बालाघाट:वनांचल क्षेत्र में निवास करने वाले आदिवासियों के लिए योजनाओं के नाम पर शासन द्वारा करोड़ों खर्च किए जा रहे हैं. बावजूद इसके अब भी वनांचल क्षेत्र के टोला और बस्तियों में रहने वाले ग्रामीण आदिवासियों को मूलभूत सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हो पा रही है. वर्तमान समय में प्रदेश के बालाघाट जिले में रहने वाले आदिवासी सड़क, बिजली, पानी जैसी मूलभूत समस्याओं को लेकर परेशान हैं. जिले के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र परसवाड़ा अन्तर्गत ग्राम पंचायत सीताडोंगरी के मदनपुर से एक तस्वीर सामने आई है. यहां पर निवास करने वाले आदिवासी आज भी सड़क, बिजली और पानी जैसी मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे हैं. सड़क नहीं होने से ग्रामीणों को एंबुलेंस का लाभ नहीं मिल पा रहा है. लिहाजा ग्रामीण खाट पर प्रसूता को लेकर गए.
बारिश के दिनों में स्कूल नहीं पहुंचते बच्चे
मदनपुर के भुर्राटोला निवासी समोता बाई उइके, सुखबती बाई यादव थामेंद्र कटरे ने बताया कि ' गर्मी और ठंड का महीना तो हम जैसे-तैसे काट लेते हैं, लेकिन बारिश का महीना, हमारे लिए काला महीना साबित होता है, क्योंकि बारिश के दिनों में हमारे बच्चे हफ्तों स्कूल नहीं जा पाते हैं. बैहर जाने के लिए बस आकर दूर ही खड़ी रहती है. वहीं मदनपु के पास नाले में पानी होने के कारण कई दिनों हम बच्चों को स्कूल ही नहीं भेज पाते हैं. हमने शासन प्रशासन को पुलिया निर्माण के संदर्भ में आवेदन दिया है. लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.'
ग्राम पंचायत सीताडोंगरी के सरपंच नवल पूषाम ने बताया कि 'ग्राम मदनपुर के पास पुलिया के निर्माण न होने से बारिश के दिनों में प्राथमिक शाला और माध्यमिक शाला दोनों ग्रामों के पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राएं एक दूसरे गांव में प्रवेश नहीं कर पाते. जिससे सबसे अधिक नुकसान हमारे बच्चों का हो रहा है. यहां पर पुल निर्माण को लेकर शासन प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को भी अवगत कराया गया, लेकिन अब तक न सड़क बनी और न ही पुल का निर्माण हो पाया है. पुल निर्माण को लेकर आरईएस के इंजीनियर और एसडीओ ने यहां सर्वे तक किया है. पूर्व में इस नाले पर भूमि पूजन तक किया जा चुका है. बावजूद इसके अब तक निर्माण नहीं हो सका है.'
खाट पर ले जाना पड़ता है गर्भवती महिलाओं को
ग्राम मदनपुर की आशा कार्यकर्ता प्रमिला कटरे ने बताया कि नाले में बाढ़ जैसी स्थिति होने के कारण यहां के ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित होना पड़ता है. नाले में पानी का बहाव अधिक होने पर गर्भवती महिलाओं व तबीयत खराब होने पर ग्रामीणों को खाट में बिठाकर या पीठ पर लाद कर नाला पार कराते हुए अस्पताल पहुंचाया जाता है. जिससे कई दफा तो नाले में गाड़ियां फंस जाती है. जिससे अत्यधिक परेशानी होती है. पानी में बहाव के डर से बारिश के महीने में बच्चे स्कूल भी जाना बंद कर देते हैं.'