताओं का गौ माता में वास है, जिसके गोबर के लीपने से अपवित्र जमीन पवित्र हो जाती है. मैं कहूंगा कि गौ माता धरती का स्वर्ग है, तीर्थ है, मंदिर है. यदि गौ माता के प्रति हमारी श्रद्धा अच्छी होगी तो धरती की अनेक बीमारियां समाप्त हो जाएगी. इसके मूत्र में एक हजार बीमारियों को समाप्त करने की क्षमता है.'' उन्होंने कहा कि, ''उस घर की रसोई कभी पवित्र नहीं हो सकती जिसके घर से एक रोटी गौ माता के लिए ना निकले. इसलिए मीडिया के माध्यम से मैं सभी से कहना चाहूंगा कि अपने घर से गौ ग्रास गौमाता के लिए निकालें.''

संत ने की गौमाता को विश्व की माता घोषित करने की मांग (ETV Bharat)

'गौपालन करें, गाय का दूध पीयें'
उन्होंने कहा कि, ''गौ पालक बने और अपने घर में गौपालन करें. गौ माता का दूध पिए, गौ माता का दूध पीने से व्यक्ति जल्दी बूढ़ा नहीं होता.'' मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि, ''गौ माता को राष्ट्रमाता नहीं बल्कि पूरे ब्रह्मांड की माता घोषित किया जाना चाहिए. गौ माता को राज्य की ही नहीं पूरे विश्व की माता घोषित किया जाना चाहिए. हमारे पुराणों में लिखा है कि "गावो विश्वश्य मातरा् " इसलिए गाय राष्ट्र की ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की माता है जिसका वेदों में भी वर्णन है.''

मानवता की रक्षा के लिए आयोजन
श्रीमद् भागवत कथा के दौरान स्थानीय मीडिया से चर्चा में आचार्य ने कहा कि, ''कथा के माध्यम से हमने संदेश देने का प्रयास किया है कि किसी न किसी प्रयास से मानवता की रक्षा की जा सके, सनातन संस्कृति की रक्षा हो सके. सनातन पहले भी था, आज भी है और आगे भी रहेगा. लोग अपनी भूली हुई मनुष्यता को फिर से स्वीकार करें और गलत रास्ते का चुनाव न करें. इसी के लिए यह आयोजन हो रहा है. मानवता की रक्षा के लिए यह आयोजन हो रहा है.''

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